नई दिल्ली, 06 नवंबर 2025: विराट कोहली का 37वाँ जन्मदिन । उस चाबी से लेकर अब तक का सफर सिर्फ आंकड़ों का नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट के एक युग का प्रतीक बन चुका है।
मुख्य बातें
- कोहली ने ऑल-फॉर्मैट में ऐसा रन-देना जारी रखा है कि उन्हें “चेज़-मास्टर” कहा जाता है।
- 10 नवंबर 2025 तक उन्होंने कई रिकॉर्ड्स तोड़े हैं, जैसे सबसे तेज 10,000 ओडीआई रन।
- टेस्ट क्रिकेट से उन्होंने इस साल विदा ली है, जिससे उनकी बहु-फॉर्मैट उपलब्धि को नया आयाम मिला है।
- अब जुर्माना नहीं बल्कि अनुभव और अगली पीढ़ी को आगे बढ़ाने का जिम्मा उनके कंधों पर है—इस बदलाव का असर भारतीय क्रिकेट पर दिखने लगा है।
क्या हुआ
दिल्ली के इस अव्वल बल्लेबाज़ का जन्मदिन इस बार ख़ास इसलिए भी है क्योंकि कोहली ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है और अब पूरी तरह से एक नए क्रिकेट-युग की शुरुआत करने वाला हैं। हाल के लेखों में उन्हें यूनिवर्सल क्रिकेट आइकन के रूप में देखा जा रहा है।
इस जन्मदिन पर पत्रकारों ने उनके अब तक के करियर पर निहायत गहराई से सलाह-मशविरा किया है-न सिर्फ रन-स्कोरिंग, बल्कि उपयुक्त मानसिकता, फिटनेस, और कप्तानी की जिम्मेदारियों पर।
प्रमुख तथ्य और आंकड़े
- कोहली ने ओडीआई में सबसे तेजी से 10,000 रन पूरे करने का रिकॉर्ड बनाया था।
- T20 और वन-डे दोनों में उन्होंने चेज़ करते हुए अक्सर टीम की जीत की दिशा तय की है—उदाहरण के तौर पर T20 में 42 मैचों में 1,651 रन औसत 78.61 से।
- टेस्ट फॉर्मैट में उन्होंने 123 मुकाबलों में 9,230 रन बनाए और औसत 46.85 के साथ संन्यास लिया।
- उनकी कप्तानी में भारत ने टेस्ट में 68 मैचों में 40 जीते, जो अब तक किसी भारतीय कप्तान द्वारा सबसे अधिक है।
प्रतिक्रियाएँ
“विराट ने उस तरह से खेला है जिससे युवा खिलाड़ियों का रास्ता साफ़ हुआ है,” एक क्रिकेट विश्लेषक ने कहा।
टीम-मेट्स और पूर्व खिलाडियों ने भी उनका फिटनेस रूटीन, मानसिक तैयारी और लगातार प्रदर्शन की क्षमता की जमकर तारीफ की है। ये बातें उनके 37वें जन्मदिन के इर्द-गिर्द सोशल मीडिया पर भी चर्चित रहीं।
वर्तमान स्थिति / आगे क्या होगा
कोहली अब टेस्ट से बाहर हो चुके हैं, लेकिन एक फुल-टाइम ओडीआई और आईपीएल खिलाड़ी के रूप में सक्रिय हैं। आने वाले सालों में उनका लक्षय टीम इंडिया को 2027 के क्रिकेट वर्ल्ड कप की ओर ले जाना होगा। साथ-ही, फिटनेस और निजी कोचिंग के क्षेत्र में भी राज्य बदलाव देखे जा सकते हैं।
उनकी उपस्थिति युवा बैटरों के प्रेरणा स्रोत के रूप में बनी रहेगी-और इस बदलाव से भारतीय क्रिकेट संरचना में भी ‘अनुस्मारक’ प्रभाव दिखने लगा है।
संदर्भ / पृष्ठभूमि
विराट कोहली ने 2008 में इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण किया। दिल्ली के इस युवा को जल्दी ही टीम इंडिया के शीर्ष बल्लेबाज़ों में गिना गया। उनकी उपलब्धियों में कई ‘तेज़ गति’ के रिकॉर्ड और चेज़-मैचों में शानदार कमबैक शामिल हैं।
उनका ये 37वाँ जन्मदिन इस अर्थ में महत्वपूर्ण है कि वे ‘पुरुष’ खिलाड़ी से ‘लीजेंड’ खिलाड़ी-व्यक्ति के रूप में सामने आ रहे हैं। वहीं, उनके टेस्ट से संन्यास ने भारतीय टीम में एक नया चयन-चक्र शुरू कर दिया है जिसमें युवा बैटरों को बढ़िया मौके मिलेंगे। इसके अलावा, उन्होंने अपनी ब्रांड वैल्यू और कमर्शियल आकर्षण को भी बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया है-जिसका असर भारतीय क्रिकेट की मार्केटिंग पर प्रतीत होता है।
इस तरह, कोहली सिर्फ एक बल्लेबाज़ नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के बदलते युग का प्रतीक बन चुके हैं।
स्रोत: indiandailypost, Hindustantimes






