आश्विन ने कंबोज की फिटनेस पर जताई चिंता
रविचंद्रन आश्विन को अपने चेन्नई सुपर किंग्स के साथी और टीम इंडिया के नए तेज़ गेंदबाज अनशुल कंबोज की फिटनेस और गेंद की स्पीड को लेकर आपत्ति थी। मैनचेस्टर टेस्ट में डेब्यू कर रहे कंबोज जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के साथ तीसरे पेसर की भूमिका में नाकाम रहे।
पहले क्या कहा था आश्विन ने?
ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट से ठीक पहले जब कंबोज को टीम में शामिल किया गया, तो आश्विन ने उनके हुनर की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि हरियाणा के इस पेसर की एंट्री से भारत की गेंदबाजी और मजबूत हो सकती है।
आश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा था, “सिराज और बुमराह के साथ अगर अनशुल कंबोज को मौका मिले, तो यह एक गंभीर गेंदबाजी अटैक हो सकता है। लोग कहेंगे कि उनका अनुभव नहीं है, लेकिन वह इंग्लैंड ए टूर पर थे। घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है।”
डेब्यू पर क्यों धीमी रही गेंद?
लेकिन 25 साल के इस गेंदबाज ने इंग्लैंड के खिलाफ दबाव में नजर आए। उनकी गेंद की स्पीड 130 किमी/घंटा से भी नीचे रही। लंबाई का अभाव और लाइन की गड़बड़ी ने टीम की मुश्किलें और बढ़ा दीं। कंबोज ने 18 ओवर में 89 रन देकर सिर्फ एक विकेट हासिल किया।
यहां तक कि सिर्फ एक मेडन ओवर ही फेंक पाए। पिछले घरेलू सीजन के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें टीम में जगह मिली थी। सितंबर 2024 से उन्होंने 11 मैचों में 55 विकेट झटके थे, जिसमें लाहली में केरल के खिलाफ 10 विकेट भी शामिल थे।
चोट का असर या फिटनेस की कमी?
आश्विन समझ नहीं पा रहे थे कि कंबोज की गति इतनी कम क्यों थी। खबरों के मुताबिक, पिछले महीने इंग्लैंड ए टूर के बाद वह शिन इंजरी के साथ घर लौटे थे।
आश्विन ने कहा, “मैंने कल अनशुल की तारीफ की थी, लेकिन आज उनकी गेंद की स्पीड देखकर मैं हैरान रह गया। उम्मीद है कि वह ठीक हैं, क्योंकि आईपीएल में वह इससे तेज गेंदबाजी कर रहे थे। लग रहा था कि वह संघर्ष कर रहे हैं।”
क्या है समाधान?
आश्विन ने आगे कहा, “ऐसी स्थिति से निपटने का एक ही तरीका है – हमें गेंदबाजों का बड़ा पूल तैयार करना होगा।” उनका इशारा टीम इंडिया की बेंच स्ट्रेंथ की ओर था।
टीम मैनेजमेंट को भी अब इस ओर ध्यान देना होगा। बुमराह-सिराज जैसे गेंदबाजों पर हमेशा निर्भर रहना ठीक नहीं। नए खिलाड़ियों को मौके देने के साथ-साथ उनकी फिटनेस पर भी काम करना होगा।
अब क्या होगा आगे?
कंबोज के प्रदर्शन ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या घरेलू प्रदर्शन को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सफलता की गारंटी मान लेना चाहिए? शायद जवाब ना में हो।
लेकिन एक डेब्यू मैच में असफलता को अंत नहीं माना जा सकता। कंबोज के पास अपनी क्षमताओं को साबित करने के लिए समय है। बस जरूरत है थोड़े धैर्य और सही मार्गदर्शन की।