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कृत्रिम बुद्धिमत्ता का असर: युवा कामगारों पर पड़ रहा है सबसे ज्यादा मार

पिछले तीन सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के टूल्स, जैसे कि ChatGPT और Claude, ने बहुत तेज़ी से अपनी पकड़ बनाई है। आज ये तकनीकें कोड लिख सकती हैं, जटिल सवालों के जवाब दे सकती हैं, और वो कई तरह के काम कर सकती हैं जो पहले इंसानों के ज़िम्मे होते थे। एक नई स्टैनफोर्ड रिपोर्ट ने इस बात पर रोशनी डाली है कि ये AI टूल्स अमेरिका में नौकरियों को किस तरह प्रभावित कर रहे हैं। इस रिपोर्ट के लिए 2021 से लेकर 2025 के मध्य तक लाखों कर्मचारियों के डिटेल्ड पेरोल डेटा का इस्तेमाल किया गया है।

एंट्री-लेवल कर्मचारियों पर सबसे ज़्यादा असर

रिपोर्ट के मुताबिक, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग और कस्टमर सर्विस जैसे काम AI की जद में सबसे ज़्यादा आते हैं, क्योंकि इनके ज़्यादातर रोज़मर्रा के काम, जैसे कोड लिखना या सवालों के जवाब देना, अब AI सिस्टम कर सकते हैं। रिपोर्ट दर्शाती है कि 22 से 25 साल के उम्र के कर्मचारियों के लिए इन नौकरियों में करीब 13 फीसदी की समग्र गिरावट आई है, और कुछ व्यवसायों में तो यह गिरावट लगभग 20 फीसदी तक पहुँच गई है। वहीं दूसरी ओर, इन्हीं क्षेत्रों में काम करने वाले उम्रदराज़ कर्मचारियों की नौकरियाँ स्थिर बनी हुई हैं। AI से कम प्रभावित नौकरियों जैसे नर्सिंग में, युवा कर्मचारियों को अब भी रोज़गार मिल रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो फ्रेश ग्रेजुएट्स के लिए प्रोग्रामिंग या कॉल सेंटर वाली नौकरियों में प्रवेश करना अब पहले से कहीं ज़्यादा मुश्किल हो गया है।

नौकरियाँ बढ़ तो रही हैं, पर युवाओं के लिए नहीं

रिपोर्ट यह भी कहती है कि अमेरिकी नौकरी बाजार कम बेरोज़गारी के साथ मजबूत बना हुआ है। लेकिन, 22-25 साल की उम्र वालों के लिए, AI से प्रभावित नौकरियों में रोज़गार सपाट-सा है। रिपोर्ट के आँकड़े बताते हैं कि 2022 के अंत और 2025 के मध्य के बीच, सबसे ज़्यादा प्रभावित नौकरियों में काम करने वाले युवा श्रमिकों के रोज़गार में 6 फीसदी की गिरावट देखी गई। इसके उलट, इन्हीं नौकरियों में काम करने वाले वरिष्ठ कर्मचारियों के रोज़गार में 9 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई। इसका सीधा मतलब यह है कि भले ही अर्थव्यवस्था स्वस्थ दिख रही हो, पर AI प्रधान उद्योगों में नौकरी ढूँढ रहे युवाओं को संघर्ष करना पड़ रहा है।

क्या सभी AI बुरी खबर ही है?

लेकिन रिपोर्ट यह दावा भी करती है कि सारी AI बुरी खबर नहीं है। शोधकर्ताओं ने उस AI के बीच अंतर किया है जो कामों को पूरी तरह से ऑटोमेट कर देती है और उस AI के बीच जो इंसानों को उनका काम बेहतर तरीके से करने में मदद करती है। जहाँ AI सीधे तौर पर कोड लिखने जैसे कामों को ऑटोमेट कर रही है, वहाँ युवा कर्मचारियों के रोज़गार में तेज़ गिरावट देखी गई। वहीं दूसरी ओर, उन क्षेत्रों में जहाँ AI एक सहायक के तौर पर इस्तेमाल हो रही है, वहाँ रोज़गार स्थिर है या फिर बढ़ भी रहा है। शायद यह एक महत्वपूर्ण भेद है जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

क्या है असली ट्रेंड?

ऐसा लग सकता है कि नौकरियों में यह गिरावट ब्याज दरों में बढ़ोतरी या टेक उद्योग में मंदी जैसे दूसरे कारकों की वजह से आई है। लेकिन शोधकर्ताओं ने कंपनी-विशिष्ट झटकों को नियंत्रित करके इसकी जाँच की। इन सबको एडजस्ट करने के बाद भी, AI से प्रभावित क्षेत्रों में युवा श्रमिकों के रोज़गार पर प्रभाव महत्वपूर्ण बना रहा। मूल रूप से, नौकरी में कटौती का मतलब यह नहीं है कि टेक उद्योग गिरावट में है या मुश्किल दौर से गुज़र रहा है; बल्कि, यह AI के कारण श्रमिकों की मांग के स्वरूप बदलने की ओर इशारा करता है।

वेतन पर क्या असल पड़ रहा है?

हालाँकि नौकरियों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं, लेकिन वेतन में ज़्यादा हलचल नहीं हुई है। रिपोर्ट दिखाती है कि AI से प्रभावित नौकरियों में युवा श्रमिकों के वेतन में तेज़ी से गिरावट नहीं आ रही है। बल्कि, कंपनियाँ कम भर्ती करके समायोजन कर रही हैं। सीधी भाषा में कहें तो कंपनियाँ वेतन कम नहीं कर रहीं, बल्कि वे युवा श्रमिकों की भर्ती की संख्या में कटौती कर रही हैं। रिपोर्ट अनिवार्य रूप से कहती है कि AI का पहला प्रभाव एंट्री-लेवल के अवसरों में कमी का रहा है,

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।