ड्रोन उद्योग में हलचल: प्रस्तावित नया ड्रोन कानून क्या भारत की ‘आसमान क्रांति’ को रोक देगा?
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर : भारत में ड्रोन टेक्नोलॉजी तेजी से बढ़ती हुई इंडस्ट्री बन चुकी है – कृषि से लेकर सर्वे, डिलीवरी और रक्षा तक इसका उपयोग अब आम हो चुका है। लेकिन हाल ही में प्रस्तावित ‘ड्रोन (नियमन और सुरक्षा) विधेयक, 2025’ को लेकर उद्योग जगत में चिंता की लहर है। उद्योग संगठन NASSCOM और कई स्टार्टअप संस्थापक मानते हैं कि यह नया कानून, सुरक्षा के नाम पर, नवाचार और विकास की उड़ान को सीमित कर सकता है।
मुख्य बातें
- भारत सरकार ने ड्रोन परिचालन के लिए नया ‘ड्रोन विधेयक 2025’ प्रस्तावित किया है।
- NASSCOM और उद्योग संगठनों ने इस विधेयक का विरोध जताया है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि यह नियम पहले से मौजूद Drone Rules 2021 को कमजोर कर सकता है।
- कानून में सख्त दंड, लाइसेंस प्रतिबंध और डेटा नियंत्रण जैसी धाराएँ शामिल हैं।
- उद्योग को डर है कि इससे ड्रोन क्षेत्र की वृद्धि, निवेश और रोजगार प्रभावित होंगे।
क्या हुआ
भारत सरकार ने एक नया ड्रोन (नियमन और सुरक्षा) विधेयक, 2025 ड्राफ्ट के रूप में जारी किया है, जिसमें ड्रोन के संचालन, पंजीकरण, सुरक्षा मानकों और डेटा उपयोग पर कई नई शर्तें प्रस्तावित हैं।
इस विधेयक के तहत —
- बिना अनुमति या गलत डेटा उपयोग पर भारी दंड,
- संवेदनशील क्षेत्रों में उड़ान पर सख्त प्रतिबंध,
- और ऑपरेटरों के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली और डेटा साझा करने के प्रावधान जोड़े गए हैं।
सरकार का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक गोपनीयता की रक्षा के लिए जरूरी है।
प्रमुख तथ्य / आंकड़े
- भारत में 2024 तक करीब 1 लाख से अधिक पंजीकृत ड्रोन और 3500 लाइसेंस प्राप्त ऑपरेटर हैं।
- ड्रोन बाजार 2025 तक ₹12,000 करोड़ का अनुमानित आकार छूने की संभावना रखता है।
- 2021 में जारी Drone Rules ने उद्योग के लिए कई नियमों को सरल बनाया था, जिससे निवेश और नवाचार को गति मिली।
- NASSCOM के अनुसार, नए विधेयक में मौजूद कई प्रावधान पहले से प्रभावी कानूनों की पुनरावृत्ति हैं।
प्रतिक्रियाएँ और बयान
NASSCOM ने अपने बयान में कहा:
“वर्तमान Drone Rules 2021 पहले से पर्याप्त हैं। हमें नई कानून व्यवस्था की नहीं, बल्कि मौजूदा नियमों के बेहतर प्रवर्तन की आवश्यकता है।”
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून ‘Ease of Doing Business’ के सिद्धांत के विपरीत जाएगा।
एक स्टार्टअप संस्थापक ने Moneycontrol से कहा:
“सरकार को नवाचार को प्रोत्साहन देना चाहिए, न कि उसे कागजी अनुमतियों में बाँधना चाहिए। अगर ये बिल इसी रूप में पारित होता है, तो कई स्टार्टअप्स भारत से बाहर ऑपरेशन शिफ्ट कर सकते हैं।”
वर्तमान स्थिति / आगे क्या होगा
विधेयक अभी प्रारूप अवस्था में है और इसे संसद में पेश करने से पहले हितधारकों से फीडबैक मांगा गया है।
सरकार का उद्देश्य ड्रोन सुरक्षा को मजबूत बनाना है, खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों, महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों और रक्षा प्रतिष्ठानों के ऊपर उड़ान के संदर्भ में।
लेकिन उद्योग जगत का कहना है कि सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सख्ती जरूरी है, परंतु नवाचार को कुचलने की कीमत पर नहीं।
अगर सरकार इस विधेयक में संशोधन नहीं करती, तो यह संभावना है कि निवेशक और स्टार्टअप्स इस सेक्टर से दूरी बना सकते हैं।
संदर्भ / पृष्ठभूमि: क्यों यह घटना मायने रखती है
ड्रोन टेक्नोलॉजी भारत में “नेक्स्ट-जेन इन्फ्रास्ट्रक्चर” का हिस्सा बन चुकी है – कृषि सर्वेक्षण, पुलिस निगरानी, डिलीवरी नेटवर्क, और रक्षा सुरक्षा तक इसका उपयोग बढ़ रहा है।
2018 में जब पहली बार ड्रोन संचालन को मंजूरी दी गई थी, तब इसे ‘नई आसमान क्रांति’ कहा गया था।
लेकिन 2025 का यह प्रस्तावित कानून, जिस पर अब बहस चल रही है, यह तय करेगा कि भारत की ड्रोन इंडस्ट्री उड़ान भरेगी या जमींदोज़ होगी।
यह मसला सिर्फ टेक्नोलॉजी या सुरक्षा का नहीं, बल्कि “नवाचार बनाम नियमन” की उस पुरानी बहस का नया अध्याय है, जो भारत के डिजिटल भविष्य को परिभाषित करेगा।
स्रोत: Indian Express, Moneycontrol, SwarajyaMag






