भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता पर तेज़ी: ब्रसेल्स में पीयूष गोयल ने की उच्चस्तरीय बैठकें
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच चल रही मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की बातचीत अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस समय ब्रसेल्स में हैं, जहां उन्होंने यूरोपीय व्यापार मंत्रियों और अधिकारियों से मुलाकात कर वार्ता को नई गति देने पर जोर दिया।
मुख्य बातें
- पीयूष गोयल ने ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के साथ भारत-ईयू FTA पर चर्चा की।
- वार्ता का मुख्य फोकस बाजार पहुंच, आयात शुल्क, और बौद्धिक संपदा अधिकारों पर रहा।
- भारत और ईयू के बीच यह समझौता दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए बड़ा अवसर माना जा रहा है।
- इस यात्रा से उम्मीद है कि लंबे समय से अटकी वार्ता अब अंतिम चरण में पहुंच सकेगी।
- भारत 27 यूरोपीय देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहता है।
क्या हुआ ब्रसेल्स में
पीयूष गोयल की यह यात्रा भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते को गति देने के लिए की गई है, जो कई वर्षों से विभिन्न नीतिगत अड़चनों में फंसा हुआ था। बैठक के दौरान उन्होंने यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त से मुलाकात की और भारतीय उद्योगों के लिए बेहतर बाजार पहुंच की मांग उठाई।
सूत्रों के अनुसार, गोयल ने कृषि उत्पादों, वस्त्र, और आईटी सेवाओं पर लगने वाले ऊंचे शुल्कों को घटाने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं, यूरोपीय पक्ष ने पर्यावरण मानकों और डेटा संरक्षण जैसे मुद्दों पर अपने हितों को दोहराया।
मुख्य तथ्य और आंकड़े
भारत और यूरोपीय संघ के बीच 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 136 अरब डॉलर से अधिक का रहा। यूरोपीय संघ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि भारत ईयू के लिए एशिया में पांचवां प्रमुख बाजार है।
भारत इस समझौते के ज़रिए वस्त्र, दवा, ऑटो कंपोनेंट्स और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देना चाहता है, वहीं ईयू का ध्यान ऑटोमोबाइल, वाइन, और डेयरी उत्पादों के लिए भारत में बेहतर बाजार पहुंच पर है।
बयान और प्रतिक्रियाएं
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और ईयू दोनों साझेदारी के नए युग की शुरुआत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि यह समझौता “दोनों पक्षों के उद्योगों, निवेशकों और उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित होगा।”
यूरोपीय व्यापार आयुक्त ने भी संकेत दिए कि यूरोपीय संघ भारत के साथ “संतुलित और पारदर्शी” समझौता चाहता है, जिससे स्थायी विकास और हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले।
वर्तमान स्थिति और आगे की राह
वार्ता के अब तक के 14 राउंड हो चुके हैं, और यह उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कुछ महीनों में दोनों पक्ष इस समझौते पर हस्ताक्षर की दिशा में ठोस प्रगति करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-ईयू FTA लागू होने से भारतीय निर्यातकों को शुल्क में 20-25% तक की राहत मिल सकती है।
पृष्ठभूमि और महत्व
भारत-ईयू FTA की शुरुआत 2007 में हुई थी, लेकिन कृषि, ऑटोमोबाइल, और बौद्धिक संपदा से जुड़े मुद्दों पर मतभेद के कारण यह ठप पड़ी रही। हाल के वर्षों में दोनों पक्षों ने नवीनीकृत वार्ताओं के ज़रिए व्यापार संतुलन और निवेश बढ़ाने पर सहमति जताई है।
यह समझौता भारत के लिए न केवल व्यापारिक अवसर बल्कि भू-राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा है, क्योंकि यूरोप भारत के तकनीकी, ऊर्जा और हरित निवेश के लिए अहम साझेदार बन रहा है।
स्रोत: All India Radio News, The Times of India, Livemint, The Hindu






