शहरी सहकारी बैंकों की डिजिटल क्रांति: अमित शाह ने ‘सहकार Digi-Pay’ और ‘सहकार Digi-Loan’ ऐप्स का शुभारंभ, हर 2 लाख+ आबादी वाले शहर में 5 वर्ष में एक UCB का लक्ष्य
नई दिल्ली, 11 नवंबर 2025: केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहयोगिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में आयोजित Co‑Op Kumbh 2025 में शहरी सहकारी बैंकों (UCB-urban cooperative banks) के लिए दो डिजिटल ऐप्स ‘सहकार Digi-Pay’ और ‘सहकार Digi-Loan’ लॉन्च किए, साथ ही कहा कि अगले पांच वर्षों में हर उस शहर में जिसमें 2 लाख से अधिक जनसंख्या है, वहां एक अतिरिक्त शहरी सहकारी बैंक स्थापित किया जाएगा।
मुख्य बातें:
- ‘सहकार Digi-Pay’ व ‘सहकार Digi-Loan’ ऐप्स के माध्यम से सहकारी बैंक ग्राहकों को पेमेंट व लोन की प्रक्रिया डिजिटल, कागज-रहित और पारदर्शी होगी।
- अगले दो वर्षों में लगभग 1,500 UCBs को इन प्लेटफार्मों पर शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
- पिछले दो वर्षों में UCB-क्षेत्र का ग्रॉस एनपीए 2.8% से घटकर 0.6% तक आ गया है।
- मंत्रालय ने कहा है कि 5 वर्षों में प्रत्येक शहर (2 लाख+ आबादी) में कम-से-कम एक शहरी सहकारी बैंक खोलना प्रतिबद्धता है।
- ऐप्स के माध्यम से लगभग 9 करोड़ जमा-कर्ता व उधारकर्ता लाभान्वित हो सकते हैं।
क्या हुआ
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित Co-Op Kumbh 2025 के उद्घाटन सत्र में अमित शाह ने घोषणा की कि शहरी सहकारी बैंकों को डिजिटल बनाने का महत्वपूर्ण चरण आज से शुरू हो रहा है। उन्होंने इस मौके पर ‘सहकार Digi-Pay’ और ‘सहकार Digi-Loan’ ऐप्स पेश किए।
इन ऐप्स के जरिये सहकारी बैंक ग्राहकों को पेमेंट, लोन आवेदन, ऑन-बोर्डिंग व अन्य बैंकिंग-सुविधाएं मोबाइल व डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराई जाएंगी। निकायों को निर्देश दिए गए हैं कि अगले दो वर्षों में लगभग 1,500 शहरी सहकारी बैंकों को इस प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाए।
अहम तथ्य-डेटा
- भारत में शहरी सहकारी बैंकें (UCBs) कई लाख ग्राहकों को सेवाएं देती हैं, और इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से लगभग 9 करोड़ जमा-ग्राहक व उधारकर्ता लाभान्वित हो सकते हैं।
- UCB-क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में एनपीए (Non-Performing Assets) 2.8 % से घटकर 0.6 % हुआ है — यह सुधार वित्तीय अनुशासन व सुधारों का संकेत है।
- मंत्रालय ने कहा है कि 5 वर्षों में उन सभी शहरों में, जिनकी आबादी 2 लाख से अधिक है, एक अतिरिक्त शहरी सहकारी बैंक खोलने का लक्ष्य रखा गया है।
- इन ऐप्स में पेमेंट व लोन दोनों मॉड्यूल हैं: ‘Digi-Pay’ पेमेंट व सिक्योर ट्रांजैक्शन सुविधा देगा, ‘Digi-Loan’ बैंकिंग ग्राहकों को डिजिटल लोन प्रोसेसिंग देगा।
प्रतिक्रियाएँ
अमित शाह ने कहा कि डिजिटल भुगतान व बैंकिंग के इस युग में यदि शहरी सहकारी बैंक समय के अनुरूप नहीं चलें, तो बैंकिंग के इस प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में पिछड़ जाएँगे।
NAFCUB (नेशनल फेडरेशन ऑफ़ अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक एंड क्रेडिट सोसाइटीज) के अध्यक्ष ने हालांकि 20 UCBs के बंद होने के कगार पर होने की चिंता जताई और कहा, “सिर्फ एनपीए कम होना काफी नहीं, संचालन व बैंकिंग मॉडल को पुनर्स्थापित करना होगा।”
वर्तमान स्थिति / आगे क्या होगा
अब जब ऐप्स लॉन्च हो चुकी हैं, अगला कदम इन दोनों प्लेटफार्मों पर UCB-बैंकों का ऑन-बोर्डिंग है। मंत्रालय ने निर्देश दिए हैं कि अगले दो वर्षों में कम-से-कम 1,500 शहरी सहकारी बैंक इन ऐप्स से जुड़ें।
साथ ही, अगले पांच वर्ष में प्रत्येक दो लाख से अधिक आबादी वाले शहर में एक अतिरिक्त UCB स्थापित करने का रोडमैप तय किया गया है।
आगे चलकर यह देखा जाएगा कि इन डिजिटल ऐप्स के माध्यम से जमा-ग्राहकों व उधार-ग्राहकों की संख्या में कितनी वृद्धि होती है, और बैंकिंग-प्रवेश (financial inclusion) में कितना सुधार आता है।
प्रासंगिकता / पृष्ठभूमि
शहरी सहकारी बैंकें भारत में छोटे व्यापारियों, मध्यम वर्ग व स्वयं-रोजगार वाले युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय स्रोत रही हैं। हालांकि, उन्हें अक्सर डिजिटल बैंकिंग व भुगतान प्रणालियों में पिछड़ापन रहा है। इस परिदृश्य में ‘सहकार Digi-Pay’ व ‘सहकार Digi-Loan’ जैसे ऐप्स एक बड़े बदलाव का संकेत हैं।
इसके अलावा, बैंकिंग-साक्षरता व डिजिटल-पहुंच को बढ़ावा देना देश में वित्तीय समावेशन (financial inclusion) के लक्ष्य से जुड़ा हुआ है। यह कदम भारत के डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार व कम-कागजी बैंकिंग दर्शन से मेल खाता है।
जब शहरी सहकारी बैंकें डिजिटल तौर पर सक्षम होंगी, तो ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी, बैंक-अपरेशन लागत कम होगी, और वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी। इस तरह यह पहल न सिर्फ बैंकिंग सेक्टर के लिए, बल्कि छोटे व्यापारियों व सदस्यों के लिये भी मायने रखती है।





