गिल की आक्रामकता पर मनोज तिवारी ने उठाए सवाल
भारतीय टीम के नए टेस्ट कप्तान शुभमन गिल इन दिनों अपने आक्रामक रवैये के लिए चर्चा में हैं। लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट के दौरान उनका इंग्लिश ओपनर ज़ाक क्रॉली के साथ हुआ तनावपूर्ण विवाद अब भी सुर्खियां बटोर रहा है। मैच के तीसरे दिन शाम को क्रॉली ने जानबूझकर समय बर्बाद करने की कोशिश की, जिस पर आमतौर पर शांत दिखने वाले गिल भड़क गए और उनके बीच गर्मागर्म बहस हुई।
“कोहली की नकल कर रहे हैं गिल”
पूर्व भारतीय खिलाड़ी मनोज तिवारी अब गिल के आलोचकों की लंबी सूची में शामिल हो गए हैं। तिवारी का मानना है कि गिल विराट कोहली की तरह आक्रामक दिखने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका उनकी बल्लेबाजी पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
तिवारी ने स्पोर्ट्सबूम को दिए इंटरव्यू में कहा, *”मुझे कप्तान गिल का यह तरीका पसंद नहीं आ रहा। मेरे ख़्याल से वह पिछली बार विराट ने जो किया, उसकी नकल कर रहे हैं। और इसका नतीजा यह हो रहा है कि उनकी बल्लेबाज़ी प्रभावित हो रही है।”*
आईपीएल कप्तानी से बदला व्यवहार?
तिवारी ने आगे बताया कि गिल का यह बदला हुआ रवैया उन्हें आईपीएल में कप्तानी मिलने के बाद से दिख रहा है। *”जब से उन्हें आईपीएल में कप्तानी मिली है, मैंने देखा है कि वह अधिक आक्रामक होते जा रहे हैं। अंपायरों से उनकी बहस भी अब ज़्यादा नज़र आती है। यह शुभमन गिल वाली बात नहीं है। उन्हें इस तरह की आक्रामकता दिखाने की ज़रूरत नहीं, उन्हें किसी को कुछ साबित करने की आवश्यकता नहीं।”*
बिना बोले भी दिखाई जा सकती है आक्रामकता
पूर्व बंगाल कप्तान का मानना है कि गिल बिना शब्दों का इस्तेमाल किए भी अपनी आक्रामकता दिखा सकते हैं। *”मैं समझता हूँ कि कप्तान को आगे बढ़कर नेतृत्व करना चाहिए, लेकिन इतनी आक्रामकता ज़रूरी नहीं। इससे आपकी ऊर्जा बर्बाद होती है। वह अपने अंदाज़ में आक्रामक रह सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि आपको हर बार जवाबी कार्रवाई करनी ही हो। टेस्ट मैच जीतकर भी तो आक्रामकता दिखाई जा सकती है।”*
तिवारी ने आगे कहा, *”भारत आसानी से इस सीरीज में 2-1 से आगे हो सकता था। खेल के लिए, खासकर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान के लिए, यह तरह की आक्रामकता अच्छी नहीं है।”*
स्टंप माइक पर सुनाई दी अशालीन भाषा
तिवारी विवाद के दौरान स्टंप माइक पर सुनाई दी भाषा से विशेष रूप से नाराज़ दिखे। *”मैं उस भाषा और शब्दों से खुश नहीं हूँ जो स्टंप माइक पर सुनाई दे रहे हैं। आप भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह एक ट्रेंड बन गया है, क्योंकि पिछले कप्तानों ने भी शायद अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया होगा, लेकिन इस पर नियंत्रण ज़रूरी है। अगर आप गाली-गलौज का इस्तेमाल करेंगे, तो अगली पीढ़ी भी इसे सीखेगी।”*
क्या सचमुच बदल गया है गिल का स्वभाव?
यह सवाल अब गंभीरता से उठने लगा है कि क्या टीम की कप्तानी संभालने के बाद शुभमन गिल का स्वभाव ही बदल गया है। वह खिलाड़ी जो पहले अपनी शांत और संयमित छवि के लिए जाना जाता था, अब अचानक हर मौके पर आक्रामक नज़र आने लगा है।
लेकिन क्या यह सचमुच उनका अपना स्वभाव है, या फिर टीम को ‘कठिन’ दिखाने की कोशिश? क्रिकेट विशेषज्ञों का एक वर्ग मानता है कि गिल पर पूर्व कप्तान विराट कोहली के प्रभाव में ऐसा करने का दबाव हो सकता है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यह आक्रामकता अब एक आवश्यकता बन गई है।
संतुलन बनाने की ज़रूरत
एक बात साफ़ है – आक्रामकता और अशिष्टता के बीच की पतली रेखा को समझना ज़रूरी है। गिल जैसे युवा कप्तान के लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। टीम को लीड करने के लिए ज़रूरी है कि वह अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं। मैच जीतकर दिखाना, शायद शब्दों से जवाब देने से कहीं बेहतर होगा।
अगले कुछ मैच यह तय करेंगे कि गिल इस आलोचना को कैसे लेते हैं – चाहे वह अपने तरीके पर कायम रहें, या फिर एक संतुलित रवैया अपनाएं।