मनमोहन देसाई की फिल्मों के साथ बड़े हुए किसी भी दर्शक के लिए, उनकी 1981 की मल्टीस्टारर फिल्म ‘नसीब’ न देख पाने की कल्पना करना मुश्किल है। और अगर ‘नसीब’ आपकी फिल्मी यादों का हिस्सा है, तो शायद आपको कबड्डी थीम वाला वह गाना “पकड़ो पकड़ो पकड़ो” भी याद होगा, जिसमें ऋषि कपूर के साथ एक नया चेहरा था – किम यशपाल।
बेरूत से मुंबई तक का सफर
बेरूत में जन्मी सत्यकिम यशपाल, जिन्हें सब किम के नाम से जानते हैं, के पिता यश और मां वेंडी यशपाल थे। नृत्य के प्रति उनका प्रेम बचपन से ही था। कथक सीखने का जुनून इतना था कि वह मुंबई आ गईं और प्रसिद्ध नृत्याचार्य गोपी कृष्णा से training लेनी शुरू कर दी। उनकी कक्षाओं में ही उनकी मुलाकात फिल्म उद्योग के कई लोगों से हुई, और कहा जा सकता है कि उनमें से कई ने उनक प्रतिभा को पहचाना भी।
फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश
एक पार्टी में किम की मुलाकात अभिनेता शशि कपूर से हुई, जिन्होंने उन्हें निर्माता एन.एन. सिप्पी से मिलवाया। सिप्पी उस समय डैनी डेन्जोंगपा द्वारा निर्देशित और राजेश खन्ना अभिनीत एक हॉरर फिल्म ‘फिर वही रात’ (1980) बना रहे थे। किम को इस फिल्म में मुख्य भूमिका मिल गई।
हालांकि ‘फिर वही रात’ बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन इस फिल्म ने किम यशपाल को लोगों के सामने ला दिया। साथ ही, इसी फिल्म के दौरान निर्देशक डैनी डेन्जोंगपा के साथ उनके रिश्ते की शुरुआत भी हुई, जो आने वाले कई सालों तक चलने वाला था। कहते हैं कि डैनी ने ही उन्हें आगे और फिल्में करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मुख्यधारा में पहचान
उनकी सबसे prominent पहचान ‘नसीब’ के साथ बनी। ऋषि कपूर के साथ गाना “पकड़ो पकड़ो पकड़ो” अविश्वसनीय रूप से लोकप्रिय हुआ और इसने उन्हें मुख्यधारा में पहुंचा दिया। लेकिन असली मोड़ तो एक साल बाद आया ‘डिस्को डांसर’ (1982) के साथ।
यह फिल्म मिथुन चक्रवर्ती को सुपरस्टारडम पर ले गई, सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि USSR, चीन और जापान जैसे देशों में भी। फिल्म की नायिका के तौर पर किम, “जिमी जिमी आजा आजा” जैसे आइकॉनिक गाने की वजह से तुरंत पहचानी जाने लगीं। यह गाना उन्हें “जिमी जिमी गर्ल” का निकनेम दे गया।
कैरियर में गिरावट
लेकिन जहाँ ‘डिस्को डांसर’ मिथुन के लिए गेम-चेंजर साबित हुई, वहीं किम का कैरियर उसी गति से आगे नहीं बढ़ पाया। उन्होंने ‘हम से है जमाना’ (1983) और ‘अंदर बाहर’ (1984) जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन इनमें से किसी ने भी उनके सफर को कोई नई दिशा नहीं दी।
‘हम से है जमाना’ में एक बिकिनी सीन की वजह से उन्हें ग्लैमर के रोल में टाइपकास्ट कर दिया गया और उन्हें substance वाले रोल मिलने बंद हो गए। 1984 में, उन्होंने डैनी डेन्जोंगपा के साथ ‘दिलावर’ में डबल रोल किया, मगर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही।
निजी जीवन और संघर्ष
उनका निजी जीवन भी लगभग इसी दौरान बिखरने लगा। डैनी डेन्जोंगपा के साथ उनके रिश्ते का अंत हो गया। ऐसी खबरें थीं कि अभिनेत्री परवीन बाबी का डैनी की जिंदगी में दोबारा आना किम के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला साबित हुआ। हालाँकि, professionally, वे एक बार फिर सुनील शेट्टी की डेब्यू फिल्म ‘बलवान’ (1992) में एक साथ नजर आए, जहाँ उन्होंने “ढिंग तक ढिंग तक” गाने में परफॉर्म किया।
धीमा अस्तित्व और संन्यास
‘कमांडो’ (1988) के बाद, किम के रोल सिर्फ डांस नंबर तक ही सीमित रह गए। इनमें सबसे उल्लेखनीय ‘बागी’ (1990) में एक युवा सलमान खान के साथ एक “टपोरी” आइटम सॉन्ग था। उनकी आखिरी फिल्म प्रियदर्शन की ‘मुस्कुराहट’ (1992) थी, जिसके बाद उन्होंने फिल्मों से संन्यास ले लिया और पूरी तरह से सार्वजनिक जीवन से दूर हो गईं।
तो यह थी ‘जिमी जिमी गर्ल’ किम यशपाल की कहानी – एक ऐसी अभिनेत्री जिसने चमकती शुरुआत की, लेकिन शायद उद्योग के चलते उसे वह सब कुछ नहीं मिल पाया जिसकी वह हकदार थीं। उनका सफर 80s और 90s