मलयालम सिनेमा का वो कॉमेडी क्लासिक जो आज भी दिलाता है ठहाके
कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो चाहे जो भी मूड हो, हमारे चेहरे पर मुस्कान ला ही देती हैं। मलयालम सिनेमा की बात करें तो ‘पंजाबी हाउस’ (1998) ऐसी ही फिल्म है। 25 साल से भी ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी ये कॉमेडी दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए है। रफी-मेकार्टिन की इस जोड़ी ने जो मास्टरपीस बनाया, वो आज भी ताज़ा लगता है।
क्या है कहानी?
फिल्म की कहानी यूनी (दिलीप) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो कर्ज़दारों से बचने के लिए अपनी मौत का नाटक कर लेता है। मजबूरन वो एक पंजाबी परिवार के घर शरण लेता है जो केरल में रहता है। यहाँ वो खुद को गूंगा-बहरा बताकर नई पहचान बनाता है।
लेकिन मुश्किल तब होती है जब उसे दो लड़कियों से प्यार हो जाता है – एक तो उसकी मंगेतर सुजाता (जोमोल), दूसरी पूजा कौर (मोहिनी) जो असल ज़िंदगी में भी गूंगी है। ये ट्विस्ट फिल्म को और दिलचस्प बना देता है।
क्यों खास है ये फिल्म?
शायद इसलिए क्योंकि यहाँ कॉमेडी जबरदस्ती नहीं थोपी गई। हर चरित्र अपने आप में खास है – चाहे वो पंजाबी परिवार के सदस्य हों या फिर दिलीप का किरदार। संवाद आज भी याद किए जाते हैं। और तो और, मोहिनी और जोमोल ने अपने अभिनय से साबित किया कि कॉमेडी फिल्मों में भी हीरोइन्स की अहम भूमिका हो सकती है।
विवादों में घिरा मुख्य कलाकार
यहाँ एक बात गौर करने वाली है। फिल्म के हीरो दिलीप पर 2017 में एक अभिनेत्री के साथ यौन हिंसा की साजिश रचने का आरोप लगा था। इस वजह से आज कई लोग इस फिल्म को अलग नज़रिए से देखते हैं। लेकिन फिल्म अपने आप में एक अलग पहचान रखती है।
टाइमलेस ह्यूमर का जादू
आज के दौर में जहाँ ज्यादातर कॉमेडी फिल्में फ्लॉप हो जाती हैं, ‘पंजाबी हाउस’ का हास्य आज भी काम करता है। शायद इसलिए क्योंकि यहाँ चुटकुले नहीं, स्थितियाँ हास्य पैदा करती हैं। पंजाबी परिवार की मलयालम बोली हो या फिर दिलीप का प्रेटेंड करना – हर सीन में कुछ न कुछ खास है।
क्या कहते हैं दर्शक?
आज भी जब ये फिल्म टीवी पर आती है, लोग रुककर देखते हैं। कई लोगों के लिए तो ये बचपन की यादों का हिस्सा है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी इसकी डिमांड बनी हुई है। शायद यही किसी फिल्म की सच्ची कामयाबी होती है – समय के साथ और भी ज़्यादा प्रासंगिक हो जाना।
आखिरी बात
सच तो ये है कि ‘पंजाबी हाउस’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक अनुभव है। वो भी ऐसा जो हर बार नया लगता है। फिल्म इंडस्ट्री में आए दिन नई कॉमेडी फिल्में आती रहती हैं, लेकिन इसकी बराबरी कर पाना मुश्किल ही है। अगर आपने अभी तक नहीं देखी, तो शायद आप कुछ खास मिस कर रहे हैं।