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Google और NASA का अंतरिक्ष यात्रियों के लिए AI मेडिकल असिस्टेंट: आर्टेमिस मिशन की तैयारी

# नासा और गूगल का साथ: अंतरिक्ष यात्रियों के लिए AI मेडिकल असिस्टेंट

चांद पर वापसी के लिए तैयारी

नासा और गूगल मिलकर एक ऐसी AI-आधारित मेडिकल सहायता प्रणाली विकसित कर रहे हैं जो अंतरिक्ष यात्रियों को लंबी अवधि के मिशनों में मदद करेगी। यह प्रोजेक्ट नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसके तहत इंसानों को चांद पर वापस भेजा जाएगा।

लेकिन यह सिर्फ चांद तक सीमित नहीं होगा। भविष्य में मंगल और उससे आगे के मिशनों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल हो सकता है।

CMO-DA: अंतरिक्ष में डॉक्टर की भूमिका

इस टूल का नाम है **क्रू मेडिकल ऑफिसर डिजिटल असिस्टेंट (CMO-DA)**। यह एक प्रायोगिक AI मॉडल है जो अंतरिक्ष यात्रियों को लक्षणों का निदान और उपचार करने में मदद करेगा, खासकर तब जब उनके साथ कोई डॉक्टर न हो या पृथ्वी से संपर्क सीमित हो।

गूगल के मुताबिक, यह AI अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य और प्रदर्शन का रियल-टाइम विश्लेषण करेगा। साथ ही, यह डेटा और पूर्वानुमानों के आधार पर चिकित्सा निर्णय लेने में सहायता करेगा।

परीक्षण और प्रारंभिक परिणाम

अभी यह प्रणाली सिम्युलेटेड परिस्थितियों में टेस्ट की जा रही है। एक क्लीनिकल फ्रेमवर्क के तहत इसके प्रदर्शन का आकलन किया जा रहा है, जिस तरह मेडिकल छात्रों का मूल्यांकन होता है।

टेकक्रंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआती परीक्षणों में इसने कुछ मामलों में काफी अच्छे नतीजे दिए हैं:
– टखने की चोट के मामले में 88% सटीकता
– कान दर्द में 80% सटीकता
– पेट के एक तरफ दर्द में 74% सटीकता

गूगल का कहना है कि **”शुरुआती नतीजे संभावनाएं दिखाते हैं कि यह AI लक्षणों के आधार पर विश्वसनीय निदान कर सकता है।”**

डॉक्टर्स के साथ मिलकर सुधार

अब गूगल और नासा मेडिकल डॉक्टर्स के साथ मिलकर इस मॉडल को और बेहतर बना रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में यह प्रणाली पूरी तरह स्वायत्त हो और यात्रियों के स्वास्थ्य का ध्यान रख सके।

इस प्रोजेक्ट को **गूगल पब्लिक सेक्टर** के साथ एक निश्चित अनुबंध के तहत लागू किया जा रहा है। इसमें क्लाउड कंप्यूटिंग, एप्लिकेशन विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और मॉडल ट्रेनिंग शामिल हैं।

दिलचस्प बात यह है कि इस एप्लिकेशन का सोर्स कोड नासा के पास होगा और एजेंसी मॉडल के अंतिम रूप में भी भागीदारी करेगी।

भविष्य की योजनाएं

नासा इस प्रणाली की क्षमताओं को धीरे-धीरे बढ़ाने की योजना बना रहा है। आने वाले संस्करणों में यह ऑनबोर्ड मेडिकल उपकरणों से रियल-टाइम डेटा ले सकेगा। साथ ही, यह माइक्रोग्रैविटी जैसी अंतरिक्ष-विशिष्ट स्वास्थ्य स्थितियों को समझने में भी सक्षम होगा।

धरती पर भी फायदेमंद

यह तकनीक सिर्फ अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि धरती पर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी मददगार साबित हो सकती है। जहां डॉक्टरों तक पहुंच मुश्किल है, वहां इस तरह के AI टूल जान बचा सकते हैं।

नासा का AI के साथ पुराना नाता

यह नासा का AI को अपने मिशन में शामिल करने का पहला प्रयास नहीं है। इसी साल की शुरुआत में, नासा की **जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL)** ने **डायनामिक टार्गेटिंग** नामक एक AI सिस्टम का सफल परीक्षण किया था। यह सिस्टम पृथ्वी की निगरानी करने वाले उपग्रहों को यह तय करने में सक्षम बनाता है कि कहां और कब अपने कैमरों को घुमाना है, और यह सब **90 सेकंड से भी कम समय में**, बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के।

इस तकनीक को विकसित होने में एक दशक से अधिक का समय लगा है। दिलचस्प बात यह है कि यह सिस्टम इंसानों की तरह ही छवियों की व्याख्या करने में सक्षम है।

तो देखा जाए तो, नासा और गूगल का यह सहयोग न सिर्फ अंतरिक्ष यात्रियों के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। शायद आने वाले समय में यह तकनीक और भी परिष्कृत होकर हमारे सामने आएगी।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।