भारत का डीप-टेक बाजार 2030 तक 30 अरब डॉलर छूने को तैयार – रक्षा, रोबोटिक्स बनेंगी प्रमुख धुरी
नई दिल्ली, 10 नवंबर 2025: एक ताज़ा विश्लेषण दर्शाता है कि भारत का “डीप-टेक” बाजार 2030 तक लगभग 30 अरब डॉलर की ओर अग्रसर है। इस विकास में रक्षा-उद्योग, रोबोटिक्स एवं स्वदेशी तकनीकी निर्माण की भूमिका अहम होगी, जबकि निवेश व नीति निर्माण इसे और गति देंगे।
मुख्य बातें
- भारत के डीप-टेक बाजार की अनुमानित पहुँच 2030 तक लगभग 30 अरब डॉलर होगी।
- इसमें रक्षा नवाचार, रोबोटिक्स व उन्नत निर्माण-प्रौद्योगिकियों की गतिविधियाँ मुख्य प्रेरक होंगी।
- निवेश एवं फण्डिंग में तेजी दिख रही है -अगले 5 वर्षों में सालाना 5 अरब डॉलर से अधिक की फंडिंग हो सकती है।
- भारत की तकनीकी क्षमता, इंजीनियरिंग टैलेंट एवं नीति-सहयोग इसे ग्लोबल डीप-टेक परिदृश्य में मजबूती देने की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
क्या हुआ
नई दिल्ली में जारी रिपोर्ट के अनुसार, Redseer Strategy Consultants ने अनुमान लगाया है कि भारत का डीप-टेक (Deep Tech) बाजार 2030 तक करीब 30 अरब डॉलर का हो जाएगा। इस वृद्धि के पीछे मुख्य रूप से तीन धुरी हैं – (1) रक्षा-उद्योग में नवाचार, (2) रोबोटिक्स व ऑटोमेशन की बढ़ती मांग, तथा (3) देश की बढ़ती तकनीकी तथा इंजीनियरिंग प्रतिबद्धता।
प्रमुख तथ्य/डेटा
- रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा और रोबोटिक्स से जुड़ी डीप-टेक गतिविधियाँ इस वृद्धि का प्रमुख हिस्सा होंगी।
- निवेश प्रवाह में भी तेजी है – उदाहरण के लिए, अगले पाँच वर्षों में भारत में डीप-टेक फंडिंग प्रति वर्ष 5 अरब डॉलर से अधिक हो सकती है।
- अभी तक भारतीय स्टार्ट-अप वातावरण में डीप-टेक का हिस्सा अपेक्षाकृत कम (~5 %) है, जो आगे बढ़ने की संभावना रखता है।
- सरकार-नीति और निजी निवेश मिलकर इस क्षेत्र को समर्थन दे रहे हैं – जैसे कि डीप-टेक स्टार्ट-अप नीति, स्वदेशी इंजीनियरिंग शक्ति, और शोध-विकास-प्रोत्साहन।
बयान और प्रतिक्रिया
“यह सिर्फ भारत के लिए–तकनीकी स्वावलंबन का अवसर नहीं, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़े होने का क्षितिज है,” कहते हैं विशेषज्ञ।
डीप-टेक उद्योग के एक निवेशक ने कहा कि “अब उस दौर में हैं जब रोबोटिक्स, क्वांटम या ऑटोमेशन जैसे क्षेत्र सिर्फ प्रयोगशाला में नहीं रहेंगे, बल्कि व्यावसायिक एवं रणनीतिक दायरे में प्रवेश कर चुके हैं।”
वर्तमान स्थिति / अगले कदम
भारत में डीप-टेक संस्थाएँ, स्टार्ट-अप्स, और निवेशक सक्रिय हो रहे हैं। बहुत-से पहलें शुरुआती चरण में हैं, पर अगले 2-3 वर्षों में प्रोटोटाइप-से-उत्पादन-की ओर गति दिख सकती है।
आगामी चुनौतियाँ हैं – बड़े पूँजी निवेश, तकनीकी सत्यापन, वाणिज्यिक अपनाना, तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धा में गति बनाए रखना।
नियामक-संस्था, नीति-निर्माता एवं उद्योग मिलकर अगले चरण की रूपरेखा तय कर रहे हैं ताकि भारत इस 30 अरब डॉलर लक्ष्य के नजदीक पहुँच सके।
संदर्भ/पृष्ठभूमि
“डीप-टेक” शब्द का मतलब है उन तकनीकों से जो गहरी वैज्ञानिक/प्रौद्योगिकी-आधारित होती हैं – जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग, बायोटेक्नोलॉजी आदि।
भारत में लंबे समय से टेक्नोलॉजी सेवाओं पर निर्भरता रही है; अब स्वदेशी नवाचार-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में कदम बढ़े हैं।
जहाँ ग्लोबल डीप-टेक बाजार 2030 तक ट्रिलियन डॉलर के स्तर तक पहुँचने वाला है, भारत का 30 अरब डॉलर का लक्ष्य इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है – यह अर्थव्यवस्था में उच्च-टेक एवं मूल्य-उत्पादन वाली इकाइयों को बढ़ावा दे सकता है।
यह खबर क्यों मायने रखती है
- यह भारत की तकनीकी क्षमता एवं नवाचार-दृढ़ता को दर्शाती है, केवल सेवाओं पर निर्भर अर्थव्यवस्था से अलग होकर उत्पाद-उन्मुख तथा IP-उन्मुख मॉडल की ओर बढ़ने का संकेत।
- 30 अरब डॉलर लक्ष्य इस क्षेत्र में रोजगार, निवेश, वैश्विक प्रतिस्पर्धा तथा आत्म-निर्भरता को बढ़ावा देगा।
- जब रक्षा, रोबोटिक्स व उन्नत निर्माण-प्रौद्योगिकी मुख्य धुरी होंगी, तो यह “मेक-इन-इंडिया” व “आत्मनिर्भर भारत” रणनीति को तकनीकी तह में मजबूत करेगा।
- निवेशकों व नीति-निर्माताओं के लिए यह संकेत है कि डीप-टेक में अवसर बढ़ने वाला है – साथ ही जागरूक होना जरूरी है क्योंकि जोखिम व तकनीकी चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं।






