एक बार फिर एशेज टेस्ट के मैदान में इंग्लैंड की हार ने खेल प्रेमियों के दिलों में हलचल मचा दी है। पर्थ में हुए इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को दो दिन के अंदर ही आठ विकेट से हरा दिया। इस हार ने इंग्लैंड के पूर्व महान खिलाड़ी जॉफ्रे बॉयकॉट की नाराजगी को हवा दी। उन्होंने द टेलीग्राफ यूके में लिखते हुए कहा, “मैं इस बेवकूफ इंग्लैंड टीम को अब गंभीरता से नहीं ले पा रहा।” उनकी यह टिप्पणी इंग्लैंड की बार-बार हो रही गलतियों की ओर ध्यान दिलाती है।
मैच की शुरुआत में इंग्लैंड का प्रदर्शन उत्साहजनक था। बेन डकेट और ओली पोप की जोड़ी ने मैदान पर संभावनाओं का सृजन किया, किन्तु बॉयकॉट के अनुसार, टीम “पलक झपकते ही आत्मविनाश की ओर बढ़ जाती है।” उन्होंने ‘बैजबॉल’ नामक नई रणनीति को भी आड़े हाथों लिया, जिसे कोच ब्रेंडन मैकुलम के तहत अपनाया गया। बॉयकॉट का मानना है कि यह रणनीति इंग्लैंड को उच्च स्तरीय टीमों के खिलाफ जीतने में बाधा डाल रही है।
मैच शुरू होते ही ऑस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क ने तेज-तर्रार गेंदबाजी से इंग्लैंड की बैटिंग लाइनअप को झकझोर दिया। स्टार्क के 10 विकेटों ने इंग्लैंड को पहली पारी में मात्र 172 रन पर ढेर कर दिया। जवाब में जोफ्रा आर्चर और बेन स्टोक्स ने प्रतिस्पर्धी गेंदबाजी की, पर ऑस्ट्रेलिया के पलटवार ने दूसरे दिन खेल का रुख ही बदल दिया।
दूसरे दिन का खेल विवादों से भरा रहा। इंग्लैंड के बैट्समैन जेमी स्मिथ के आउट होने पर डीआरएस का इस्तेमाल किया गया, जिसे लेकर बहस हुई। टेक्नोलॉजी ने उसे आउट करार दिया, लेकिन इंग्लैंड के समर्थकों में इसे लेकर नाराजगी थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने मोर्चा संभाला और त्राविस हेड के शानदार शतक की मदद से 205 रनों का लक्ष्य आठ विकेट शेष रहते ही हासिल कर लिया।
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों टीमों की रणनीति और खेल शैली में अब नए परीक्षण होंगे। जहां ऑस्ट्रेलिया अपनी जीत की लय को बरकरार रखने की उम्मीद में है, वहीं इंग्लैंड को अपने खेल में सुधार और मजबूती लाने की जरूरत है। बॉयकॉट के शब्दों में, “वे कभी नहीं सीखते, क्योंकि वे कभी किसी की नहीं सुनते।” आगे चलकर यह सीरीज और भी रोमांचक होने की उम्मीद है।
देखना होगा कि इंग्लैंड इस हार से उबर पाता है या आगे भी ऑस्ट्रेलिया अपनी धाक जमाए रखेगा। खेल प्रेमियों के लिए यह घड़ी किसी बड़े नाटक से कम नहीं है।






