एयर इंडिया क्रैश के बाद DGCA ने बोइंग विमानों के फ्यूल स्विच की जांच का आदेश दिया
भारतीय विमानन सुरक्षा नियामक DGCA ने देश में पंजीकृत अधिकांश बोइंग वाणिज्यिक विमानों में ईंधन नियंत्रण स्विच की लॉकिंग व्यवस्था की जांच करने का निर्देश दिया है। यह कदम जून में एयर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान के क्रैश की जांच के बीच उठाया गया है, जिसमें इंजन के फ्यूल कंट्रोल स्विच पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
21 जुलाई तक जांच पूरी करने का निर्देश
DGCA ने यह निर्देश अमेरिकी संघीय विमानन प्रशासन (FAA) द्वारा दिसंबर 2018 में जारी एक विशेष एयरवर्थिनेस सूचना बुलेटिन (SAIB) के अनुरूप दिया है। नियामक ने 21 जुलाई तक इन स्विचों की जांच पूरी करने को कहा है। SAIB में फ्यूल कंट्रोल स्विच की लॉकिंग सुविधा के असंयोजित होने की संभावना को लेकर चिंता जताई गई थी।
किन विमानों पर होगी जांच?
SAIB में कई विमान मॉडल्स का जिक्र था, जिनमें 787 और 737 के विभिन्न वेरिएंट शामिल हैं। भारत में एयर इंडिया 787 संचालित करती है, जबकि एयर इंडिया एक्सप्रेस, अकासा एयर और स्पाइसजेट 737 के विभिन्न मॉडल उड़ाती हैं। हालांकि, बोइंग 777 इस सूची में नहीं है, इसलिए वह DGCA के इस आदेश के दायरे से बाहर है। इंडिगो भी एक 787 विमान लीज पर उड़ाती है, लेकिन वह भारत में पंजीकृत नहीं है।
क्या हुआ था एयर इंडिया विमान में?
भारत के एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया का विमान तब क्रैश हुआ जब टेकऑफ के ठीक बाद उसके दोनों इंजनों को ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों फ्यूल कंट्रोल स्विच ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ पोजिशन में एक-एक सेकंड के अंतराल पर चले गए।
वैश्विक स्तर पर भी हो रही हैं जांचें
DGCA का यह आदेश ऐसे समय आया है जब कुछ बोइंग विमान संचालक, खासकर विदेशों में, SAIB में दी गई सलाह के तहत स्वेच्छा से इन स्विचों की जांच शुरू कर चुके हैं। अबू धाबी स्थित एतिहाद एयरवेज जैसी कुछ विदेशी एयरलाइंस ने अपने 787 बेड़े में इन स्विचों की जांच शुरू कर दी है, हालांकि FAA और बोइंग ने ऑपरेटर्स को सूचित किया था कि 787 जेट्स पर लगे फ्यूल स्विच लॉक सुरक्षित हैं और किसी और कार्रवाई की जरूरत नहीं है।
क्या गलती से हिल सकते हैं ये स्विच?
विशेषज्ञों का मानना है कि इन स्विचों का गलती से हिलना लगभग असंभव है। इन स्प्रिंग-लोडेड स्विचों के दोनों तरफ ब्रैकेट लगे होते हैं जो उनकी सुरक्षा करते हैं। लॉकिंग मैकेनिज्म के तहत पायलट्स को स्विच को ऊपर उठाकर ही उसे ‘RUN’ या ‘CUTOFF’ पोजिशन में ले जाना होता है। एयर इंडिया क्रैश के बाद भारत और विदेशों में कई तरफ से 2018 के SAIB में सुझाई गई जांच कराने की मांग उठ रही थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बोइंग विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच ठीक से काम कर रहे हैं।
DGCA के आदेश में क्या कहा गया?
DGCA ने अपने आदेश में कहा, “यह DGCA के नोटिस में आया है कि कई ऑपरेटर्स – अंतरराष्ट्रीय और घरेलू – ने SAIB के अनुसार अपने विमान बेड़े का निरीक्षण शुरू कर दिया है… उपरोक्त को देखते हुए, सभी एयरलाइन ऑपरेटर्स को SAIB नंबर: NM-18-33, दिनांक 17 दिसंबर 2018 के तहत आवश्यक निरीक्षण 21 जुलाई 2025 तक पूरा करने की सलाह दी जाती है। निरीक्षण योजना और निरीक्षण पूरा होने के बाद रिपोर्ट इस कार्यालय को संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को सूचित करते हुए प्रस्तुत की जाए। समयसीमा का सख्ती से पालन विमानन योग्यता और संचालन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।”
FAA का 2018 बुलेटिन क्यों था महत्वपूर्ण?
2018 का SAIB तब जारी किया गया था जब कुछ बोइंग 737 ऑपरेटर्स ने शिकायत की थी कि उनके विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच अनजाने में किसी झटके या कम्पन से अपनी पोजिशन बदल सकते हैं। हालांकि उस समय कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ था, लेकिन प्रीवेंशन को प्राथमिकता मानते हुए FAA ने यह एडवाइजरी जारी की थी।
अब जबकि वास्तविक घटना (एयर इंडिया क्रैश) के साथ यह मुद्दा सामने आया है, DGCA समेत सभी विमानन एजेंसियां रिस्क न्यूट्रलाइजेशन मोड में आ गई हैं।
निष्कर्ष: एयर सेफ्टी से कोई समझौता नहीं
एयर इंडिया हादसे ने एक बार फिर साबित किया है कि विमानन सुरक्षा में हर छोटा यांत्रिक पुर्जा भी अहम भूमिका निभाता है। DGCA का यह त्वरित कदम एक सतर्क नियामक व्यवस्था की मिसाल है, और उम्मीद की जा रही है कि 21 जुलाई की समयसीमा तक सभी विमान सुरक्षित रूप से जांचे जा चुके होंगे।