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Apple के नए App Store नियमों को EU की मंजूरी मिलने की संभावना

यूरोपीय संघ की मंजूरी की ओर एप्पल के नए एप स्टोर नियम

एप्पल द्वारा एप स्टोर के नियमों और फीस संरचना में किए गए बदलावों को यूरोपीय संघ (ईयू) के प्रतिस्पर्धा नियामकों से हरी झंडी मिलने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, यह कदम आईफोन निर्माता को भारी रोजाना जुर्माने से बचा सकता है।

लेकिन यह मामला इतना सीधा नहीं है। एप्पल ने पिछले महीने घोषणा की थी कि डेवलपर्स को एप स्टोर के जरिए किए गए खरीदारी पर 20% प्रोसेसिंग फीस देनी होगी। हालांकि, कंपनी के स्मॉल-बिजनेस प्रोग्राम के तहत यह फीस 13% तक कम हो सकती है।

बाहरी पेमेंट पर नई छूट

सबसे दिलचस्प बदलाव यह है कि अब डेवलपर्स उपयोगकर्ताओं को एप स्टोर से बाहर पेमेंट के लिए रीडायरेक्ट कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में उन्हें सिर्फ 5% से 15% के बीच फीस देनी होगी। और तो और, डेवलपर्स बाहरी पेमेंट सिस्टम की ओर ले जाने के लिए अब कितने भी लिंक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।

ये सारे बदलाव अप्रैल में यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए 50 करोड़ यूरो (लगभग 586.7 करोड़ डॉलर) के जुर्माने के बाद किए गए हैं। ईयू ने आरोप लगाया था कि एप्पल के तकनीकी और वाणिज्यिक प्रतिबंधों ने डिजिटल मार्केट्स एक्ट (डीएमए) का उल्लंघन करते हुए डेवलपर्स को सस्ते विकल्पों की ओर उपभोक्ताओं को निर्देशित करने से रोका।

बिग टेक पर लगाम के प्रयास

कंपनी को डीएमए के तहत इन प्रतिबंधों को हटाने के लिए 60 दिन का समय दिया गया था। यह कानून बड़ी टेक कंपनियों पर नियंत्रण और प्रतिस्पर्धियों को ज्यादा गुंजाइश देने के मकसद से बनाया गया है।

सूत्रों का कहना है कि यूरोपीय आयोग को आने वाले हफ्तों में इन बदलावों को मंजूरी दे देनी चाहिए। हालांकि, समयसीमा में अभी भी बदलाव हो सकता है। एक यूरोपीय नियामक ने कहा, “सभी विकल्प खुले हैं। हम अभी भी एप्पल के प्रस्तावित बदलावों का आकलन कर रहे हैं।”

रोजाना 50 करोड़ यूरो का खतरा

एप्पल ने इन बदलावों को लागू करते हुए कहा था कि वह दंडात्मक रोजाना जुर्माने से बचना चाहता है। साथ ही कंपनी ने आयोग पर अपने स्टोर के संचालन में दखल देने का आरोप भी लगाया था।

अगर एप्पल नियमों का पालन नहीं करता, तो उसे अपनी वैश्विक दैनिक आय का 5% यानी लगभग 50 लाख यूरो प्रतिदिन का जुर्माना भरना पड़ सकता था। यह रकम किसी भी कंपनी के लिए बड़ी चुनौती हो सकती थी।

अभी भी अनिश्चितता बरकरार

हालांकि मामला अभी पूरी तरह सुलझा नहीं है। यूरोपीय आयोग की ओर से दिया गया बयान साफ करता है कि वे अभी भी स्थिति का मूल्यांकन कर रहे हैं। शायद एप्पल को कुछ और छोटे-मोटे बदलाव करने पड़ें। या फिर मौजूदा प्रस्ताव ही मंजूर हो जाए।

एक बात तो तय है – यूरोपीय संघ बिग टेक कंपनियों पर सख्त नजर रखने का इरादा रखता है। और एप्पल जैसी कंपनियों के लिए यह नया दौर चुनौतियों से भरा हो सकता है।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।