क्या AI एक्ट नवाचार को रोक देगा? अब सबकी निगाहें यूरोपीय आयोग पर
अब जब 2 अगस्त की समयसीमा नजदीक है, सवाल उठ रहा है—क्या आयोग कंपनियों और राजनीतिक दबावों के आगे झुकेगा?
कंपनियों की मुख्य चिंता यह है कि बिना स्पष्ट दिशानिर्देशों के, उन्हें उन दायित्वों का पालन करना होगा जो न सिर्फ तकनीकी रूप से जटिल हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी भारी हैं। एआई मॉडल की पारदर्शिता, एल्गोरिदमिक बायस, एनर्जी एफिशिएंसी और कानूनी ज़िम्मेदारी जैसे मुद्दे उनके लिए नए हैं, और उन्हें लागू करने की लागत भारी पड़ सकती है।
इस बीच, यूरोपीय आयोग यह स्पष्ट कर चुका है कि वो जनरल पर्पज एआई मॉडल्स (GPAI) के लिए बनाए गए नियमों को लागू करने के लिए तैयार है। लेकिन व्यवहार में, जब तक AI Code of Practice और अन्य कानूनी दिशानिर्देश पूरी तरह प्रकाशित नहीं होते, तब तक अनुपालन मुश्किल ही रहेगा।
‘क्लॉक-स्टॉप’ की मांग तेज़
टेक लॉबी समूहों और कंपनियों की ओर से ‘क्लॉक-स्टॉप’ की मांग सिर्फ समय की देरी नहीं है—यह एक तरह की लीगल ग्रेस पीरियड है, जो उन्हें संभावित जुर्माने और कानूनी जोखिम से बचा सकती है।
यदि यूरोपीय आयोग इस मांग को स्वीकार करता है, तो यह संकेत होगा कि वह व्यावहारिक चुनौतियों को समझता है। यदि नहीं, तो कई कंपनियाँ यूरोपीय बाजार में अपने एआई उत्पादों की रफ्तार धीमी कर सकती हैं, या फिर नवाचार को अमेरिका और एशिया जैसे कम रेग्युलेटेड मार्केट्स की ओर मोड़ सकती हैं।
भविष्य की राह
आयोग को एक संतुलन साधना होगा—एक ओर उसे नागरिकों की निजता और AI पारदर्शिता सुनिश्चित करनी है, तो दूसरी ओर यूरोपीय टेक इंडस्ट्री की प्रतिस्पर्धात्मकता भी बचानी है।
इस समय आयोग के पास दो रास्ते हैं:
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या तो AI एक्ट को उसी समयसीमा में लागू करना, जिसमें कानूनी स्पष्टता कम है,
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या फिर कंपनियों को एक अंतरिम सुरक्षा कवच (क्लॉक-स्टॉप) देकर, उन्हें तैयार होने का समय देना।
इस विवाद के समाधान में जो भी रास्ता चुना जाएगा, वह आने वाले वर्षों में यूरोप की एआई लीडरशिप की दिशा तय करेगा।