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बुमराह पर बोझ प्रबंधन बहस, चोट और एक्शन से जुड़ी चुनौतियों की कहानी

भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के साथ एक अजीब सी स्थिति बन गई है। दरअसल, हाल ही में खत्म हुए एंडरसन-टेंडुलकर ट्रॉफी के दौरान उनकी उपलब्धियों पर काम के बोझ और चुनिंदा मैच खेलने की रणनीति को लेकर बहस छिड़ गई है। और शायद ये बहस उनकी गेंदबाजी के शानदार प्रदर्शन पर भारी पड़ती दिख रही है।

चोट के बाद की वापसी और एक स्पष्ट योजना

यह टूर बुमराह के लिए काफी अहम था। इस साल की शुरुआत में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान एक गंभीर चोट के बाद यह उनका पहला बड़ा टेस्ट सीरीज था। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और टीम प्रबंधन ने शुरुआत से ही साफ कर दिया था कि बुमराह सीरीज के नतीजे और स्कोरलाइन से परे, सिर्फ पांच मैचों में से तीन में ही खेलेंगे। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था।

लेकिन क्या यह रणनीति सही थी? इस सवाल पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। कोई कहता है कि एक कीमती खिलाड़ी को लंबे समय तक बचाकर रखना जरूरी है, तो कोई मानता है कि जब सीरीज की बाजी लगी हो, तो अपने सबसे अच्छे खिलाड़ी को बाहर बैठाना टीम के हित में नहीं होता।

शानदार प्रदर्शन के बावजूद छोड़ना पड़ा दल

अगस्त की शुरुआत में ओवल टेस्ट के पांचवें दिन भारत ने नाटकीय ढंग से सीरीज 2-2 से बराबरी पर तो ले ही ली, लेकिन उससे पहले ही बुमराह को टीम से रिलीज कर दिया गया था। उन्होंने अपने तीन मैचों का कोटा पूरा कर लिया था। और इन तीन मैचों में उनका प्रदर्शन शानदार रहा। उन्होंने 14 विकेट चटकाए, जिनमें दो पांच विकेट हॉल भी शामिल थे।

तो सवाल यह उठता है कि अगर वह बाकी के दो मैच भी खेलते, तो क्या नतीजा कुछ और होता? मुमकिन है कि भारत सीरीज जीत जाता। या फिर हो सकता है, उनकी चोट फिर से उभर आती। इसका जवाब तो कोई नहीं जानता।

एक अलग Action और लगातार चोटों का सिलसिला

बुमराह इस दशक के एक बड़े हिस्से से अपनी चोट की चिंताओं और एक अजीब गेंदबाजी एक्शन से जूझ रहे हैं। लेकिन उनके इस अनोखे एक्शन से जुड़ी समस्याओं का इतिहास काफी पुराना है। यह कोई नई बात नहीं है।

पूर्व भारतीय गेंदबाजी कोच भारत अरुण ने हाल ही में एक दिलचस्प किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे 2013 में, भारतीय टीम में शामिल होने से तीन साल पहले, बुमराह के सामने गेंद की रफ्तार बढ़ाने को लेकर लगभग एक ‘मिल्कशेक बनाम बॉलिंग एक्शन’ की उलझन पैदा हो गई थी।

तात्पर्य यह था कि उन्हें या तो अपनी ताकत बढ़ाने के लिए पोषण पर ध्यान देना था या फिर अपने एक्शन में बदलाव करके उससे होने वाले दबाव को कम करना था। यह एक मुश्किल फैसला था।

भविष्य को लेकर चिंताएं

बुमराह की गेंदबाजी भारत के लिए एक अनमोल संपत्ति है, खासकर टेस्ट क्रिकेट में। लेकिन उनकी फिटनेस को लेकर लगातार सवाल उठते रहते हैं। टीम प्रबंधन का Selective approach शायद जरूरी भी है। लंबे समय तक उन्हें Fit रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

पर कहा जा सकता है कि यह एक पतली रस्सी पर चलने जैसा है। एक तरफ टीम की तात्कालिक जरूरतें हैं, तो दूसरी तरफ एक खिलाड़ी का दीर्घकालिक कैरियर। इस संतुलन को बनाए रखना आसान नहीं है।

निष्कर्ष: एक जटिल समीकरण

जसप्रीत बुमराह का मामला सिर्फ एक क्रिकेटर का नहीं है। यह आधुनिक खेल प्रबंधन की उस जटिलता की ओर इशारा करता है, जहाँ एक तरफ खिलाड़ी की सेहत है तो दूसरी तरफ जीत की भूख।

बुमराह ने अपने तीन मैचों में जो कमाल दिखाया, वह यह साबित करने के लिए काफी है कि वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से एक हैं। लेकिन उन्हें लेकर भविष्य में क्या रणनीति अपनाई जाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, BCCI और टीम प्रबंधन उन्हें संभालकर चलने के पक्ष में दिखाई देते हैं। और शायद यही सही है।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।