व्हाट्सएप का नया विंडोज़ ऐप: बदलाव या पीछे की ओर कदम?
मेटा के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप ने हमेशा से ही मल्टीप्लेटफॉर्म सपोर्ट पर ज़ोर दिया है। एंड्रॉयड, आईओएस, आईपैडओएस, मैकओएस, वियरओएस और विंडोज़ के लिए इसके डेडिकेटेड ऐप्स ने मैसेजिंग को आसान बनाया है। लेकिन अब लगता है कि विंडोज़ यूज़र्स के लिए कुछ बड़े बदलाव आने वाले हैं।
विंडोज़ लेटेस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाट्सएप अब विंडोज़ के लिए नेटिव ऐप की जगह वेब रैपर मॉडल अपना रहा है। बीटा वर्जन में यह बदलाव साफ दिखाई दे रहा है। शायद यह फ़ैसला डेवलपर्स के लिए चीज़ें आसान बनाने के लिए लिया गया हो।
क्या होता है वेब रैपर?
सीधे शब्दों में कहें तो वेब रैपर, वेब वर्जन को ही एक ऐप की शक्ल दे देता है। यानी अब विंडोज़ ऐप दरअसल व्हाट्सएप वेब का ही एक पैक्ड वर्जन होगा। 2021 में लॉन्च हुए नेटिव डेस्कटॉप ऐप ने ब्राउज़र पर व्हाट्सएप चलाने की ज़रूरत खत्म कर दी थी। लेकिन अब स्थिति फिर से बदल सकती है।
यूज़र्स को क्या मिलेगा, क्या खोएंगे?
इस बदलाव के साथ कुछ फ़ायदे भी हैं। मिसाल के तौर पर, नए फीचर्स जल्दी रोल आउट हो सकते हैं क्योंकि सिंगल कोड बेस को मेंटेन करना आसान होता है। लेकिन यहां एक बड़ी समस्या रैम यूज़ेज की है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि नया वेब रैपर वर्जन मौजूदा नेटिव ऐप के मुकाबले 30% ज़्यादा रैम इस्तेमाल करता है।
और तो और, मेटा खुद मान चुका है कि वेब वर्जन नेटिव ऐप के मुकाबले धीमा चलता है। डिज़ाइन के मामले में भी यह विंडोज़ के फ्लुएंट डिज़ाइन सिस्टम से मेल नहीं खाता। गूगल के मटीरियल 3 या ऐप्पल के लिक्विड ग्लास की तरह यह माइक्रोसॉफ्ट का डिज़ाइन फिलॉसफी है जिससे नया ऐप कटता नज़र आता है।
नोटिफिकेशन और अन्य मुद्दे
नेटिव ऐप्स की तरह नोटिफिकेशन सिस्टम भी अब अलग तरह से काम करेगा। हालांकि वेब वर्जन में मौजूद कुछ एक्स्ट्रा फीचर्स अब विंडोज़ यूज़र्स को भी मिल सकते हैं। पर सवाल यह है कि क्या यह ट्रेडऑफ़ सही है?
कुछ यूज़र्स का मानना है कि यह कदम पीछे हटने जैसा है। वहीं दूसरी ओर, शायद मेटा लंबे समय में कोडबेस को सिंप्लिफाई करने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल बीटा स्टेज में ही यह बदलाव है, इसलिए हो सकता है कि फाइनल वर्जन तक कुछ और ऑप्टिमाइज़ेशन हो जाएं।
क्या होगा मौजूदा यूज़र्स पर असर?
जो यूज़र्स माइक्रोसॉफ्ट स्टोर से व्हाट्सएप का नेटिव वर्जन इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके लिए अभी कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। लेकिन जब यह अपडेट आधिकारिक तौर पर रोल आउट होगा, तो संभावना है कि ऐप अपने आप ही नए वेब रैपर वर्जन में अपग्रेड हो जाएगा।
अभी तक मेटा की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि यह बदलाव कब तक लागू होगा। लेकिन अगर बीटा वर्जन किसी संकेत की तरह है, तो लगता है कि आने वाले महीनों में हमें यह बदलाव देखने को मिल सकता है।
क्या यह सही फ़ैसला है?
इस सवाल का जवाब शायद यूज़र्स के पास ही होगा। जो लोग परफॉरमेंस को प्राथमिकता देते हैं, उनके लिए यह निराशाजनक खबर हो सकती है। वहीं जो यूज़र नए फीचर्स की तरफ़ ज़्यादा ध्यान देते हैं, वे इस बदलाव से खुश भी हो सकते हैं।
फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि व्हाट्सएप का यह नया प्रयोग देखने लायक़ होगा। बस उम्मीद यही की जा सकती है कि मेटा यूज़र्स की फीडबैक को गंभीरता से लेगा और ज़रूरी सुधार करेगा।