शुक्रवार को ऊंचाई, सोमवार को सुस्ती
शुक्रवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स ने एक बार फिर 84,000 के स्तर को पार कर लिया। 303.03 अंकों की मजबूती के साथ यह 84,058.90 पर बंद हुआ, जो बाजार के लिए एक मनोवैज्ञानिक रूप से अहम स्तर था। लेकिन नई सप्ताह की शुरुआत ज्यादा उत्साहजनक नहीं रही।
सोमवार को शुरुआती कारोबार में ही सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में गिरावट देखने को मिली, जिससे पिछले चार दिनों से जारी तेजी पर ब्रेक लग गया। निवेशकों की मुनाफावसूली इसका एक बड़ा कारण मानी जा रही है।
बैंकिंग शेयरों पर दबाव
सुबह 9:30 बजे तक, सेंसेक्स 182.77 अंक की गिरावट के साथ 83,876.13 पर पहुंच गया। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 46.25 अंक टूटकर 25,591.55 पर ट्रेड कर रहा था।
बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, बैंकिंग सेक्टर में बिकवाली इस गिरावट की मुख्य वजह है। शुक्रवार को आई तेजी के बाद कई निवेशक अब अपने मुनाफे को सुरक्षित करना चाह रहे हैं, जिससे बाजार पर दबाव बना है।
चार दिन की रैली के बाद बाज़ार ले रहा है “सांस”
पिछले चार कारोबारी सत्रों से बाजार में लगातार तेजी देखने को मिली थी। ऐसे में यह गिरावट एक तकनीकी सुधार के तौर पर भी देखी जा सकती है। इतिहास गवाह है कि लंबी तेजी के बाद बाजार में थोड़ी सुस्ती आना सामान्य प्रक्रिया है।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर निफ्टी 25,500 के ऊपर बना रहता है, तो बाजार की चाल स्थिर बनी रह सकती है। हालांकि, यदि यह स्तर टूटता है, तो और गिरावट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
वैश्विक संकेतों का भी असर
भारतीय शेयर बाजार पर वैश्विक बाजारों के मिलेजुले रुझानों का भी असर पड़ा है। एशियाई बाजारों में स्थिरता और अमेरिकी बाजारों में पिछली कमजोरी का प्रभाव यहां भी देखने को मिला।
हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में हालिया गिरावट भारतीय बाजार के लिए एक राहतभरी खबर हो सकती है, क्योंकि भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है। इससे महंगाई और व्यापार घाटे पर नियंत्रण पाने में मदद मिल सकती है।
आगे क्या?
बाजार के विश्लेषक अभी इसे एक छोटा सुधार मान रहे हैं न कि कोई बड़ा ट्रेंड रिवर्सल। सभी की नजर इस बात पर है कि क्या निफ्टी 25,500 के स्तर को बनाए रख पाता है या नहीं। इसके अलावा, आगामी आर्थिक आंकड़े, एफआईआई गतिविधियां और वैश्विक संकेत भी बाजार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।