हार्दिक पंड्या और आशीष नेहरा पर बीसीसीआई की सख्ती: वानखेड़े की हार के बाद मैदान के बाहर भी छिड़ा बवाल
वानखेड़े की हार के बाद गहराया संकट
IPL का रोमांच हमेशा चरम पर होता है, लेकिन मंगलवार रात वानखेड़े स्टेडियम में जो हुआ, वो सिर्फ क्रिकेट नहीं बल्कि एक इमोशनल ड्रामा बन गया। एक तरफ आखिरी गेंद पर मिली हार से झुकी मुंबई इंडियंस की टीम, तो दूसरी ओर अब कप्तान हार्दिक पंड्या और गुजरात टाइटंस के हेड कोच आशीष नेहरा पर बीसीसीआई की गाज गिर गई।
हार्दिक को पड़ा भारी स्लो ओवर रेट, ₹24 लाख की चपत
बीसीसीआई ने हार्दिक पर ₹24 लाख का जुर्माना ठोका है। वजह? वही पुराना — स्लो ओवर रेट। IPL में इस सीज़न का ये मुंबई का दूसरा मामला था और इस बार सिर्फ हार्दिक नहीं, पूरी टीम को इसकी कीमत चुकानी पड़ी।
हर खिलाड़ी से या तो ₹6 लाख या 25% मैच फीस काटी गई — जो भी कम हो। लेकिन सज़ा यहीं खत्म नहीं हुई। नियमों के मुताबिक, मैच के आखिरी ओवर में मुंबई सिर्फ 4 फील्डर्स को ही आउटसाइड सर्कल में खड़ा कर सकी — और शायद यही वो चूक थी जिसने गुजरात को 3 विकेट से जीत दिलाई।
नेहरा का गुस्सा बना मुसीबत, ‘स्पिरिट ऑफ द गेम’ पर सवाल
अब बात करते हैं आशीष नेहरा की। मैच के दौरान बारिश की वजह से खेल दो बार रोका गया। लेकिन असली झटका तब लगा जब नेहरा अंपायर्स से भिड़ गए — वो लगातार मैच के दोबारा शुरू होने के टाइम को लेकर नाराज़ दिखे।
बार-बार समय बदलता गया — 12:09 से 12:25 और फिर 12:30 AM! लेकिन मैदान पर बारिश नहीं थी, और यही बात नेहरा को बुरी तरह खल गई।
BCCI ने इसे IPL कोड ऑफ कंडक्ट के आर्टिकल 2.20 के तहत ‘खेल की भावना के खिलाफ बर्ताव’ माना और नेहरा को 25% मैच फीस की कटौती के साथ 1 डिमेरिट पॉइंट थमा दिया।
“मेरे ओवर ने मैच छुड़वाया”: हार्दिक की सच्चाई
मैच के बाद हार्दिक ने भी कोई सफाई नहीं दी, बल्कि खुलकर स्वीकार किया कि उनकी वजह से टीम हारी।
“आखिरी ओवर में जो मैंने किया, वो किसी अपराध से कम नहीं। उस ओवर में रन देना मेरी ज़िम्मेदारी थी और मैं उसे निभा नहीं पाया।”
फैंस ने भी हार्दिक की ईमानदारी की तारीफ की, लेकिन सोशल मीडिया पर उनकी कप्तानी एक बार फिर कटघरे में है।
फैंस का रिएक्शन: गुस्सा, बहस और मीम्स
Twitter और Instagram पर फैंस ने गुस्सा और हैरानी जताई। किसी ने लिखा — “हार्दिक से कप्तानी नहीं होती,” तो किसी ने कहा — “नेहरा को मैदान पर इतना भड़कते नहीं देखना चाहिए था।”
वहीं कुछ समर्थकों ने टीम पर भरोसा जताया — “यह IPL है, यहां हर मैच कहानी बदल देता है। अगले मैच में वापसी होगी!
क्या IPL में अब ‘स्पिरिट ऑफ द गेम’ बची है?
नेहरा की हरकत ने फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या कोच का मैदान पर इस तरह भड़कना सही है? क्या खिलाड़ियों पर बार-बार स्लो ओवर रेट का आरोप IPL की प्रोफेशनल छवि को नुकसान नहीं पहुंचा रहा?
क्रिकेट सिर्फ स्कोरबोर्ड का खेल नहीं — ये खेल भावना, सम्मान और धैर्य की परीक्षा है। और जब दांव पर हो IPL की साख, तो बीसीसीआई का एक्शन ज़रूरी भी लगता है।
निष्कर्ष: वानखेड़े की कहानी सिर्फ हार की नहीं थी
इस मुकाबले में जीत भले ही गुजरात टाइटंस की रही, लेकिन असली चर्चा मैदान के बाहर की रही। हार्दिक की कप्तानी, नेहरा का गुस्सा और BCCI की सख्ती — ये सब IPL की रंगीनियों में कड़वी हकीकत की तरह सामने आए।
अब देखना ये है कि ये दोनों दिग्गज आगे कैसे रिएक्ट करते हैं और क्या ये विवाद IPL 2025 की यादगार कहानियों में शामिल हो जाएगा या नहीं।