Salesforce का AI पर दांव: नौकरियों पर क्या होगा असर?
एंटरप्राइज़ सॉफ्टवेयर कंपनी Salesforce कामकाज को आसान बनाने और टास्क्स को ऑटोमेट करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर ज़ोर लगा रही है। यह बदलाव उस समय आया है जब कंपनी ने पिछले कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर लेयॉफ्स किए थे।
कंपनी के CEO मार्क बेनिऑफ़ का कहना है कि AI अभी Salesforce के काम का 30 से 50 फीसदी हिस्सा है। ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “हम सभी को यह समझना होगा कि AI वो काम कर सकता है जो पहले हम करते थे। इससे हम ज़्यादा महत्वपूर्ण कामों पर ध्यान दे पाएंगे।”
टेक इंडस्ट्री का AI रुझान
बेनिऑफ़ के ये बयान ऐसे वक्त में आए हैं जब पूरी टेक इंडस्ट्री AI को लेकर गंभीर है। कंपनियां लागत कम करने, प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और वर्कफोर्स को नया आकार देने के लिए AI पर भरोसा कर रही हैं। इसी साल Salesforce ने AI को ध्यान में रखते हुए करीब 1,000 कर्मचारियों की छंटनी की थी।
लेकिन AI का असर सिर्फ Salesforce तक सीमित नहीं है। साइबर सिक्योरिटी फर्म CrowdStrike और स्वीडिश फिनटेक कंपनी Klarna जैसी कंपनियां भी AI में निवेश करते हुए अपने स्टाफ को कम कर रही हैं। अमेज़न के CEO एंडी जैसी ने भी AI के ज़रिए भूमिकाओं को कम करने की बात कही है।
नौकरियों पर खतरा?
AI का रोज़गार पर पड़ने वाला असर अब एक गर्म मुद्दा बन चुका है। Anthropic के CEO डारियो अमोदेई का कहना है कि AI अगले पांच सालों में एंट्री-लेवल व्हाइट-कॉलर नौकरियों का 50 फीसदी हिस्सा खत्म कर सकता है।
अमेरिकी थिंक टैंक The Brookings Institution की एक स्टडी में भी यही चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, AI मार्केट रिसर्च एनालिस्ट, सेल्स रिप्रेजेंटेटिव और ग्राफिक डिज़ाइनर जैसी भूमिकाओं में किए जाने वाले आधे से ज़्यादा कामों की जगह ले सकता है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स के लिए मुश्किलें
Salesforce की CFO रॉबिन वाशिंगटन ने पिछले महीने ब्लूमबर्ग को बताया था कि AI की वजह से कंपनी अब कम सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को हायर कर रही है। उनका कहना था, “हम AI को असिस्टेंट की तरह देखते हैं, लेकिन यह हमें कम लोगों को हायर करने और मौजूदा टीम को ज़्यादा प्रोडक्टिव बनाने में मदद करेगा।”
यह बात उन लाखों छात्रों के लिए चिंता का विषय है जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की तैयारी कर रहे हैं, खासकर भारत में। बड़ी टेक कंपनियों में नौकरी पाने के चांस अब पहले से कम नज़र आ रहे हैं।
AI की सटीकता और चुनौतियां
बेनिऑफ़ ने AI के बढ़ते इस्तेमाल को “डिजिटल लेबर रिवॉल्यूशन” बताया है। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि Salesforce का AI अभी 93 फीसदी सटीकता के स्तर पर काम कर रहा है।
हालांकि, उनका मानना है कि AI की 100 फीसदी सटीकता हासिल करना यथार्थवादी नहीं है। उनके मुताबिक, दूसरे वेंडर्स इस मामले में पीछे हैं क्योंकि उनके पास डेटा और मेटाडेटा की कमी है।
क्या होगा आगे?
तकनीक के तेज़ विकास के साथ यह सवाल उठना लाज़मी है कि आखिरकार इंसानी रोज़गार का भविष्य क्या होगा। शायद अब कंपनियों और कर्मचारियों दोनों को ही नए हुनर सीखने पर ध्यान देना होगा।
एक तरफ जहां AI प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में मददगार है, वहीं यह समाज में बदलाव की एक बड़ी लहर भी ला सकता है। मुमकिन है कि आने वाले सालों में हमें रोज़गार के नए मॉडल्स देखने को मिलें।