ट्रम्प ने भारत के साथ ‘बड़े व्यापार समझौते’ का दिया संकेत, लेकिन स्पष्टता अभी भी अधूरी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को भारत और अमेरिका के बीच एक “बहुत बड़े व्यापार समझौते” की संभावना जताई। यह बयान उस वक्त आया है जब दोनों देश 9 जुलाई, 2025 तक किसी व्यापक व्यापार समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
यह बातचीत ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका ने अप्रैल 2025 में भारतीय वस्तुओं पर 26% तक टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन उसे 90 दिनों की छूट के साथ कुछ शर्तों के अधीन रखा गया था।
“हम भारत को खोलने जा रहे हैं” – ट्रम्प का बयान
वाशिंगटन डीसी में एक कार्यक्रम के दौरान ट्रम्प ने कहा:
“हर कोई हमारे साथ डील करना चाहता है… भारत के साथ भी एक बड़ा समझौता हो सकता है।”
ट्रम्प ने इसके साथ ही चीन के साथ हुए समझौते का उदाहरण देते हुए कहा कि “यह चीन को खोलने की शुरुआत है,” लेकिन भारत के संदर्भ में उन्होंने जो शब्द इस्तेमाल किए, वह ज्यादा महत्त्वपूर्ण थे —
“हम भारत को खोलने जा रहे हैं।”
यह बयान कई तरह के संकेत देता है—शायद अमेरिका भारत के बाज़ार में ज्यादा पहुँच चाहता है या फिर अमेरिकी कंपनियों को भारत में बेहतर व्यापारिक अवसरों की तलाश है।
कूटनीतिक वार्ताओं का दौर जारी
भारत और अमेरिका के बीच पिछली कुछ तिमाहियों में व्यापार को लेकर कई तनावपूर्ण मुद्दे सामने आए हैं—जैसे डेटा लोकलाइजेशन, ड्यूटी स्ट्रक्चर, मेडिकल डिवाइसेज़ पर टैक्स, और ई-कॉमर्स नियम।
इस बीच, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने पिछले महीने भारत का दौरा किया था, और दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय बातचीत हुई। व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने कहा:
“समयसीमा (8-9 जुलाई) नजदीक है, और हम दोनों पक्षों से सर्वोत्तम प्रस्ताव की उम्मीद करते हैं। यह एक मित्रतापूर्ण अनुस्मारक है।”
अमेरिका चाहता है भारत से व्यापार घाटा कम हो
वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने पहले कहा था कि अमेरिका अपने उन्नत विनिर्माण सेक्टर को फिर से मजबूत करना चाहता है, और भारत को निर्यात बढ़ाकर अपने व्यापार घाटे को संतुलित करना चाहता है।
वहीं भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार, भारत की प्राथमिकता यह है कि अमेरिका भारतीय टेक और फार्मा कंपनियों के लिए एक्सपोर्ट के दरवाज़े खोले, खासकर H-1B वीजा और मेडिकल डिवाइस सर्टिफिकेशन जैसे मुद्दों पर।
क्या होगा अंतिम परिणाम?
9 जुलाई की डेडलाइन अब बहुत नजदीक है, और विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बीच अगर कोई संक्षिप्त और सीमित व्यापार समझौता हो जाए, तो उसे भविष्य के लिए एक आधार माना जाएगा। हालांकि, पूर्ण और व्यापक FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) के लिए अभी भी लंबी बातचीत की ज़रूरत है।
ट्रम्प के बयानों से यह साफ है कि अमेरिका अब पहले से अधिक आक्रामक व्यापार नीति अपना रहा है। सवाल यह है कि भारत किस हद तक अमेरिकी मांगों के सामने समझौता करने को तैयार होगा, और क्या यह डील वास्तव में “बड़ी” साबित होगी या नहीं — इसका जवाब अगले कुछ हफ्तों में मिल सकता है।