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यूरोपीय कमीशन बिग टेक कंपनियों से डिजिटल मार्केट्स एक्ट अनुपालन की निगरानी लागत नहीं वसूलेगा

यूरोपीय आयोग ने बड़ी टेक कंपनियों से निगरानी शुल्क वसूलने के प्रस्ताव को ठुकराया

यूरोपीय आयोग ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह Google, Amazon, Apple, TikTok की मूल कंपनी ByteDance, Meta और Microsoft जैसी बड़ी टेक कंपनियों से डिजिटल मार्केट्स एक्ट (DMA) के अनुपालन की निगरानी के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूलेगा। यूरोपीय संघ के प्रौद्योगिकी प्रमुख ने यह बात कही, हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि नियमों की समीक्षा का प्रक्रिया लगातार जारी है।

जर्मनी और यूरोपीय संसद की मांग को नहीं मिली मंजूरी

इससे पहले, जर्मनी और यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने बड़ी टेक कंपनियों पर एक ‘सुपरवाइजरी फी’ लगाने की वकालत की थी। उनका तर्क था कि इससे यूरोपीय प्रतिस्पर्धा नियामकों को DMA को बेहतर ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी। लेकिन ऐसा लगता है कि आयोग इस विचार से सहमत नहीं है।

एक पत्रकार वार्ता में यूरोपीय आयोग के कार्यकारी उपाध्यक्ष ने कहा, “नियमों की समीक्षा हमेशा चलती रहती है, लेकिन फिलहाल कंपनियों से निगरानी की लागत वसूलने का कोई प्लान नहीं है।” हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि आयोग ने यह फैसला क्यों लिया।

DMA लागू करने में आ रही हैं चुनौतियां

डिजिटल मार्केट्स एक्ट, जो इस साल मार्च से लागू हुआ है, बड़ी टेक कंपनियों के व्यवसाय प्रथाओं पर सख्त नियंत्रण लगाता है। इसमें ऐप स्टोर, ऑनलाइन खोज और डेटा शेयरिंग जैसे मुद्दों पर नए नियम शामिल हैं। लेकिन इस कानून को लागू करना आसान नहीं रहा है।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर निगरानी के लिए यूरोपीय संघ के पास संसाधनों की कमी हो सकती है। शायद यही वजह थी कि जर्मनी और कुछ सांसदों ने बड़ी कंपनियों से शुल्क लेने का प्रस्ताव रखा। लेकिन आयोग ने इसे स्वीकार नहीं किया।

क्या है बड़ी टेक कंपनियों की प्रतिक्रिया?

इस खबर पर बड़ी टेक कंपनियों की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वे इस फैसले से राहत महसूस कर रही होंगी। DMA पहले ही उनके लिए नए नियमों और प्रतिबंधों की वजह से चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।

दूसरी ओर, छोटे व्यवसायों और प्रतिस्पर्धियों का एक वर्ग इस फैसले से निराश हो सकता है। उनका मानना है कि बड़ी कंपनियों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद मिलती।

आगे क्या होगा?

फिलहाल तो यूरोपीय आयोग ने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। लेकिन यह संभव है कि भविष्य में इस पर फिर से बहस हो। जर्मन अधिकारियों और यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने जिस तरह से इस मुद्दे को उठाया था, उसे देखते हुए यह मामला शायद यहीं खत्म नहीं हुआ है।

तो अब सवाल यह है कि क्या DMA को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए यूरोपीय संघ के पास पर्याप्त संसाधन हैं? और अगर नहीं, तो क्या भविष्य में निगरानी शुल्क जैसे प्रस्तावों पर फिर से विचार किया जाएगा? इन सवालों के जवाब अभी बाकी हैं।

एक बात तो स्पष्ट है – डिजिटल बाजारों को नियंत्रित करने की यह लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है। और शायद, यह सिर्फ यूरोप तक ही सीमित नहीं रहेगी।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।