गोविंदा और सुनीता अहूजा की पहली मुलाकात और प्यार
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता गोविंदा और उनकी पत्नी सुनीता अहूजा की लव स्टोरी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। दोनों की मुलाकात तब हुई जब सुनीता स्कूल में पढ़ती थीं और गोविंदा कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुके थे। उस वक्त सुनीता के परिवार को यह रिश्ता पसंद नहीं आया। शायद इसकी वजह यह थी कि यह जुड़ाव सुनीता की पढ़ाई और दूसरी जिम्मेदारियों पर असर डाल रहा था।
सुनीता का झूठ और माँ का गुस्सा
हाल ही में एक इंटरव्यू में सुनीता ने अपने बचपन के दिनों को याद किया। उन्होंने बताया कि वह पढ़ाई में ज्यादा अच्छी नहीं थीं, लेकिन उनकी माँ चाहती थीं कि वह पढ़ाई में टॉप करें। एक वाकया सुनाते हुए सुनीता ने कहा, “मैं 8वीं क्लास में फेल हो गई थी, लेकिन मैंने यह बात अपनी माँ को नहीं बताई। उस वक्त तक मेरी गोविंदा के साथ रिलेशनशिप भी शुरू हो चुकी थी। मैंने माँ से झूठ बोल दिया कि मैं पास हो गई हूँ।”
लेकिन सच्चाई पता चलने पर उनकी माँ को गुस्सा आ गया। सुनीता ने आगे बताया, “माँ ने तवा गर्म किया और मेरे गाल के पास जलाया। वह मुझसे मेरे झूठ के बारे में सवाल करने लगीं। मेरी माँ बहुत सख्त थीं। वह चाहती थीं कि मैं पढ़ाई पर ध्यान दूँ, लेकिन मुझे पढ़ाई से नफरत थी। किताब खोलते ही मुझे नींद आने लगती थी।”
परिवार का विरोध और चुनौतियाँ
सुनीता और गोविंदा के रिश्ते को लेकर शुरुआत में उनके परिवार वाले खुश नहीं थे। हो सकता है कि उन्हें लगता हो कि यह रिश्ता सुनीता के भविष्य के लिए सही नहीं है। लेकिन दोनों ने हार नहीं मानी। सुनीता ने बताया कि उनकी माँ को शुरू में गोविंदा पर भरोसा नहीं था, लेकिन बाद में सब ठीक हो गया।
तो क्या यह सच है कि प्यार में पड़ने की वजह से सुनीता की पढ़ाई प्रभावित हुई? शायद हाँ, शायद नहीं। लेकिन सुनीता मानती हैं कि वह पढ़ाई में कभी अच्छी नहीं रहीं। उनका ध्यान दूसरी चीजों पर ज्यादा था।
गोविंदा का साथ और आज की जिंदगी
गोविंदा और सुनीता ने 1987 में शादी की और आज तक साथ हैं। बॉलीवुड में जहाँ रिश्ते जल्दी टूट जाते हैं, वहाँ इन दोनों का साथ मिसाल की तरह है। सुनीता ने कहा कि गोविंदा ने हमेशा उनका साथ दिया, चाहे वह अच्छा वक्त हो या बुरा।
और आज? दोनों के दो बच्चे हैं—याश और तांडव। याश बॉलीवुड में एक्टर बन चुके हैं, जबकि तांडव ने भी फिल्मों में कदम रखा है। सुनीता और गोविंदा की जिंदगी शायद उतार-चढ़ाव भरी रही, लेकिन उन्होंने हर मुश्किल का सामना एक साथ किया।
क्या सख्त पेरेंटिंग सही है?
सुनीता के बयान से एक बड़ा सवाल उठता है—क्या बच्चों के साथ सख्ती से पेश आना सही है? कुछ लोग मानेंगे कि हाँ, क्योंकि इससे बच्चे अनुशासन सीखते हैं। लेकिन दूसरों का कहना होगा कि इस तरह की सजा बच्चे के मन में डर पैदा कर सकती है।
सुनीता ने खुद कहा कि उनकी माँ का इरादा बुरा नहीं था। वह चाहती थीं कि उनकी बेटी पढ़-लिखकर एक अच्छी जिंदगी जिए। मुमकिन है कि उस जमाने में पेरेंटिंग के तरीके अलग थे। आज के दौर में शायद लोग इस तरह की सख्ती को सही नहीं मानेंगे।
क्या कहती हैं सुनीता आज?
अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए सुनीता ने कोई गिला-शिकवा नहीं जताया। उन्होंने कहा कि वह अपनी माँ से प्यार करती हैं और उनकी सख्ती के पीछे का मकसद समझती हैं। शायद यही वजह है कि आज वह खुद एक संतुलित जिंदगी जी रही हैं।
और गोविंदा? वह आज भी सुनीता के साथ खुश हैं। बॉलीवुड के इस पावर कपल की कहानी बताती है कि प्यार और सपोर्ट से कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है।