शाहरुख का ‘जीरो’ और लिलिपुट का सवाल: ‘छोटे कद के किरदार को दिखाने का तरीका गलत था’
2018 में आई फिल्म ‘जीरो’ को लेकर शाहरुख खान के फैंस की प्रतिक्रिया स्पष्ट थी – उन्हें यह फिल्म पसंद नहीं आई। शायद यही वजह रही कि इस फिल्म के फ्लॉप होने का झटका शाहरुख को इतना गहरा लगा कि उन्होंने फिल्मों से कुछ समय का ब्रेक ले लिया। 2023 में ‘पठान’, ‘जवान’ और ‘डंकी’ के साथ ही वह वापस आए। लेकिन ‘जीरो’ में छोटे कद के इंसान के किरदार को लेकर बहस अब भी जारी है।
MM फारुकी, जिन्हें लिलिपुट के नाम से जाना जाता है, ने हाल ही में एक इंटरव्यू में इस मुद्दे पर अपनी राय रखी। उन्होंने शाहरुख के प्रयास की तुलना कमल हासन की ‘अप्पू राजा’ से करते हुए कहा कि शाहरुख ने कमल की नकल करने की कोशिश की, जबकि वह “उनके पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हैं।”
‘छोटे कद वाले लोग सामान्य होते हैं, उन्हें सिर्फ टेक्नॉलजी से छोटा दिखाना गलत’
रेड एफएम पॉडकास्ट को दिए इंटरव्यू में लिलिपुट ने कहा, “जो आदमी अंधा नहीं है, वह अंधे का अभिनय कर सकता है। लेकिन जो आदमी बौना नहीं है, वह बौने का अभिनय कैसे करेगा? क्योंकि छोटे कद के लोग सामान्य होते हैं। उनके हाथों की हरकतें सामान्य होती हैं, वे हंसते हैं, सोचते हैं बिल्कुल दूसरों की तरह। बस उनका दिखना अलग होता है। तो आप उसे कैसे दिखाएंगे? आप तकनीक की मदद से उसे छोटा दिखा देंगे।”
उनकी यह टिप्पणी सीधे तौर पर ‘जीरो’ में शाहरुख के किरदार को लेकर है, जहां VFX का इस्तेमाल करके उन्हें छोटे कद का दिखाया गया था।
कमल हासन का उदाहरण और नकल का आरोप
लिलिपुट ने कमल हासन की 1989 की फिल्म ‘अप्पू राजा’ का जिक्र करते हुए कहा कि शाहरुख ने उसी तरह का प्रयास किया। हालांकि, उनके मुताबिक, शाहरुख का प्रयास नाकाफी था। उन्होंने कहा, “कमल सर ने ‘अप्पू राजा’ में जो किया, वह अलग था। उन्होंने न सिर्फ शारीरिक बल्कि भावनात्मक स्तर पर भी किरदार को जिया। शाहरुख ने उनकी नकल करने की कोशिश की, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाए।”
यह बयान थोड़ा कठोर जरूर लगता है, लेकिन लिलिपुट का मानना है कि फिल्मों में छोटे कद के किरदारों को लेकर संवेदनशीलता की कमी है।
फिल्म इंडस्ट्री में छोटे कद के कलाकारों के लिए कम अवसर
लिलिपुट ने इस मौके पर यह भी कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में छोटे कद के असली कलाकारों को मौके ही नहीं दिए जाते। उन्होंने कहा, “हमें सिर्फ मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कोई गंभीर रोल नहीं दिया जाता। अगर कोई छोटे कद का किरदार होता है, तो बड़े स्टार को VFX की मदद से फिट कर दिया जाता है।”
यह सच है कि बॉलीवुड में छोटे कद के कलाकारों को अक्सर कॉमेडी या साइड रोल्स तक ही सीमित रखा जाता है। शायद यही वजह है कि लिलिपुट जैसे कलाकारों को यह सब खलता है।
‘जीरो’ का फ्लॉप और शाहरुख का सब्बाटिकल
‘जीरो’ के फ्लॉप होने के बाद शाहरुख खान ने करीब चार साल तक फिल्मों से ब्रेक ले लिया था। कहा जा सकता है कि इस फिल्म की विफलता ने उन्हें गहराई तक झकझोर दिया था। 2023 में वह ‘पठान’, ‘जवान’ और ‘डंकी’ के साथ वापस आए, और इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया।
लेकिन ‘जीरो’ को लेकर बहस अब भी जारी है। क्या वाकई में छोटे कद के किरदारों को असली कलाकारों के जरिए ही दिखाना चाहिए? या फिर VFX और तकनीक का इस्तेमाल जायज है? लिलिपुट का मानना है कि पहला विकल्प ही सही है।
क्या है आगे का रास्ता?
फिल्म इंडस्ट्री को इस मामले में और संवेदनशील होने की जरूरत है। छोटे कद के कलाकारों को भी बराबर का मौका मिलना चाहिए। तकनीक का इस्तेमाल जरूर हो, लेकिन उसकी एक सीमा हो।
शाहरुख खान ने ‘जीरो’ में एक चुनौतीपूर्ण रोल करने की कोशिश की थी, लेकिन शायद यह प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। लिलिपुट की टिप्पणियां इस बात की याद दिलाती हैं कि फिल्मों में विविधता और प्रतिनिधित्व को लेकर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
अब देखना यह है कि आने वाले समय में फिल्म निर्माता इस मुद्दे को कितनी गंभ