केरल फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के चुनावों में अयोग्य ठहराए जाने के बाद सैंड्रा थॉमस ने उठाई आवाज
प्रोड्यूसर सैंड्रा थॉमस ने केरल फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (KFPA) के आगामी चुनावों में खड़े होने से रोके जाने के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि उनकी उम्मीदवारी इसलिए खारिज कर दी गई क्योंकि वर्तमान नेतृत्व को डर है कि वह चुनाव जीत सकती हैं। इस बीच, उन्होंने एक और बड़ा आरोप लगाया है कि मलयालम सुपरस्टार मम्मूट्टी ने उन्हें फोन करके केस वापस लेने के लिए कहा, और साथ ही उनकी एक नियोजित फिल्म से भी पीछे हट गए।
काले पर्दे में नामांकन दाखिल करने से लेकर विवाद तक
पिछले महीने कोच्चि के KFPA कार्यालय में काले पर्दे में नामांकन पत्र जमा करने के बाद से ही सैंड्रा चर्चा में थीं। अब उनकी नामांकन अयोग्यता ने फिर से बहस छेड़ दी है। उनका आरोप है कि एसोसिएशन के अध्यक्ष एंटो जोसेफ मम्मूट्टी के “घरेलू नौकर” जैसा व्यवहार करते हैं। वहीं, उन्होंने दावा किया कि सुपरस्टार मोहनलाल के करीबी लोगों ने उन्हें पूरा समर्थन दिया है।
“अगर मेरा नामांकन खारिज नहीं किया गया होता, तो मैं एसोसिएशन में शीर्ष पर पहुँच सकती थी। क्या वे मेरा नामांकन इसलिए रद्द कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वे हार जाएंगे?” सैंड्रा ने वनइंडिया मलयालम को दिए इंटरव्यू में यह बात कही। उन्होंने आगे कहा, “एसोसिएशन के भीतर भ्रष्टाचार चरम पर है। यहाँ कई गलत कामों के लिए संस्था का इस्तेमाल किया जाता है।”
KFPA पर ‘AMMA की B-टीम’ होने का आरोप
सैंड्रा ने यह भी कहा कि KFPA अभी अभिनेताओं की संस्था AMMA की “B-टीम” की तरह काम कर रहा है। उनके मुताबिक, “हमारे एसोसिएशन के अध्यक्ष का काम एक स्टार की कार का दरवाजा खोलना और उनके लिए कुर्सी निकालना बन गया है। क्या यही स्थिति प्रोड्यूसर्स की होनी चाहिए?” उन्होंने दावा किया कि कई उद्योग जगत के लोगों ने निजी तौर पर उनका समर्थन किया है।
मम्मूट्टी का फोन और फिल्म से पीछे हटना
सैंड्रा ने बताया कि मम्मूट्टी ने हाल ही में उन्हें फोन करके केस न लड़ने की सलाह दी। “उन्होंने मुझसे 45 मिनट तक बात की। मैंने सिर्फ एक सवाल पूछा—’मम्मुक्का, अगर आपकी बेटी इस स्थिति में होती, तो क्या आप उसे यही सलाह देते?'” सैंड्रा के अनुसार, इस पर मम्मूट्टी ने कहा, “अब यह तुम पर है, सैंड्रा। मैं और कुछ नहीं कहूँगा।” लेकिन इसके बाद उन्होंने एक नियोजित फिल्म से भी हाथ खींच लिया।
मोहनलाल का समर्थन?
हालाँकि मोहनलाल ने इस मामले पर सीधे तौर पर कोई बात नहीं की, लेकिन सैंड्रा का कहना है कि उनके करीबी लोगों ने पूरा समर्थन दिया है। “जब उनके इतने करीबी लोग ऐसा कहते हैं, तो मैं इसे उनका समर्थन ही मानती हूँ,” उन्होंने कहा।
नामांकन अयोग्यता का कारण
ओनमनोरामा की रिपोर्ट के मुताबिक, सैंड्रा का नामांकन इस आधार पर खारिज किया गया कि उनके नाम पर सिर्फ दो फिल्मों के सेंसर सर्टिफिकेट हैं, जबकि एसोसिएशन के नियमों के अनुसार तीन की जरूरत होती है। हालाँकि सैंड्रा ने इसका जवाब देते हुए कहा कि वह फ्राइडे फिल्म हाउस के तहत कई फिल्मों की सह-निर्माता रह चुकी हैं, लेकिन KFPA ने इसे स्वीकार नहीं किया। एसोसिएशन का कहना है कि अब फ्राइडे फिल्म हाउस के मालिक विजय बाबू हैं।
अब क्या?
इस पूरे मामले ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक नई बहस छेड़ दी है। सैंड्रा का यह कदम न सिर्फ KFPA के भीतर के ताने-बाने को उजागर करता है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या इंडस्ट्री में महिला प्रोड्यूसर्स के लिए जगह बन पा रही है। अब सबकी निगाहें कोर्ट पर टिकी हैं, जहाँ से इस मामले का कोई निर्णय आना बाकी है।