JD Vance: Not just the vice president of the US, but the voice of the new right
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जेडी वांस: सिर्फ अमेरिका के उपराष्ट्रपति नहीं, बल्कि नए दक्षिणपंथ की आवाज़

संयुक्त राज्य अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस, जो सोमवार (21 अप्रैल) को भारत यात्रा पर आए, सिर्फ एक औपचारिक उपराष्ट्रपति नहीं हैं।

40 वर्ष की उम्र में, वह अमेरिका के नए दक्षिणपंथ की असली आवाज़ बन चुके हैं। ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ आंदोलन के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे वांस ने न केवल डोनाल्ड ट्रंप को दोबारा सत्ता में पहुँचाने में भूमिका निभाई है, बल्कि अमेरिका और पश्चिमी देशों में कई सामाजिक-राजनीतिक बदलावों को भी गति दी है।

इसलिए, जहाँ आमतौर पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति दीर्घकालिक प्रभाव नहीं डालते, वहीं वांस एक साहसी अपवाद हो सकते हैं।

उनके विचारों से चाहे मतभेद हों, लेकिन उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। अमेरिकी राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज में उठते नए मुद्दों पर वांस एक प्रभावशाली और निर्णायक आवाज़ बनकर उभरे हैं।

100 दिनों में दिखाई स्पष्ट छाप
राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में वांस ने घरेलू और विदेश नीति में उल्लेखनीय दखल दिया है। उन्होंने चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस से अवैध प्रवास पर तीखी बहस की और पोप के निधन से पहले उनसे आखिरी बार मुलाकात की थी।

वांस ने रूस-यूक्रेन संकट पर अमेरिका की यूरोपीय रणनीति की आलोचना की और ब्रिटेन की सामाजिक नीतियों को भी “विफल” बताया है।

उनका राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, जयपुर में 22 अप्रैल को प्रस्तावित भाषण उनके दृष्टिकोण और भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा पर रोशनी डाल सकता है।

विचारधारा का मिला-जुला स्वरूप
वांस का नजरिया कई राजनीतिक विचारधाराओं का मिश्रण है: राष्ट्रीयतावादी रूढ़िवाद, उदारवाद के विरुद्ध प्रतिक्रिया, पारंपरिक कैथोलिक सामाजिक सिद्धांत, और अभिजात वर्ग के खिलाफ लोकलुभावन सोच।

वह अमेरिका को केवल स्वतंत्रता और पूंजीवाद का प्रतीक नहीं मानते, बल्कि पारंपरिक मूल्यों, विरासत और नैतिकता का संरक्षक मानते हैं।

उदारवाद के खिलाफ मोर्चा
वांस मुक्त व्यापार, बड़े पैमाने पर प्रवास, और अंतरराष्ट्रीय संधियों के मुखर विरोधी हैं। उनके अनुसार इन सबने आम अमेरिकी नागरिकों को नुकसान पहुँचाया है और केवल अभिजात वर्ग को लाभ दिया है।

वे अमेरिकी जीवन से “वोक” (प्रगतिशील) प्रभावों को हटाने की मांग करते हैं। उनके अनुसार, अमेरिकी समाज को उदारवाद ने नैतिक और सांस्कृतिक रूप से कमजोर किया है।

परिवार, समुदाय और राष्ट्र सर्वोपरि
वांस कैथोलिक सिद्धांत ‘ओर्डो अमोरिस’ (Ordered Love) का हवाला देते हैं, जिसमें प्राथमिकता परिवार, समुदाय और राष्ट्र को दी जाती है, न कि वैश्विक नीतियों को।

उन्होंने यूरोपीय दक्षिणपंथी नेताओं के साथ मजबूत गठबंधन बनाने की कोशिश की है और “वैश्विक प्रगतिवाद” के खिलाफ साझा मोर्चा बनाया है।

विदेश नीति में नया दृष्टिकोण
वांस की विदेश नीति पारंपरिक रिपब्लिकन दृष्टिकोण से अलग है। वे प्रवास, मुक्त व्यापार और सैन्य हस्तक्षेप के विरोधी हैं।

उन्होंने ट्रंप के साथ मिलकर यूक्रेन को अमेरिकी सहायता का विरोध किया और रूस से शांति वार्ता की वकालत की।

उनकी सोच यह है कि विदेश नीति का उद्देश्य देश के लोगों के हितों की रक्षा होना चाहिए, न कि आदर्शों के पीछे भागना।

वांस और उनकी विचारधारा अमेरिका को दुनिया से अलग-थलग नहीं करना चाहती, बल्कि ऐसे सहयोगियों के साथ मजबूत साझेदारी चाहती है जो अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी साझा करें।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।