Has AI taken away jobs from freshers? Hiring rate in Big Tech reduced by 50% from 2022
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क्या AI छीन रहा है आपकी पहली नौकरी? फ्रेशर्स के लिए खतरे की घंटी

2025 में टेक्नोलॉजी ग्रैजुएट्स के लिए करियर की शुरुआत करना पहले जितना आसान नहीं रहा। एक समय था जब Google, Apple, Meta, और Microsoft जैसी कंपनियां कॉलेज से निकलते ही फ्रेशर्स को लपक लेती थीं। लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।

San Francisco स्थित वेंचर कैपिटल फर्म SignalFire की नई रिपोर्ट ‘State of Tech Talent: 2025’ के अनुसार, 2022 के मुकाबले 2025 में इन बड़ी कंपनियों ने फ्रेश ग्रैजुएट्स की हायरिंग में 50% से ज्यादा की कटौती की है।

क्यों घट रही है एंट्री-लेवल हायरिंग?

रिपोर्ट में कई अहम कारण सामने आए हैं:

  1. AI का बढ़ता प्रभाव – आज के दौर में चैटबॉट्स, ऑटोमेशन टूल्स और कोडिंग असिस्टेंट्स जैसे AI टूल्स कई रूटीन जॉब्स को खुद संभाल रहे हैं।
  2. बजट में कटौती – फंडिंग में आई कमी के चलते कंपनियां अपनी टीम्स को छोटा कर रही हैं।
  3. प्रशिक्षण कार्यक्रमों में गिरावट – पहले जहां नई प्रतिभाओं को तैयार करने के लिए इंटरनल ट्रेनिंग प्रोग्राम चलते थे, अब उन्हें भी घटा दिया गया है।

SignalFire का कहना है कि “पहले जहां टेक इंडस्ट्री फ्रेशर्स के लिए खुली किताब थी, आज दरवाज़ा बस थोड़ा सा ही खुला है।”

AI बनाम Gen Z: किसे मिलेगा मौका?

रिपोर्ट के मुताबिक, बिग टेक कंपनियों में फ्रेश ग्रैजुएट्स की हायरिंग अब सिर्फ 7% तक सीमित रह गई है, जो 2023 में 25% थी। यानी लगभग एक चौथाई से भी कम।

सिर्फ बड़ी कंपनियां ही नहीं, स्टार्टअप्स भी अब फ्रेशर्स से दूर हो रहे हैं। सीरीज़ C फंडिंग पाने वाली कंपनियों में नई ग्रैजुएट्स की हिस्सेदारी सिर्फ 6% रह गई है, जबकि 2019 में यह 30% थी।

एक और चिंता की बात ये है कि 37% मैनेजर्स का मानना है कि AI को Gen Z कर्मचारियों से बेहतर विकल्प माना जा सकता है।

कौन-कौन से रोल्स हो रहे हैं प्रभावित?

रिपोर्ट में बताया गया है कि नॉन-टेक्निकल फंक्शन्स जैसे कि HR, सेल्स, और प्रोडक्ट मैनेजमेंट सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वहीं, कंपनियां अब डेटा इंजीनियरिंग और मशीन लर्निंग जैसे हाई-लेवल टेक्निकल स्किल्स पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं।

छोटे मोटे एंट्री-लेवल टास्क अब AI संभाल रहा है, जिससे इन क्षेत्रों में फ्रेशर्स की जरूरत कम होती जा रही है।

बड़ी डिग्री, छोटा मौका?

रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि अमेरिका के शीर्ष विश्वविद्यालयों से कंप्यूटर साइंस में ग्रैजुएशन करने वाले छात्रों को भी जॉब मार्केट में संघर्ष करना पड़ रहा है। यहां तक कि Ivy League कॉलेजों के स्टूडेंट्स के लिए भी हायरिंग की रफ्तार धीमी हो गई है।

जानिए एक्सपर्ट की राय

LinkedIn के Chief Economic Opportunity Officer, अनीश रमन ने हाल ही में NYT में लिखे एक लेख में चेतावनी दी कि, “AI से सबसे ज्यादा नुकसान युवाओं और फ्रेशर्स को होगा, क्योंकि यही वो जॉब्स हैं जिनसे करियर की शुरुआत होती है।”

वो कहते हैं कि AI का प्रभाव सिर्फ टेक सेक्टर तक सीमित नहीं रहेगा — आने वाले वक्त में फाइनेंस, ट्रैवल, फूड और सर्विस इंडस्ट्रीज भी इसकी चपेट में आ सकती हैं।

क्या करें युवा प्रोफेशनल्स?

  1. AI में स्किल बनाएं – ChatGPT, Prompt Engineering, Data Analytics जैसे स्किल्स सीखें।
  2. इंटरनशिप का फायदा उठाएं – काम के अनुभव को प्राथमिकता दें।
  3. नेटवर्किंग बढ़ाएं – लिंक्डइन और अन्य प्रोफेशनल प्लेटफॉर्म्स पर एक्टिव रहें।
  4. मल्टी-डोमेन एक्सपोजर लें – सिर्फ कोडिंग नहीं, कम्युनिकेशन, प्रॉब्लम-सॉल्विंग और बिजनेस स्किल्स भी ज़रूरी हैं।

निष्कर्ष

AI का असर अब कल्पना नहीं, हकीकत है — खासकर युवाओं और नई पीढ़ी के लिए। फ्रेशर्स को अब पारंपरिक रास्तों के बजाय खुद को नए स्किल्स और टेक्नोलॉजी के साथ अपडेट करना होगा। जो इस बदलाव को समय रहते समझेगा, वही भविष्य की रेस में आगे रहेगा।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।