भारत को हेडिंग्ली टेस्ट में इंग्लैंड से मिली हार के बाद भारतीय टीम के चयन को लेकर बहस तेज़ हो गई है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व विकेटकीपर ब्रैड हैडिन ने टीम इंडिया की स्पिन रणनीति पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि इंग्लैंड की परिस्थितियों में रवींद्र जडेजा को प्रमुख स्पिनर के रूप में उतारना उचित नहीं था।
“जडेजा अब उतने प्रभावी नहीं रहे” – ब्रैड हैडिन
‘विलो टॉक’ पॉडकास्ट पर बात करते हुए हैडिन ने कहा,
“क्या हम जडेजा के प्रभाव में गिरावट देख रहे हैं? भारतीय परिस्थितियों में वह शानदार हैं, लेकिन ओवरसीज में उनकी भूमिका सीमित हो जाती है। वह एक अच्छे ऑलराउंडर हैं, पर मुख्य स्पिनर नहीं।”
पहले टेस्ट में जडेजा ने 24 ओवर में 104 रन देकर सिर्फ एक विकेट लिया और उनका इकोनॉमी रेट 4.33 रहा। मैच के पांचवें दिन पिच से थोड़ी स्पिन मिलनी शुरू हुई, लेकिन तब तक इंग्लैंड को जीत की ओर बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता था।
भारत को चाहिए आक्रामक स्पिन विकल्प?
हैडिन ने भारत की स्पिन रणनीति पर बड़ी बात कही।
“रवींद्र जडेजा अब एक सपोर्ट बॉलर बनकर रह गए हैं। अगर आप विदेशों में जीतना चाहते हैं, तो आपको कुछ जोखिम लेने होंगे। नए स्पिनर्स को आज़माइए, भले ही कुछ मैचों में हार मिल जाए।”
उनका मानना है कि भारत को अब युवा और आक्रामक स्पिन विकल्पों की ओर देखना चाहिए जो इंग्लैंड जैसी कंडीशनों में विकेट लेने की भूख और कला दोनों रखते हों।
अश्विन की रिटायरमेंट और स्पिन संकट
रविचंद्रन अश्विन के संन्यास के बाद भारतीय टीम में अनुभव की कमी महसूस हो रही है। जडेजा जैसे खिलाड़ी भले ही संतुलन प्रदान करते हों, लेकिन जब बात विदेशी ज़मीन पर टेस्ट जीतने की आती है, तो वहां विकेट टेकिंग क्षमता प्राथमिकता बन जाती है।
“स्पिन गेंदबाज़ी सिर्फ रन रोकने का जरिया नहीं है,” हैडिन ने कहा। “आपको अटैक करने वाले गेंदबाज चाहिए—वो जो मैच पलट सकें।”
क्या भारत में बदलाव की सोच तैयार है?
ब्रैड हैडिन का यह बयान इस ओर इशारा करता है कि भारतीय टीम को अपनी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। लगातार विदेशी दौरे हारने और अनुभवहीन स्पिनर्स को लेकर असमंजस से निपटने का एक ही तरीका है—आक्रामक रणनीति और नए टैलेंट पर भरोसा।
अब देखना यह होगा कि भारतीय सेलेक्टर्स अगली टेस्ट सीरीज़ में क्या नया प्रयोग करते हैं, और क्या जडेजा का विदेशी टेस्ट करियर अब भी उतना ही प्रासंगिक है जितना पहले था।