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इंग्लैंड के ऑफर को ठुकराकर जडेजा-सुंदर ने बनाए शतक, मैच ड्रॉ पर समाप्त

मैनचेस्टर टेस्ट में अचानक उठा यह सवाल

इंग्लैंड और भारत के बीच खेला गया मैनचेस्टर टेस्ट मैच जहां एक शांत ड्रॉ की तरफ बढ़ रहा था, वहां अचानक एक ऐसा मोड़ आया जिसने सबका ध्यान खींचा। इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने भारतीय बल्लेबाजों के पास जाकर मैच समाप्त करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने इसे ठुकरा दिया।

जडेजा उस समय 89 रन पर थे, जबकि सुंदर 80 रन बना चुके थे। शायद उन्हें लगा कि वे अपने शतक पूरे कर सकते हैं। और उन्होंने ऐसा ही किया।

नासिर हुसैन ने क्या कहा?

पूर्व इंग्लैंड कप्तान नासिर हुसैन को भारतीय टीम के इस फैसले से कोई समस्या नहीं थी। उन्होंने स्काई स्पोर्ट्स से बात करते हुए कहा, “मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं दिखी। इंग्लैंड के खिलाड़ी थके हुए थे, वे मैच खत्म करना चाहते थे। लेकिन जडेजा और सुंदर ने कड़ी मेहनत करके 80-90 रन बनाए थे, वे शतक चाहते थे।”

हुसैन ने आगे कहा, “स्टोक्स को हैरी ब्रुक को गेंदबाजी में नहीं लाना था, यह थोड़ा अजीब लगा। लेकिन हम इन बातों को ज्यादा महत्व दे देते हैं। भारत ड्रॉ के हकदार थे, और जडेजा-सुंदर ने यह मुकाम पाने के लिए मेहनत की थी।”

जडेजा और सुंदर का शानदार प्रदर्शन

इस घटना के कुछ ही देर बाद, जडेजा ने अपना शतक पूरा कर लिया। स्टोक्स ने हैरी ब्रुक के जरिए उन्हें धीमी गेंदें फेंकवाईं, और जडेजा ने एक छक्के के साथ अपना दूसरा टेस्ट शतक पूरा किया। सुंदर ने भी अपना पहला टेस्ट शतक जड़ दिया। आखिरकार, भारत ने मैच ड्रॉ कराने पर सहमति जताई।

स्टोक्स का निराशा भरा बयान

मैच के बाद स्टोक्स का चेहरा निराशा से भरा हुआ था। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि 100 रन बनाकर नॉट आउट रहने से कोई खास संतुष्टि मिलती। अगर आप 80 या 90 रन पर नॉट आउट हैं और टीम को मुश्किल स्थिति से बाहर निकालते हैं, तो 10 रन और बनाने से कोई फर्क नहीं पड़ता।”

लेकिन क्या सच में ऐसा है? क्या कोई खिलाड़ी अपना पहला टेस्ट शतक छोड़ना चाहेगा?

गौतम गंभीर ने उलटा सवाल किया

भारत के हेड कोच गौतम गंभीर ने सीधा सवाल पूछा—अगर स्थिति उलट होती, तो क्या इंग्लैंड वैसा ही करता?

उन्होंने पोस्ट-मैच प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “अगर कोई खिलाड़ी 90 रन पर हो और दूसरा 85 पर, तो क्या उन्हें शतक का मौका नहीं मिलना चाहिए? अगर इंग्लैंड का कोई खिलाड़ी इस स्थिति में होता, तो क्या वे उसे शतक पूरा करने नहीं देते? जडेजा और सुंदर ने मुश्किलों का सामना किया, उन्हें यह अधिकार था। सौभाग्य से, उन्होंने शतक पूरे किए।”

क्या यह सही फैसला था?

कुछ लोगों को लग सकता है कि भारत ने मैच को लंबा खींचा। लेकिन टेस्ट क्रिकेट सिर्फ नतीजों के बारे में नहीं है। यह संघर्ष, धैर्य और व्यक्तिगत उपलब्धियों के बारे में भी है।

जडेजा और सुंदर ने जिस तरह से पिच पर संघर्ष किया, वह देखने लायक था। और शायद, उन्हें वह शतक मिलना ही चाहिए था।

अब क्या?

यह मैच खत्म हो चुका है, लेकिन बहस जारी है। क्या टीम के हित को व्यक्तिगत उपलब्धियों से ऊपर रखा जाना चाहिए? या फिर खिलाड़ियों के संघर्ष को सम्मान दिया जाना चाहिए?

इसका जवाब शायद हर कोई अपने-अपने तरीके से देगा। लेकिन एक बात तय है—क्रिकेट में ऐसे पल ही इसे यादगार बनाते हैं।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।