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संगीतकार रंजीत बरोत ने खोला दिल: एआर रहमान के साथ दोस्ती और फिल्म इंडस्ट्री पर व्यवसायियों का कब्जा

रंजीत बरोत ने बॉलीवुड पर उठाए सवाल: ‘यहां संगीतकारों को सम्मान नहीं’

संगीतकार और ड्रमर रंजीत बरोत, जिन्होंने एआर रहमान के साथ लंबे समय तक काम किया है, हाल ही में हिंदी फिल्म उद्योग के बारे में खुलकर बोले। उनका कहना है कि यह उद्योग व्यापारियों के हाथों में है जो संगीतकारों के योगदान को पूरी तरह नहीं समझते।

O2India को दिए इंटरव्यू में रंजीत ने यह भी याद किया कि कैसे उनकी पहली मुलाकात रहमान से मणिरत्नम की क्लासिक फिल्म ‘बॉम्बे’ के दौरान हुई थी। शायद यह मुलाकात एक दोस्ती में बदलने वाली थी, लेकिन उस वक्त उन्हें इसका अंदाजा नहीं रहा होगा।

‘हम्मा हम्मा’ से शुरू हुई दोस्ती

रंजीत ने बताया, “रहमान और मैं सहकर्मी बनने से पहले दोस्त बने। ‘बॉम्बे’ के गाने ‘हम्मा हम्मा’ पर काम करते वक्त वो मुझे ट्रैक सुनाते थे, और मैं तुरंत समझ गया कि यह गाना कितना बड़ा हिट होने वाला है।”

लेकिन उनकी बातचीत सिर्फ संगीत तक सीमित नहीं रही। रंजीत के मुताबिक, “हमने घंटों बातें कीं। रहमान ने बताया कि कैसे उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया, अपने बचपन के अनुभव साझा किए। वो शुरू से ही शांत स्वभाव के थे, लेकिन धीरे-धीरे हम करीब आते गए।”

बॉलीवुड में संगीतकारों की स्थिति पर चिंता

रंजीत ने इंडस्ट्री के बदलते स्वरूप पर चिंता जताई। उनके अनुसार, “आज फिल्में बनाने का फैसला वही लोग करते हैं जिन्हें संगीत की समझ नहीं। वो इसे सिर्फ उत्पाद समझते हैं। पहले संगीतकारों को ज्यादा आजादी थी, लेकिन अब स्थिति अलग है।”

हालांकि, वो यह नहीं कहते कि पहले सब कुछ आदर्श था। शायद उनका इशारा उद्योग के बढ़ते व्यावसायीकरण की ओर है। रंजीत मानते हैं कि रहमान जैसे संगीतकारों ने इस सिस्टम में भी अपनी जगह बनाई, लेकिन यह आसान नहीं था।

रहमान का शुरुआती संघर्ष

रंजीत ने रहमान के शुरुआती दिनों को याद किया। “वो हमेशा प्रयोग करते थे। ‘रोजा’ का संगीत बनाते वक्त भी उन्होंने पारंपरिक तरीकों को चुनौती दी थी। लेकिन तब लोगों को लगा कि यह साउंड वर्क नहीं करेगा। आज वही संगीत क्लासिक माना जाता है।”

उन्होंने आगे कहा, “रहमान की सफलता का राज शायद यही है कि वो कभी ट्रेंड के पीछे नहीं भागे। उन्होंने अपनी आवाज़ खोजी और उस पर भरोसा किया।”

आज के नए संगीतकारों के लिए सलाह

रंजीत का मानना है कि नए कलाकारों को धैर्य रखना चाहिए। “आज सब कुछ तुरंत चाहिए। लेकिन असली कला समय मांगती है। मुमकिन है कि आपको शुरू में मौके न मिलें, लेकिन अगर आपमें प्रतिभा है तो एक दिन पहचान जरूर मिलेगी।”

वो यह भी कहते हैं कि सोशल मीडिया के दौर में युवा जल्दी प्रसिद्धि चाहते हैं, लेकिन संगीत की गहराई समझने के लिए वक्त देना जरूरी है।

क्या बदलाव की उम्मीद है?

रंजीत पूरी तरह निराश नहीं हैं। वो मानते हैं कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने नए संगीतकारों के लिए रास्ते खोले हैं। “अब फिल्मों पर निर्भरता कम हुई है। आप वेब सीरीज, इंडिपेंडेंट प्रोजेक्ट्स के जरिए भी अपनी आवाज़ बुलंद कर सकते हैं।”

तो क्या स्थिति बदलेगी? रंजीत इस पर ज्यादा आशावादी तो नहीं, लेकिन वो मानते हैं कि सच्ची प्रतिभा कभी दबती नहीं। शायद आने वाले वक्त में संगीतकारों को वो सम्मान मिले जिसके वो हकदार हैं।

अंत में वो यही कहते हैं कि संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक भावना है। और जब तक यह भावना जिंदा है, तब तक अच्छे संगीतकारों की जरूरत भी बनी रहेगी।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।