गौतम गंभीर और ओवल के क्यूरेटर के बीच तनावपूर्ण मुठभेड़
मंगलवार को भारतीय टीम के हेड कोच गौतम गंभीर और ओवल के चीफ पिच क्यूरेटर ली फोर्टिस के बीच एक तीखी बहस देखी गई। यह घटना तब हुई जब गंभीर मैच से पहले पिच का निरीक्षण करने पहुंचे थे। बाद में भारतीय बैटिंग कोच सितांशु कोटक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की पुष्टि की कि टीम के सदस्यों ने पिच को नुकसान पहुंचाने वाले स्पाइक्स वाले जूते नहीं पहने थे।
क्या था विवाद का कारण?
जानकारी के मुताबिक, गंभीर ने पिच देखने के दौरान स्पाइक्स रहित जूते पहने थे, जो नियमों के अनुसार पूरी तरह से स्वीकार्य है। लेकिन ओवल के क्यूरेटर ने इस पर आपत्ति जताई। कोटक ने स्पष्ट किया, “हमारे कोच ने सभी नियमों का पालन किया। पिच को लेकर चर्चा होना सामान्य है, लेकिन तरीका सही नहीं था।”
इरफान पठान ने गंभीर का लिया पक्ष
पूर्व भारतीय क्रिकेटर इरफान पठान ने इस मामले में गंभीर का समर्थन किया है। अपने यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए पठान ने कहा, “गौतम गंभीर ने पिच देखने के लिए बिना स्पाइक्स वाले जूते पहने थे। यह नियमों के खिलाफ नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “ओवल का यह क्यूरेटर विदेशी टीमों के कप्तानों और कोचों के साथ अक्सर रूखा व्यवहार करता है। यह पहली बार नहीं हुआ। शायद उन्हें अपने तरीके पर विचार करना चाहिए।”
क्यूरेटर का रवैया पहले भी रहा है विवादित
पठान के बयान से यह साफ हो जाता है कि यह कोई अलग घटना नहीं है। ओवल का पिच प्रबंधन पहले भी कई बार विवादों में रहा है। कुछ सूत्रों का कहना है कि फोर्टिस का तरीका कभी-कभी आक्रामक हो जाता है, खासकर विदेशी टीमों के मामले में।
लेकिन दूसरी ओर, कुछ लोग मानते हैं कि पिच की सुरक्षा को लेकर सख्त रवैया बनाए रखना जरूरी है। शायद यही वजह है कि क्यूरेटर ने इतनी सख्ती दिखाई।
टीम इंडिया की चिंताएं क्या हैं?
भारतीय टीम इस समय इंग्लैंड दौरे पर है और ओवल में होने वाला मैच उनके लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में पिच को लेकर कोई भी विवाद टीम की तैयारियों में बाधक बन सकता है। कोटक ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि इस घटना का टीम के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
“हम पूरी तरह से फोकस्ड हैं,” उन्होंने कहा। “ऐसी छोटी-मोटी बातें होती रहती हैं। हमारा ध्यान सिर्फ क्रिकेट पर है।”
आगे क्या हो सकता है?
अभी तक आईसीसी या इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मुमकिन है कि यह मामला यहीं खत्म हो जाए। लेकिन अगर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज की जाती है, तो स्थिति बदल भी सकती है।
क्रिकेट के जानकारों का मानना है कि पिच की सुरक्षा और टीमों के अधिकारों के बीच एक संतुलन जरूरी है। हो सकता है कि इस घटना के बाद इस मुद्दे पर फिर से चर्चा शुरू हो जाए।
निष्कर्ष
यह घटना दिखाती है कि क्रिकेट में सिर्फ खेल ही नहीं, बल्कि उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातें भी महत्वपूर्ण होती हैं। गंभीर और फोर्टिस के बीच यह टकराव शायद जल्द ही भुला दिया जाएगा, लेकिन यह सवाल जरूर उठाता है कि पिच निरीक्षण जैसे मामलों में किस तरह का व्यवहार उचित माना जाए।
फिलहाल, भारतीय टीम अपने खेल पर ध्यान दे रही है। और शायद यही सही रास्ता है।