नई दिल्ली, 22 अक्टूबर 2025: Tata Trusts ने प्रमुख ट्रस्टी Venu Srinivasan को सर्वसम्मति से ‘लाइफ‐टाइम’ ट्रस्टी के तौर पर पुनः नियुक्त किया है। इसके साथ ही अब ध्यान इस संस्था के दूसरे अहम ट्रस्टी Mehli Mistry की आगामी पुनर्नियुक्ति पर केंद्रित हो गया है, जहां बोर्ड में चल रही आंतरिक खींचतान और सत्ता संतुलन की चुनौतियाँ सामने आ रही हैं।
मुख्य बातें – Key Points:
- Tata Trusts ने Venu Srinivasan को उनकी वर्तमान अवधि समाप्त होने से पहले सर्वसम्मति से आजीवन ट्रस्टी बनाया।
- अब Mehli Mistry की ट्रस्टीशिप का मामला है; उनकी अवधि 28 अक्टूबर 2025 को समाप्त हो रही है।
- नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर ट्रस्ट के भीतर दो धड़ों के बीच मतभेद की खबरें हैं – एक Noel Tata-समर्थक, दूसरी उस ओर जो Mistry के साथ खड़ी दिख रही है।
- Tata Trusts की संपत्ति एवं नियंत्रणाधिकार वाली संरचनाएं (उदाहरण के तौर पर Tata Sons में 66 % हिस्सेदारी) इस पुनर्नियुक्ति को कॉर्पोरेट गवर्नेंस और समूह की दिशा से सीधे जोड़ती हैं।
क्या हुआ
Tata Trusts ने अपनी नियमित पुनर्नियुक्ति प्रक्रिया के अंतर्गत, Venu Srinivasan को ट्रस्टी पद पर आजीवन नियुक्त किया है। उनकी मौजूदा अवधि 23 अक्टूबर को समाप्त हो रही थी, लेकिन बोर्ड ने पहले प्रस्ताव दायर कर सर्वसम्मति से उन्हें ‘ट्रस्टी फॉर लाइफ’ का दर्जा दिया।
अब, उसी ट्रस्ट बोर्ड पर Mehli Mistry की नियुक्ति का मामला सामने आ गया है-उनकी अवधि 28 अक्टूबर को खत्म हो रही है और उनके पुनर्भरण को लेकर अब चर्चा तेज है।
प्रमुख तथ्य / आंकड़े
- Tata Trusts उपग्रह ट्रस्टों के समूह का शीर्ष निकाय है- जिसमें Sir Dorabji Tata Trust व Sir Ratan Tata Trust जैसे मुख्य ट्रस्ट शामिल हैं।
- इस समूह की हिस्सेदारी Tata Sons में करीब 66 % है, जो समूह की नीतिगत दिशा पर निर्णायक प्रभाव रखती है।
- ट्रस्टीशिप को ‘लाइफटाइम’ बनाने का निर्णय 17 अक्टूबर 2024 को लिया गया था, जिसमें कहा गया कि किसी ट्रस्टी को पुनर्नियुक्ति के लिए निरन्तरता के साथ नामित किया जाए, बशर्ते सर्वसम्मति हो।
- इस पुर्ननियुक्ति में अंदरूनी मतभेद उजागर हुए – एक धड़ा Noel Tata के पक्ष में, दूसरा Mehli Mistry के समर्थक समूह के रूप में देखा जा रहा है।
बयान या प्रतिक्रियाएँ
वन्य रूप से, Tata Trusts ने इस नियुक्ति पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
हालाँकि सूत्रों के अनुसार:
“Renewal and fresh appointment is required to be unanimous as per past practice. Renewal, after which it will be for life, requires unanimous approval.”
दूसरी ओर एक स्रोत ने कहा है:
“The reappointment is automatic and applies to all trustees.”
वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की नियुक्तियों में चल रही अस्थिरता समूह के कॉर्पोरेट गवर्नेंस और निवेशक विश्वास को प्रभावित कर सकती है।
वर्तमान स्थिति / आगे क्या होगा
अब पूरा ध्यान Mehli Mistry की पुनर्नियुक्ति पर है। उनकी अवधि 28 अक्टूबर को समाप्त हो रही है और इसके बाद उन्हें भी ‘लाइफ फॉर ट्रस्टी’ का दर्जा मिल सकता है-या नहीं। इस पर ट्रस्ट बोर्ड में चल रही खींचतान का परिणाम मायने रखेगा।
अगर पुनर्नियुक्ति को सर्वसम्मति नहीं मिलती, तो यह Tata Trusts के निर्णय-प्रक्रिया, समूह की स्थिरता और समय के साथ बदली भूमिका पर सवाल खड़े कर सकती है।
आगे की बैठकें, प्रस्ताव और वोटिंग की प्रक्रिया इस सप्ताह चर्चा का केंद्र होगी।
संदर्भ / पृष्ठभूमि: यह क्यों महत्वपूर्ण है
Tata Trusts की बोर्डरूम नियुक्तियां सिर्फ धर्मार्थ ट्रस्टों तक सीमित नहीं हैं-वे पूरे Tata समूह की नियंत्रण संरचना और रणनीति पर असर डालती हैं। जब एक ट्रस्टी को आजीवन नियुक्त किया जाता है, तो यह संकेत है कि समूह में स्थाई पॉवर व निरन्तरता बनाए रखने का मानस है।
Mehli Mistry का नाम भी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे Shapoorji Pallonji परिवार से संबंध रखते हैं, जिसका Tata Sons में करीब 18 % हिस्सेदारी है।
इस तरह, ट्रस्टीशिप प्रक्रिया, सर्वसम्मति की परंपरा और गृह-विभाजन जैसी बातों की खबरें निवेशकों, समूह के भागीदारों और मीडिया के लिए रुचिकर विषय बन जाती हैं। इस नियुक्ति से यह स्पष्ट होता है कि Tata समूह अब केवल धरोहर नहीं बल्कि भविष्य-प्रणाली तैयार करने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है-जिसका असर उद्योग, नियामक, शेयरधारक और समाज तीनों ही स्तरों पर महसूस किया जा रहा है।






