यूरोपीय आयोग ने बड़ी टेक कंपनियों पर नेटवर्क फीस को लेकर क्या कहा?
यूरोपीय आयोग का मानना है कि 5G और ब्रॉडबैंड के विस्तार की लागत को लेकर बड़ी टेक कंपनियों पर नेटवर्क फीस लगाना कोई व्यावहारिक समाधान नहीं है। गुरुवार को आयोग के प्रवक्ता ने यह बात कही। यह मुद्दा यूरोप के प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटर्स और गूगल, मेटा, नेटफ्लिक्स जैसी टेक दिग्गज कंपनियों के बीच लंबे समय से चल रही बहस का हिस्सा है।
डॉयचे टेलीकॉम, ऑरेंज, टेलीफोनिका और टेलीकॉम इटालिया जैसी कंपनियों का तर्क है कि इंटरनेट ट्रैफिक का बड़ा हिस्सा इन टेक कंपनियों के प्लेटफॉर्म्स से आता है, इसलिए उन्हें ‘फेयर शेयर फंडिंग’ के तहत कुछ लागत वहन करनी चाहिए। लेकिन दूसरी तरफ, टेक कंपनियां इसे एक तरह का ‘इंटरनेट टैक्स’ बता कर विरोध करती आई हैं।
व्हाइट हाउस के बयान के बाद क्या बदला?
28 जुलाई को अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच एक व्यापार समझौते के बाद जारी व्हाइट हाउस के फैक्ट शीट ने इस बहस को और तेज कर दिया। इसमें कहा गया था कि यूरोपीय संघ नेटवर्क यूजेज फीस लागू नहीं करेगा। हालांकि, यूरोपीय आयोग ने स्पष्ट किया कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर कानून बनाने का अधिकार उसके पास है।
आयोग के प्रवक्ता थॉमस रेग्नियर ने कहा कि पिछले साल फरवरी में जारी एक व्हाइट पेपर में इस मुद्दे पर फैसला किया जा चुका है। उन्होंने कहा, *”हमने पहले ही आकलन कर लिया है कि नेटवर्क फीस लगाना कोई व्यवहारिक समाधान नहीं है।”*
क्या सिर्फ अमेरिकी कंपनियों को छूट मिलेगी?
रेग्नियर ने इस बात पर जोर दिया कि अगर कोई छूट दी जाती है, तो वह सिर्फ अमेरिकी कंपनियों के लिए नहीं होगी। उनके मुताबिक, *”यह स्पष्ट करना जरूरी है कि ऐसा कोई भी नियम सभी पर समान रूप से लागू होगा।”*
यूरोपीय आयोग नवंबर में ‘डिजिटल नेटवर्क्स एक्ट’ नामक एक विधेयक पेश करने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य यूरोप भर में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना है।
टेक कंपनियों का क्या रुख रहा?
बड़ी टेक कंपनियों का कहना है कि वे पहले से ही अपनी सेवाओं की दक्षता बढ़ाने के लिए भारी निवेश कर रही हैं। उनका तर्क है कि अगर उन पर अतिरिक्त फीस लगाई गई, तो इसका असर नवाचार और छोटे व्यवसायों पर पड़ सकता है। शायद यही वजह है कि यूरोपीय आयोग भी इस प्रस्ताव को लेकर सतर्क दिख रहा है।
आगे की राह क्या है?
फिलहाल, यह बहस जारी रहने की उम्मीद है। नवंबर में आने वाले डिजिटल नेटवर्क्स एक्ट में शायद कुछ और स्पष्टता मिले। लेकिन अभी तक जो संकेत मिले हैं, उनके मुताबिक यूरोपीय संघ टेक कंपनियों पर सीधे नेटवर्क फीस थोपने के बजाय किसी और रास्ते की तलाश कर रहा है।
इस पूरे विवाद में एक बात साफ है – डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार की लागत को लेकर टेलीकॉम और टेक सेक्टर के बीच तालमेल की जरूरत है। और हो सकता है कि आने वाले महीनों में इस दिशा में कोई ठोस समाधान सामने आए।