इंग्लैंड में भारतीय टीम का ऐतिहासिक प्रदर्शन
इंग्लैंड के मुश्किल हालात में युवा भारतीय टीम कैसा प्रदर्शन करेगी, यह सवाल सबके मन में था। रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे अनुभवी बल्लेबाज, जो सालों से टीम की रीढ़ रहे हैं, इस सीरीज़ से पहले ही संन्यास ले चुके थे। वरिष्ठ ऑफ-स्पिनर आर अश्विन ने भी बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान टीम छोड़ दी थी। कप्तान शुबमन गिल का एशिया से बाहर का रिकॉर्ड भी खास प्रभावी नहीं रहा था। लेकिन ओवल में सोमवार को भारत ने ऐतिहासिक टेस्ट मैच जीतकर सीरीज़ 2-2 से बराबर कर दी। गिल ने पांच मैचों में 75.40 के औसत से 754 रन बनाए।
गंगुली का बयान: “भारतीय क्रिकेट किसी के लिए नहीं रुकता”
पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गंगुली ने स्पोर्ट्स तक को दिए इंटरव्यू में कहा, “भारतीय क्रिकेट किसी के लिए नहीं रुकता। यहाँ इतना टैलेंट है। इन सभी ने जिस तरह बल्लेबाजी की, वो शानदार थी। भारतीय क्रिकेट ऐसा ही है। सुनील गावस्कर के जाने के बाद सचिन तेंदुलकर आए। राहुल द्रविड़, वीरेंदर सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण आए। जब वो चले गए, तो विराट कोहली उभरे। और अब कोहली के जाने के बाद यशस्वी जायसवाल, ऋषभ पंत और गिल ने जिम्मेदारी संभाल ली है।”
नए खिलाड़ियों ने जताई मौजूदगी
शायद यही भारतीय क्रिकेट की सबसे बड़ी ताकत है। जब भी कोई बड़ा खिलाड़ी जाता है, कोई नया उसकी जगह ले लेता है। गिल का प्रदर्शन इस सीरीज़ में इसका सबूत है। उन्होंने न सिर्फ अपने एशिया से बाहर के खराब रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा, बल्कि टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका भी निभाई। और वो अकेले नहीं थे। जायसवाल और पंत ने भी कई मौकों पर टीम को मुश्किल हालात से बाहर निकाला।
टीम की रणनीति पर सवाल?
लेकिन कुछ सवाल अभी भी बने हुए हैं। मसलन, क्या टीम मैनेजमेंट ने कुछ मौकों पर गलत रणनीति अपनाई? पहले कुछ मैचों में मिडिल ऑर्डर की बल्लेबाजी निराश करने वाली रही। तो क्या युवा टीम को और समय चाहिए था? या फिर कोचिंग स्टाफ को कुछ अलग करना चाहिए था? हालांकि, अंतिम टेस्ट में जिस तरह से टीम ने प्रदर्शन किया, उससे लगता है कि वो सीख रही है और एडजस्ट कर रही है।
भविष्य के लिए क्या हैं संकेत?
इस सीरीज़ से कुछ साफ संकेत मिलते हैं। पहला, भारतीय टीम में टैलेंट की कोई कमी नहीं है। दूसरा, युवा खिलाड़ी दबाव में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। और तीसरा, टेस्ट क्रिकेट अभी भी भारत के लिए प्राथमिकता बना हुआ है। गिल, जायसवाल और पंत जैसे युवाओं का प्रदर्शन इसकी पुष्टि करता है।
मुमकिन है कि अगले कुछ सालों में यही खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट की नई पहचान बनें। लेकिन फिलहाल, टीम और उसके प्रशंसक इस ऐतिहासिक जीत का जश्न मना सकते हैं। खासकर तब, जब कोई उम्मीद नहीं कर रहा था।