करीब 8 साल बाद लौटे करुण नायर को मिला मौका, लेकिन…
पूर्व भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने कप्तान शुभमन गिल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने करुण नायर को टीम में शामिल न करके एक बड़ा मौका गंवा दिया। कैफ के मुताबिक, यह गिल के लिए ‘लीडर के तौर पर मुश्किल फैसलों का सम्मान हासिल करने का चांस था’।
कैफ ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, *”आज शुभमन गिल का मौका था करुण को सपोर्ट करने का, जो मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उन्हें करुण नायर को टीम में रखना चाहिए था। लीडर के रूप में कठिन फैसलों पर सम्मान कमाने का यह मौका छूट गया।”*
नायर का प्रदर्शन रहा निराशाजनक
8 साल बाद भारतीय टीम में वापसी करने वाले करुण नायर का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका। इंग्लैंड के खिलाफ पहले तीन टेस्ट में उन्होंने शुरुआत तो अच्छी की, लेकिन पारी को बड़ा स्कोर तक नहीं पहुंचा पाए। इसकी वजह से भारत 5 मैचों की सीरीज में 1-2 से पिछड़ गया है।
6 पारियों में इस विदर्भ खिलाड़ी ने सिर्फ 131 रन बनाए, जिसमें उनका औसत महज 21.83 रहा। उनका सर्वोच्च स्कोर 40 रन ही रहा। पहले तीन मैचों में उनके स्कोर कुछ यूं रहे – 0, 20, 31, 26, 40 और 14। स्ट्राइक रेट भी 52.61 ही था।
मैनचेस्टर टेस्ट में हुए बदलाव
गुरुवार को हुए चौथे टेस्ट में गिल ने करुण की जगह साई सुधारसन को टीम में शामिल किया। इसके अलावा दो और बदलाव किए गए – आकाश दीप और नितिश कुमार रेड्डी की चोट की वजह से जगह शार्दुल ठाकुर और अंशुल कंबोज को मौका मिला।
टॉस पर बात करते हुए गिल ने कहा, *”मैं थोड़ा कन्फ्यूज्ड था। अच्छा हुआ कि टॉस हार गए। पिछले तीन टेस्ट में हमारा प्रदर्शन शानदार रहा। कुछ महत्वपूर्ण पलों में हम हारे, लेकिन ज्यादातर सत्र हमने जीते। थोड़ा ब्रेक की जरूरत थी। सभी तीन टेस्ट इंटेंस रहे। पिच अच्छी लग रही है – सख्त और बेहतर। अगले चार-पांच दिनों में बारिश का अनुमान है। तीन बदलाव किए हैं – करुण की जगह साई सुधारसन आए हैं। कंबोज और शार्दुल भी टीम में शामिल हैं क्योंकि आकाश दीप और रेड्डी चोटिल हैं।”*
इंग्लैंड ने भी किया एक बदलाव
इंग्लैंड ने भी अपनी टीम में एक बदलाव किया। लॉर्ड्स में तीसरे टेस्ट में हाथ में चोट लगने के बाद शोएब बशीर की जगह लियाम डॉसन को टीम में शामिल किया गया।
क्या करुण को मिलना चाहिए था एक और मौका?
कैफ की टिप्पणी ने एक बहस छेड़ दी है। क्या वाकई करुण नायर को एक और मौका मिलना चाहिए था? या फिर गिल का फैसला सही था? कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि 6 पारियों में 131 रन का स्कोर किसी भी खिलाड़ी के लिए पर्याप्त नहीं होता। लेकिन दूसरी ओर, करुण की प्रतिभा और अनुभव को देखते हुए शायद उन्हें थोड़ा और समय दिया जा सकता था।
यह सच है कि करुण ने 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ ही ट्रिपल सेंचुरी बनाकर इतिहास रचा था। लेकिन क्रिकेट में अतीत की उपलब्धियां वर्तमान प्रदर्शन की गारंटी नहीं होतीं। तो क्या गिल ने सही फैसला लिया? या फिर कैफ की बात में दम है? इस सवाल का जवाब शायद सीरीज के आखिरी दो टेस्ट के नतीजे ही देंगे।