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भारत में निजी निवेश में सुधार के लिए RBI की बड़ी दर कटौती और आगे की राह

निजी निवेश में सुस्ती: RBI के एक्सपर्ट ने जताई चिंता

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सदस्य राम सिंह का कहना है कि भारत में निजी निवेश अभी भी पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौटा है। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक सिंह के मुताबिक, कैपिटल एक्सपेंडिचर, कॉरपोरेट क्रेडिट और डेट-टू-इक्विटी रेश्यो जैसे पैमानों पर स्थिति ठीक नहीं है। यही वजह है कि 6 जून को MPC ने रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की।

सिंह ने सिद्धार्थ उपासनी को दिए इंटरव्यू में कहा, “शहरी इलाकों में हाउसिंग, वाहनों और दूसरे प्रोडक्ट्स की मांग अभी भी कमजोर है। कंपनियां अपने कैश का इस्तेमाल नए प्रोडक्शन लाइन्स में निवेश की बजाय डिविडेंड देने या इक्विटी में लगाने को तरजीह दे रही हैं।”

50 बेसिस पॉइंट कटौती की वजह क्या थी?

MPC के फैसले को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति बनी थी। एक तरफ रेट कट गया, दूसरी तरफ स्टांस ‘न्यूट्रल’ कर दिया गया। सिंह इस पर कहते हैं, “हमारे फैसले डेटा और घरेलू प्राथमिकताओं पर आधारित थे। अप्रैल के बाद से महंगाई दर हमारे अनुमान से काफी नीचे रही है। मॉनसून के समय पर आने और कमोडिटी प्राइस में स्थिरता ने 50 बेसिस पॉइंट कटौती का रास्ता साफ किया।”

लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्यूट्रल स्टांस का मतलब यह नहीं कि अब रेट कटौती का सिलसिला खत्म हो गया है। “अगर जियोपॉलिटिकल स्थिति में कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो आगे भी 25 बेसिस पॉइंट की गुंजाइश बनी हुई है,” सिंह ने कहा।

ग्रोथ को लेकर क्या है

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।