क्रिकेट मैच में विवाद: क्यों नहीं की गई अपील?
पैट कमिंस और अंपायर नितिन मेनन के बीच दूसरे दिन वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में एक रन-आउट घटना को लेकर तीखी बहस हुई। कमेंटेटर इयान बिशप के अनुसार, अंपायर का कहना था कि ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपील ही नहीं की, इसलिए वह टीवी अंपायर के पास नहीं गए। कमिंस को यह स्पष्टीकरण पसंद नहीं आया।
लेकिन पहले घटना को समझते हैं। वेस्टइंडीज की पारी के 24वें ओवर में जॉन कैंपबेल ने मिचेल स्टार्क की गेंद को मिड-ऑन की ओर खेला और तेजी से रन लेने दौड़े। कमिंस ने गेंद उठाई और नॉन-स्ट्राइकर छोर पर सीधा थ्रो किया। न तो गेंदबाज और न ही ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने अपील की। स्लिप कॉर्डन के फील्डर्स ने भी कुछ नहीं कहा। हालांकि, सब्स्टिट्यूट फील्डर मार्नस लैबुशैन ने बाद में दावा किया कि उसने अपील की थी।
बड़ा सवाल: बिना अपील के क्या होता है निर्णय?
जब ग्राउंड के बड़े स्क्रीन पर रिप्ले दिखाया गया, तो मामला गरमा गया। रिप्ले में लग रहा था कि कैंपबेल का बैट पहले जमीन पर लगा, लेकिन फिर हवा में उठ गया। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं था कि बैट क्रीज के पीछे पहले जमीन पर लगा था या नहीं। अगर ऐसा होता, तो बल्लेबाज नॉट आउट होता। लेकिन अंपायर नितिन ने इसे थर्ड अंपायर के पास भेजने की जरूरत नहीं समझी।
कमिंस ने रिप्ले देखा और अंपायर के पास पहुंचे। स्टंप माइक पर उनकी आवाज साफ सुनाई दी: “आपने चेक क्यों नहीं किया? क्या अब चेक कर सकते हैं?” कमेंट्री में इयान बिशोप ने अनुमान लगाया कि मेनन ने कमिंस को बताया होगा कि अपील न होने के कारण वह थर्ड अंपायर के पास नहीं गए। तभी लैबुशैन ने चिल्लाकर कहा, “लेकिन मैंने तो अपील की थी!”
पुराना मामला: क्या यह गलती बार-बार हो रही है?
यह घटना और भी अजीब इसलिए लगी क्योंकि पिछले साल भी दोनों टीमों के बीच ऐसा ही एक मामला सामने आया था। फरवरी 2024 में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच दूसरे टी20 मैच में भी ऑस्ट्रेलिया को एक विकेट इसलिए नहीं मिला क्योंकि किसी ने अपील नहीं की थी।
मैच के 19वें ओवर में वेस्टइंडीज के आखिरी बल्लेबाज अल्जारी जोसेफ ने कवर की ओर शॉट खेला और रन लेने दौड़े। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान मिचेल मार्श ने गेंद उठाई और स्पेंसर जॉनसन को थ्रो किया, जिन्होंने बेल्स उड़ा दीं। लेकिन किसी ने अपील नहीं की। स्क्रीन पर रिप्ले दिखा कि बल्लेबाज क्रीज से बाहर था, लेकिन अंपायर जेरार्ड अबूद ने कहा, “रुको, रुको… कोई अपील ही नहीं हुई।”
क्या सच में नहीं सुनी जाती अपील?
ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी टिम डेविड, जो डीप प्वाइंट पर फील्डिंग कर रहे थे, ने अंपायर से कहा, “मैंने अपील की थी, जेरार्ड! मैं वादा करता हूं। यह मजाक है। मैंने डीप प्वाइंट से अपील की थी।” डेविड वॉर्नर ने भी कहा, “यह अंपायर की गलती है।”
लेकिन नियम क्या कहता है? अगर कोई अपील नहीं करता, तो क्या अंपायर खुद से थर्ड अंपायर के पास जा सकता है? शायद नहीं। या फिर शायद हां। क्रिकेट के नियमों में इस बारे में स्पष्टता होनी चाहिए।
क्या सीख मिलती है इस घटना से?
दोनों घटनाएं एक ही बात की ओर इशारा करती हैं – टीमों को अपील करने में ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। खासकर ऐसे मौकों पर जब मैच की रफ्तार तेज हो और फैसला पल भर में बदल सकता हो। अंपायर भी शायद थोड़ा और सजग हो सकते हैं।
लेकिन यह भी सच है कि क्रिकेट में कभी-कभी ऐसी गलतफहमियां हो जाती हैं। खिलाड़ी, कप्तान, अंपायर – सभी इंसान हैं। गलतियां हो सकती हैं। मुमकिन है कि भविष्य में इस तरह के मामलों से बचने के लिए कोई नया नियम बनाया जाए। फिलहाल, यह विवाद क्रिकेट प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।