भारतीय पायलट संघ WSJ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहा, AI 171 क्रैश रिपोर्ट को लेकर विवाद
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने WSJ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार किया
पायलटों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 के हादसे से जुड़ी द वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की रिपोर्टिंग पर कानूनी कार्रवाई का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है। 12 जून को हुए इस हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में पायलटों की कोई गलती सामने नहीं आई है, लेकिन WSJ ने अपनी एक रिपोर्ट में संकेत दिया कि हादसे का कारण कॉकपिट में मौजूद एक पायलट की कार्रवाई हो सकती है।
FIP के अध्यक्ष सीएस रंधावा ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि WSJ पायलटों को निशाना बना रहा है, जबकि जांच एजेंसी ने अभी तक ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया है। रंधावा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, *”हम पायलटों के खिलाफ इस तरह के आरोपों का पुरजोर विरोध करते हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट में कहीं भी पायलट की गलती या कार्रवाई का जिक्र नहीं है। यह खबर पायलटों की छवि खराब करने का प्रयास है। हम कानूनी सलाह ले रहे हैं और इस मामले में कदम उठा सकते हैं।”* FIP के लगभग 5,500 पायलट सदस्य हैं।
WSJ की रिपोर्ट क्या कहती है?
WSJ ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में दावा किया कि बोइंग 787-8 विमान के कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) के आधार पर जांचकर्ताओं का ध्यान एक पायलट की ओर गया है, जिसने संभवतः इंजन का फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद कर दिया था। हालाँकि, WSJ ने इस जानकारी के स्रोत के तौर पर किसी का नाम नहीं लिया, बल्कि “अमेरिकी अधिकारियों की जांच के शुरुआती आकलन से परिचित लोगों” का हवाला दिया।
लेकिन भारत की एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट में ऐसा कोई स्पष्ट दावा नहीं किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, विमान के दोनों इंजनों को ईंधन की आपूर्ति तब बंद हो गई जब फ्यूल कंट्रोल स्विच ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ पोजिशन पर चले गए। यह परिवर्तन टेकऑफ़ के ठीक बाद, एक सेकंड के अंतराल में हुआ। CVR के डेटा से पता चलता है कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा कि उसने ईंधन क्यों काट दिया, जिस पर दूसरे पायलट ने जवाब दिया कि उसने ऐसा नहीं किया। रिपोर्ट में साफ़ तौर पर नहीं कहा गया कि स्विच को किसी पायलट ने ही बदला था।
पायलट संगठनों ने उठाए सवाल
FIP के अलावा, इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (ICPA) और एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPA-I) ने भी जांच के शुरुआती चरण में ही पायलटों पर संदेह जताने को गलत बताया है। इन संगठनों का कहना है कि बिना ठोस सबूतों के ऐसी अटकलें पेश करना पेशेवर पायलटों के लिए नुकसानदेह है।
विमानन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और उद्योग के जानकारों ने भी इस बात पर जोर दिया है कि प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। उनका कहना है कि जांच अभी लंबी चलेगी और आने वाले महीनों में नए तथ्य सामने आ सकते हैं। AAIB की रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट किया गया है कि यह *”प्रारंभिक तथ्यों और साक्ष्यों”* पर आधारित है और इसमें दी गई जानकारी *”परिवर्तन के अधीन”* है।
अब क्या होगा आगे?
विशेषज्ञों का मानना है कि अब जांचकर्ताओं को फ्यूल कंट्रोल स्विच के बदलने के कारणों पर ध्यान देना चाहिए। सवाल यह है कि क्या यह स्विच किसी पायलट की ओर से—गलती से या जानबूझकर—बदला गया, या फिर यह किसी तकनीकी, यांत्रिक या सॉफ्टवेयर समस्या की वजह से हुआ। रिपोर्ट में बोइंग 787-8 और उसके जीई इंजनों को लेकर कोई सिफारिश नहीं की गई है, जिससे लगता है कि अभी तक विमान या उसके इंजन में कोई खामी नहीं मिली है।
तो अब सबकी निगाहें जांच की अगली प्रगति पर टिकी हैं। शायद आने वाले समय में कोई नया सबूत या तकनीकी विश्लेषण इस पहेली को सुलझाने में मदद करे। लेकिन फिलहाल, पायलट संगठनों का कहना है कि अटकलों से बचना चाहिए और जांच पूरी होने का इंतजार करना चाहिए।