Axiom-4 Space Mission: स्पेस जाने से पहले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने क्यों सुना ऋतिक रोशन का गाना ‘वंदे मातरम’?
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो 25 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हो रहे हैं, ने अपनी स्पेस यात्रा से पहले एक खास देशभक्ति गाना सुना। यह गाना था ऋतिक रोशन की फिल्म ‘फाइटर’ का ‘वंदे मातरम’ गाना, जो भारतीय वायुसेना और देशभक्ति से भरपूर था। शुभांशु शुक्ला, जो राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय हैं जो स्पेस स्टेशन की ओर जा रहे हैं, ने इस गाने को अपनी स्पेस यात्रा से पहले प्रेरणा लेने के तौर पर चुना।
‘वंदे मातरम’ गाना क्यों है शुभांशु शुक्ला का पसंदीदा?
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का कहना है कि उन्हें ऋतिक रोशन की फिल्म ‘फाइटर’ का ‘वंदे मातरम’ गाना बेहद पसंद है। इस गाने के बोल “वंदे मातरम, ख्वाब नहीं, एक जश्न है भारत” में गहरी देशभक्ति की भावना है, जो उन्हें हमेशा प्रेरित करती है। फिल्म ‘फाइटर’ भारतीय सेना की वीरता और बलिदान को समर्पित है, और ‘वंदे मातरम’ गाने को विशाल ददलानी और अन्य गायकों ने गाया है। यह गाना न केवल एक प्रेरणा है, बल्कि यह देश के प्रति सम्मान और प्यार को भी दर्शाता है।
नासा की परंपरा और शुभांशु शुक्ला का गाना सुनने का कारण
नासा में यह परंपरा रही है कि अंतरिक्ष यात्री अपने मिशन के लिए लॉन्च पैड पर जाते वक्त अपना पसंदीदा म्यूजिक सुनते हैं। यह म्यूजिक उनके मानसिक शांति के लिए होता है, जिससे वे अपने परिवार से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं और मिशन के तनाव को कम कर पाते हैं। शुभांशु शुक्ला ने भी इस परंपरा का पालन किया और अपना पसंदीदा गाना ‘वंदे मातरम’ सुना। यह गाना उनके लिए एक मानसिक संबल था, जो उन्हें अपनी स्पेस यात्रा के लिए प्रेरित करता है।
फाइटर फिल्म और ‘वंदे मातरम’ गाने का महत्व
‘फाइटर’ फिल्म भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता, बलिदान और देशभक्ति को श्रद्धांजलि अर्पित करती है। ‘वंदे मातरम’ गाने के बोल हर भारतीय को गर्व महसूस कराते हैं। इस गाने के माध्यम से देशभक्ति का अहसास होता है, और यह गाना स्पेस यात्रा के दौरान शुभांशु शुक्ला के मानसिक दृष्टिकोण को और भी मजबूत करता है।
अंतिम विचार
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन भारतीय वायुसेना और पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उन्होंने अपनी स्पेस यात्रा से पहले ‘वंदे मातरम’ जैसे प्रेरणादायक गाने को सुनकर अपनी मानसिक तैयारी को और भी मजबूत किया। यह साबित करता है कि भारतीय वायुसेना के पायलट और अंतरिक्ष यात्री न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी उच्चतम स्तर की तैयारी करते हैं।