विवादों के बीच इंडसइंड बैंक के शेयरों में उछाल, SEBI ने पूर्व CEO और 4 अधिकारियों पर लगाया बैन
29 मई, 2025 को शेयर बाजार में उस वक्त हलचल मच गई जब इंडसइंड बैंक के शेयरों में 1% से ज्यादा की तेजी देखने को मिली। यह तेजी उस समय आई जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बैंक के पूर्व CEO सुमंत कथपालिया समेत चार वरिष्ठ अधिकारियों पर इनसाइडर ट्रेडिंग के गंभीर आरोपों में प्रतिबंध लगा दिया।
SEBI की कार्रवाई: कौन-कौन है घेरे में?
SEBI के अंतरिम आदेश में जिन अधिकारियों को बाजार से प्रतिबंधित किया गया है, उनमें शामिल हैं:
- सुमंत कथपालिया – पूर्व MD और CEO
- अरुण खुराना – पूर्व डिप्टी CEO और कार्यकारी निदेशक
- सुषांत सौरव – हेड, ट्रेजरी ऑपरेशंस
- रोहन जतन्ना – हेड, GMG ऑपरेशंस
- अनिल मार्को राव – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (CAO), कंज्यूमर बैंकिंग
इन सभी अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ियों से संबंधित गोपनीय जानकारी (UPSI) रखते हुए शेयरों में ट्रेडिंग की, जो इनसाइडर ट्रेडिंग के तहत गैरकानूनी है।
₹19.78 करोड़ की संपत्ति जब्त, पब्लिक को जानकारी देर से मिली
SEBI ने इन पांचों अधिकारियों से कुल ₹19.78 करोड़ की रकम ज़ब्त की है। चौंकाने वाली बात यह है कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ियों की जानकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को नवंबर 2023 से ही थी, लेकिन आम निवेशकों को इसकी जानकारी मार्च 2025 में जाकर दी गई।
बैंक के अंदर नवंबर 30, 2023 को एक ईमेल में बताया गया कि गड़बड़ी का अनुमानित असर ₹1,749.98 करोड़ है। वहीं, दिसंबर और फिर मार्च तक यह आंकड़ा बढ़कर ₹2,361.69 करोड़ तक पहुंच गया। जनवरी 2024 में KPMG से ऑडिट करवाया गया, जिसने ₹2,093 करोड़ के नुकसान की पुष्टि की।
अब तक का सबसे बड़ा घाटा: मार्च तिमाही में ₹2,329 करोड़ का नुकसान
मार्च 2025 तिमाही में बैंक ने ₹2,329 करोड़ का घाटा दर्ज किया — जो इसके इतिहास का सबसे बड़ा है। इस घाटे में शामिल थे:
- ₹1,960 करोड़ का नुकसान गलत डेरिवेटिव ट्रेडिंग से
- ₹674 करोड़ ब्याज आय की गलत गणना से
- ₹172 करोड़ की धोखाधड़ी, जिसे माइक्रोफाइनेंस फीस दिखाया गया था
- ₹595 करोड़ की मैनुअल एंट्री, जिसे गलत तरीके से “अन्य संपत्ति” और “अन्य देनदारियां” में जोड़ा गया था
इस्तीफे और नया नेतृत्व: अब आगे क्या?
CEO सुमंत कथपालिया और डिप्टी CEO अरुण खुराना ने 29 अप्रैल को अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बैंक के संचालन के लिए एक कमेटी ऑफ एग्जीक्यूटिव्स बनाई गई है, जो अगले तीन महीने या नए CEO की नियुक्ति तक काम करेगी।
बैंक के नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन सुनील मेहता ने Q4 रिजल्ट्स के दौरान निवेशकों को भरोसा दिलाया कि अब सभी खामियों की पहचान और सुधार कर लिया गया है। उन्होंने कहा, “हम FY26 की शुरुआत एक साफ-सुथरे खाते के साथ कर रहे हैं।”
निवेशकों की प्रतिक्रिया: भरोसा कायम या जोखिम?
इन विवादों के बावजूद, शेयर में आई तेजी इस बात का संकेत है कि बाजार अब भविष्य की ओर देख रहा है। कई विश्लेषकों का मानना है कि बैंक के आंतरिक बदलाव और कड़े कदम निवेशकों को संतोष दे रहे हैं।
विश्लेषक संकेत गुप्ता (ICICI Direct) कहते हैं, “भले ही बैंक को बड़ा झटका लगा है, लेकिन नए नेतृत्व और पारदर्शिता के वादों से शेयर बाजार को उम्मीद है कि सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।”
निष्कर्ष: सवालों के घेरे में इंडसइंड, लेकिन उम्मीद अभी बाकी
इंडसइंड बैंक पर लगे ये गंभीर आरोप उसकी साख को निश्चित रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन जिस तरह से बैंक ने पारदर्शिता दिखाई है और नेतृत्व में बदलाव किए हैं, उससे संकेत मिलता है कि संस्था अपनी गलतियों से सीख रही है।
अब देखना ये होगा कि क्या नए प्रबंधन के नेतृत्व में इंडसइंड एक बार फिर भरोसे का पर्याय बन सकेगा — या फिर यह संकट लंबे समय तक उसकी छवि पर असर डालेगा।