इंग्लैंड क्रिकेट टीम में न्यूजीलैंड का एक और सलाहकार
इंग्लैंड क्रिकेट टीम में न्यूजीलैंड के कोच और विशेषज्ञों का दबदबा बढ़ता जा रहा है। हेड कोच ब्रेंडन मैककुलम, फास्ट-बॉलिंग कंसल्टेंट टिम साउथी और कप्तान बेन स्टोक्स (जिनका जन्म न्यूजीलैंड में हुआ) के बाद अब एक और नाम जुड़ गया है। गिल्बर्ट एनोका, जिन्होंने न्यूजीलैंड की रग्बी टीम ऑल ब्लैक्स के साथ काम किया था, अब इंग्लैंड टीम का हिस्सा बन गए हैं। वह भारत के खिलाफ चल रही एंडरसन-टेंडुलकर ट्रॉफी सीरीज के दौरान टीम में शामिल हुए हैं।
मानसिक मजबूती पर फोकस
एनोका को टीम में शामिल करने का फैसला ऐसे वक्त में आया है जब इंग्लैंड भारत के खिलाफ मुश्किल सीरीज लड़ रहा है। तीन टेस्ट मैचों के बाद भारत 2-1 से आगे है। लॉर्ड्स में हुई तीसरी टेस्ट के बाद से ही इंग्लैंड टीम के लिए मानसिक मजबूती जरूरी हो गई थी। शायद यही वजह है कि मैककुलम ने अपने पुराने साथी एनोका को बुलाया।
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एनोका मई में जिम्बाब्वे के खिलाफ टेस्ट से पहले ही लंदन कैंप में टीम के साथ जुड़ चुके थे। मंगलवार को उन्होंने ओल्ड ट्रैफर्ड में ट्रेनिंग से पहले खिलाड़ियों को संबोधित किया और इस हफ्ते के अंत तक टीम के साथ रहेंगे।
ऑल ब्लैक्स के साथ सफलता का सफर
एनोका न्यूजीलैंड रग्बी में एक जाना-माना नाम हैं। वह साल 2000 से ऑल ब्लैक्स के साथ जुड़े रहे हैं। पहले 15 साल तक उन्होंने मेंटल स्किल्स कोच की भूमिका निभाई, फिर अगले 7 साल लीडरशिप मैनेजर के तौर पर काम किया। उनका यह सफर टीम के स्वर्णिम दौर के साथ मेल खाता है। इस दौरान ऑल ब्लैक्स ने लगातार दो वर्ल्ड कप (2011 और 2015) जीते और लंबे समय तक दुनिया की नंबर एक टीम बनी रही।
लेकिन एनोका का अनुभव सिर्फ रग्बी तक सीमित नहीं है। क्रिकेट और नेटबॉल में भी उन्होंने काम किया है। 1998 से 2004 तक वह न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के साथ जुड़े रहे, जहां शायद मैककुलम से उनकी पहचान बनी होगी। इससे पहले 1994 से 1997 तक उन्होंने नेशनल नेटबॉल टीम को भी ट्रेन किया था। 2023 में प्रीमियर लीग क्लब चेल्सी ने भी उनकी सेवाएं ली थीं।
“नो डिकहेड्स पॉलिसी” क्या है?
एनोका को उनकी “नो डिकहेड्स पॉलिसी” के लिए जाना जाता है। 2017 में द गार्डियन को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इसकी व्याख्या की थी। उनके मुताबिक, “एक डिकहेड वह होता है जो हर चीज को अपने बारे में बना देता है। ऐसे लोग टीम से आगे खुद को रखते हैं, खुद को विशेष समझते हैं, नियमों से अलग रहना चाहते हैं, छुपकर काम करते हैं या फिर अपने काम को लेकर अनावश्यक शोर मचाते हैं।”
एनोका का मानना है कि अक्सर प्रतिभा के चक्कर में टीमें ऐसे व्यवहार को नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन उनकी नीति साफ है – “अगर आप लोगों को नहीं बदल सकते, तो लोगों को बदल दें।” यानी अगर कोई खिलाड़ी टीम के हित के खिलाफ जाता है, तो उसे टीम से बाहर कर देना चाहिए।
इंग्लैंड टीम के लिए क्यों जरूरी है एनोका?
भारत के खिलाफ सीरीज और उसके बाद आस्ट्रेलिया के खिलाफ एशेज की तैयारी को देखते हुए इंग्लैंड टीम के लिए यह एक अहम दौर है। टीम में कुछ नए खिलाड़ी शामिल हुए हैं, जबकि कुछ वरिष्ठ खिलाड़ी फॉर्म की तलाश में हैं। ऐसे में एनोका का अनुभव टीम को मानसिक रूप से मजबूत बनाने में मददगार हो सकता है।
मुमकिन है कि मैककुलम को उनके साथ पुराने तालमेल का भरोसा हो। दोनों ने न्यूजीलैंड क्रिकेट में साथ काम किया है। और अब जब इंग्लैंड टीम को एक मजबूत दिशा की जरूरत है, तो एनोका का आना स्वाभाविक लगता है।
क्या बदलाव ला पाएंगे एनोका?
यह कहना जल्दबाजी होगी कि एनोका का प्रभाव तुरंत दिखाई देगा। लेकिन इतना तय है कि उनका तरीका टीम की सोच को प्रभावित करेगा। ऑल ब्लैक्स के साथ उनका रिकॉर्ड इस बात का सबूत है कि वह टीम कल्चर को बेहतर बनाने में मददगार हो सकते हैं। अब देखना यह है कि इंग्लैंड क्रिकेट टीम उनकी सीख को कितना अपनाती है।