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वर्ल्ड कप फाइनल की वो नर्वस सुबह: रोहित शर्मा ने याद किया पंत का ‘ऐक्टिंग’ वाला मोमेंट
ब्रिजटाउन के केन्सिंग्टन ओवल में एक साल पहले हुए टी20 वर्ल्ड कप फाइनल के दिन भारतीय कप्तान रोहित शर्मा सुबह 7 बजे से ही घबराहट महसूस कर रहे थे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच का हर पल तनाव से भरा था, लेकिन रिशभ पंत का एक चतुराई भरा कदम उन्हें 2022 में हुई उसकी सड़क दुर्घटना की याद दिला गया।
जब पंत ने खेल को रोकने का बहाना किया
दक्षिण अफ्रीका ने 177 रनों का पीछा करते हुए मैच को पलट दिया था। हेनरिक क्लासेन और डेविड मिलर की जोड़ी ने गेंदबाजों पर हमला शुरू कर दिया था। तभी पंत ने अपने घुटने पर दर्द का बहाना करते हुए खेल को रोक दिया। यह वही घुटना था जिसमें 14 महीने पहले सड़क हादसे में चोट लगी थी।
रोहित ने स्टार स्पोर्ट्स को दिए इंटरव्यू में कहा, “हार्दिक (पांड्या) को गेंदबाजी करनी थी। हम उसके साथ रणनीति बना रहे थे। मुझे नहीं पता था कि पंत ने ऐसा क्यों किया। मैं सच में सोच रहा था कि उसे फिर चोट लग गई है। लेकिन असल में वह खेल को थोड़ा रोकना चाहता था।”
क्लासेन का विकेट और मैच का पलटाव
खेल फिर से शुरू होने पर पहली ही गेंद पर हार्दिक ने क्लासेन को वाइड डेलिवरी पर कैच देने के लिए मजबूर कर दिया। पंत ने सटीक कैच लपका और भारत ने आखिरकार 7 रन से जीत हासिल कर 11 साल बाद आईसीसी ट्रॉफी अपने नाम की।
रोहित ने कहा, “उनका मोमेंटम बन चुका था। इसे तोड़ना जरूरी था। हार्दिक ने क्लासेन को आउट करके मैच पलट दिया।”
‘पंत साहब ने दिमाग लगाया’
इस घटना पर पहले भी रोहित ने कपिल शर्मा शो पर पंत की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था, “हमें गति तोड़नी थी। जब मैं फील्ड सेट कर रहा था, तभी अचानक पंत को जमीन पर गिरते देखा। फिजियो उसके घुटने पर टेप लगा रहा था। क्लासेन इंतजार कर रहा था। मैं यह नहीं कह रहा कि सिर्फ यही वजह थी, लेकिन पंत साहब ने दिमाग लगाया और चीजें हमारे पक्ष में हो गईं।”
पंत ने खुद क्या कहा?
पंत ने इस घटना पर स्टार स्पोर्ट्स को बताया था, “मैं सोच रहा था कि क्या करूं क्योंकि मोमेंटम उनकी तरफ चला गया था। उन्होंने 2-3 ओवर में कई रन बना लिए थे। मैं सोच रहा था कि वह पल कब आएगा जब हम वर्ल्ड कप जीतेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने फिजियो को समय लेने को कहा। जब रोहित भाई ने पूछा कि क्या मेरा घुटना ठीक है, तो मैंने कहा – ‘भैया, बस एक्टिंग कर रहा था’। कभी-कभी मैच में ऐसी चीजें करनी पड़ती हैं। हर बार यह काम नहीं करता, लेकिन अगर ऐसे मौके पर काम कर जाए, तो इससे बेहतर कुछ नहीं।”
एक साल बाद भी ताजी हैं यादें
इस फाइनल को एक साल बीत चुका है, लेकिन उस दिन के नर्वस मोमेंट्स और पंत की चतुराई की यादें अभी भी ताजा हैं। शायद यही वो छोटी-छोटी चीजें होती हैं जो बड़े मैचों में फर्क पैदा कर देती हैं। और कभी-कभी, एक अच्छी ‘ऐक्टिंग’ भी मैच का रुख मोड़ सकती है।