गुवाहाटी में इतिहास रचते हुए क्रिकेट के जोश का परिचायक बना यह मैच, जहां पहली बार नॉर्थ-ईस्ट भारत में टेस्ट क्रिकेट का मंचन किया गया। असम क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, बरसापारा को यह गौरव प्राप्त हुआ है कि वह भारत में टेस्ट मैच की मेजबानी करने वाला 30वां स्थल बन गया। लेकिन, यह मैच इसलिए भी सुर्खियों में आया क्योंकि शुभमन गिल की गर्दन की चोट के कारण ऋषभ पंत को भारत के 38वें टेस्ट कप्तान के रूप में संभालना पड़ा पदभार।
इस खूबसूरत मैदान के चारों ओर पहाड़ियों की लहराती श्रृंखलाएँ हैं, जो एक रोमांचक स्पर्धा का पूर्वानुमान लगाती हैं। जहाँ दक्षिण अफ्रीका ने कोलकाता में अपने पहले टेस्ट की टीम को ज्यादातर बरकरार रखा, वहीं भारत को गिल की चोट के कारण अपनी लाइनअप में परिवर्तन करना पड़ा।
चोटिल गिल के स्थान पर ऋषभ पंत का कप्तान बनना, कहीं ना कहीं हमें याद दिला देता है कि खेल में अप्रत्याशितता हमेशा बनी रहती है। पंत, जो अपनी ऊर्जावान और निर्भीक बैटिंग के लिए पहचाने जाते हैं, उन्होंने कोलकाता में अपनी कप्तानी की अनूठी शुरूआत के बाद से कई सवालों का सामना किया। प्रतिक्रिया में पंत ने कहा, “मैं जो भी कर रहा हूँ, उसमें अपना सौ प्रतिशत देना चाहता हूं और खेल का आनंद उठाना चाहता हूं।”
उनका यह रवैया दर्शाता है कि विकेटकीपर और कप्तान की दोहरी भूमिका में संतुलन बनाना कोई सरल कार्य नहीं है। महेंद्र सिंह धोनी द्वारा एक दशक पहले यह भूमिका लोकप्रिय की गई थी, और अब पंत उसी पथ पर चल पड़े हैं।
दूसरी ओर, कोलकाता में मिली हार के बाद सीरीज़ को बराबरी पर लाने के लिए भारत की तैयारियाँ काफी तीव्र नजर आईं। KL राहुल और यशस्वी जायसवाल नेट्स में काफी केंद्रित दिखे, जहां कोच गौतम गंभीर ने जायसवाल को सधी हुई तकनीक अपनाने की सलाह दी।
बारसापारा की पिच की बात करें तो, यहां की शर्तें पारंपरिक उपमहाद्वीपीय टेस्ट क्रिकेट के अनुकूल मानी जाती हैं। दक्षिण अफ्रीका के लिए, कोच पीट बोथा ने क्लासिक टेस्ट रणनीति का संकेत दिया: पहले बल्लेबाजी करो, अगर हालात अनुमति दें तो एक प्रतिस्पर्धी कुल स्कोर स्थापित करो, और बाद में पिच के खराब होने पर स्पिन पर निर्भर रहो।
ऐसे में, जब गुवाहाटी की मैदानी भूमिका और एक युवा नेतृत्व के तहत भारतीय टीम अपनी छाप छोड़ने की कगार पर है, तो आने व�






