मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार धीमी, मई में PMI तीन महीने के न्यूनतम स्तर 57.6 पर पहुंचा
भारत की विनिर्माण गतिविधि में मई 2025 के दौरान गिरावट दर्ज की गई है। HSBC की रिपोर्ट के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग PMI तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिसकी मुख्य वजह कीमतों में तेजी और भारत-पाक तनाव को बताया गया है।
तीन महीने की सबसे बड़ी गिरावट
HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मई में गिरकर 57.6 पर आ गया, जबकि अप्रैल में यह 58.2 था। हालांकि यह आंकड़ा अब भी लॉन्ग-टर्म एवरेज (54.1) से काफी ऊपर है, लेकिन यह गिरावट चिंताजनक है क्योंकि यह पहली बार है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने के बाद भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने सुस्ती दिखाई है।
भारत-पाकिस्तान तनाव और इनपुट कॉस्ट की मार
इस गिरावट की दो मुख्य वजहें बताई गई हैं:
- भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव, जिससे विदेशी और घरेलू मांग पर असर पड़ा।
- और कीमतों में तेज़ी—एल्युमिनियम, सीमेंट, लोहा, चमड़ा, रबर और रेत जैसे कच्चे माल की लागत तेजी से बढ़ी है।
HSBC की मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजल भंडारी ने कहा,
“मई का PMI आंकड़ा यह दिखाता है कि उत्पादन और नए ऑर्डर्स की वृद्धि अब भी मजबूत है, लेकिन पिछली महीने के मुकाबले थोड़ी धीमी जरूर है।”
एक्सपोर्ट ऑर्डर में रिकॉर्ड उछाल
हालांकि घरेलू मांग पर असर पड़ा है, लेकिन एक्सपोर्ट फ्रंट से अच्छी खबर है। रिपोर्ट में बताया गया कि एशिया, यूरोप, मिडल ईस्ट और अमेरिका से ऑर्डर्स की मांग तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची है।
इससे यह संकेत मिलता है कि भारत के मैन्युफैक्चरर्स अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं, खासकर तब जब वैश्विक अर्थव्यवस्था टैरिफ और युद्ध जैसी चुनौतियों से जूझ रही है।
बढ़ती लागत लेकिन कीमत वसूली से राहत
रिपोर्ट के अनुसार, इनपुट कॉस्ट महंगाई नवंबर 2024 के बाद सबसे ज़्यादा रही, लेकिन कंपनियों ने इसका समाधान कीमतें बढ़ाकर किया है।
प्रांजल भंडारी ने कहा:
“मैन्युफैक्चरर्स को इनपुट कॉस्ट बढ़ने की चिंता तो है, लेकिन वे बिक्री मूल्य बढ़ाकर अपने मार्जिन को संतुलित कर पा रहे हैं।”
आगे के लिए भरोसा कायम
रिपोर्ट में शामिल 800 कंपनियों में से ज़्यादातर को अगले 12 महीनों में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। कंपनियों का कहना है कि नई विज्ञापन रणनीतियों और कस्टमर इनक्वायरीज़ में वृद्धि उन्हें आगे ले जाएगी।
सर्विस सेक्टर से मिलेगी राहत?
HSBC की सर्विस सेक्टर PMI रिपोर्ट 4 जून को जारी होगी। फिलहाल शुरुआती आंकड़े बता रहे हैं कि सर्विस इंडेक्स 14 महीने के उच्चतम स्तर पर है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग की सुस्ती को कुछ हद तक संतुलन मिल सकता है।
आर्थिक ग्रोथ में फिर आई रफ्तार
जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ 7.4% रही, जो कि पिछले चार तिमाही में सबसे ज़्यादा है। इस प्रदर्शन से भारत ने 6.5% वार्षिक ग्रोथ का RBI टारगेट पूरा कर लिया है।
निष्कर्ष: थोड़ी सुस्ती, लेकिन पक्की बुनियाद
हालांकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मई में सुस्ती देखी गई, लेकिन आंकड़े अब भी यह दर्शाते हैं कि भारत की उत्पादन प्रणाली मजबूत है। चुनौतियां हैं—जैसे कीमतों का दबाव और सीमा पर तनाव—लेकिन विदेशी मांग, इनोवेशन और आत्मविश्वास इस सेक्टर को बैलेंस में रखने की क्षमता रखते हैं।