जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड प्रबंधन पर चेतन शर्मा का बयान
इंग्लैंड के खिलाफ एंडरसन-टेंडुलकर ट्रॉफी के 5 टेस्ट मैचों में से सिर्फ 3 में खेलने के बाद जसप्रीत बुमराह को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। लेकिन पूर्व चयनकर्ता और स्वयं एक तेज गेंदबाज रहे चेतन शर्मा ने बुमराह का पक्ष लेते हुए स्पष्ट किया कि खिलाड़ियों को फिजियो की सलाह माननी चाहिए।
शर्मा ने सोमवार को प्रसार भारती और क्रिकविज़ के बीच हुए करार के मौके पर पत्रकारों से बातचीत में कहा, “अगर मेडिकल टीम सलाह देती है, डॉक्टर कहता है कि एंटीबायोटिक लेनी है, तो मुझे लेनी पड़ेगी। अगर हमारे फिजियो किसी खिलाड़ी को वर्कलोड मैनेज करने को कह रहे हैं, तो उनकी बात माननी चाहिए।”
क्यों जरूरी है वर्कलोड प्रबंधन?
शर्मा के बयान से एक बड़ा सवाल उठता है – क्या हम खिलाड़ियों के स्वास्थ्य से ज्यादा टीम की जीत को तरजीह दे रहे हैं? बुमराह जैसे गेंदबाजों के लिए, जिनकी एक्शन शरीर पर भारी दबाव डालती है, वर्कलोड मैनेजमेंट शायद सबसे जरूरी चीज होती है।
पिछले कुछ सालों में हमने कई उदाहरण देखे हैं जहां गेंदबाजों को लगातार खेलने के लिए मजबूर किया गया और नतीजा लंबे समय तक चोट के रूप में सामने आया। ऐसे में फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह को नजरअंदाज करना टीम के लिए भारी पड़ सकता है।
क्या आलोचना जायज है?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बुमराह जैसे प्रमुख खिलाड़ी को महत्वपूर्ण सीरीज से बाहर बैठाना टीम के प्रदर्शन को प्रभावित करता है। लेकिन दूसरी तरफ, अगर वह चोटिल हो जाते तो शायद नुकसान और बड़ा होता।
चेतन शर्मा ने इस बहस में एक संतुलित रुख अपनाया है। उनके अनुसार, “हमें यह समझना होगा कि आज का क्रिकेट पहले जैसा नहीं रहा। मैचों की संख्या बढ़ी है, दबाव ज्यादा है। ऐसे में मेडिकल टीम की राय सबसे महत्वपूर्ण होनी चाहिए।”
प्रसार भारती और क्रिकविज़ का करार
यह बयान उस कार्यक्रम के दौरान आया जब प्रसार भारती ने लंदन स्थित क्रिकेट एनालिटिक्स कंपनी क्रिकविज़ के साथ समझौता किया। इसके तहत दूरदर्शन पर “द ग्रेट इंडियन क्रिकेट शो” के 104 एपिसोड प्रसारित किए जाएंगे।
शो में क्रिकेट से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होगी, जिसमें खिलाड़ियों के फिटनेस और वर्कलोड प्रबंधन जैसे विषय भी शामिल होंगे। मुमकिन है कि यह शो इस तरह की बहसों को और गहराई से समझने का मौका देगा।
भविष्य की चुनौतियां
भारतीय क्रिकेट टीम के सामने अभी लंबा सफर है – टी20 वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी और फिर अगला ऑस्ट्रेलिया दौरा। ऐसे में बुमराह जैसे खिलाड़ियों को फिट रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
चेतन शर्मा ने सही कहा है कि फिजियो की सलाह को नजरअंदाज करना दीर्घकाल में टीम के लिए नुकसानदायक हो सकता है। हो सकता है आज कुछ मैच छूट जाएं, लेकिन इससे खिलाड़ी लंबे समय तक टीम का हिस्सा बना रह सकेगा।
अंत में, यह बहस सिर्फ बुमराह तक सीमित नहीं है। यह पूरे क्रिकेट समुदाय के लिए एक सबक है कि खिलाड़ियों के स्वास्थ्य और टीम की सफलता के बीच सही संतुलन कैसे बनाया जाए।