Panchayati Season 4 Review: Story lags a bit, but there is no dearth of entertainment and mass appeal
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पञ्चायती सीजन 4 समीक्षा: कहानी थोड़ी पीछे रही, लेकिन मनोरंजन और मास अपील में कोई कमी नहीं

पञ्चायती सीजन 4 का कहानी केंद्रित है एक गांव में होने वाले चुनावों के इर्द-गिर्द। पिछली कड़ी के घटनाओं के बाद, ब्रिज भूषण दुबे (रघुबीर यादव) जो की फूलैरा के अनौपचारिक प्रधान जी हैं, घायल होकर आराम कर रहे हैं। उनके कंधे में गोली लगी है और उनका हाथ पट्टी में बंधा हुआ है। इस सीजन में प्रधानी के लिए चुनावी जंग छिड़ जाती है, जहां प्रधान जी की पत्नी मंजू देवी (नीना गुप्ता) और भूतपूर्व प्रधान जी के पक्षधर एक दूसरे के खिलाफ खड़े होते हैं। चुनावी माहौल में भ्रष्टाचार, पुलिस छापे और राजनीति की छाया दिखाई देती है। इस सबके बीच, कई मनोरंजक और हास्यपूर्ण पल सामने आते हैं।

कहानी की समीक्षा:
इस बार, कहानी पहले की तुलना में थोड़ा पीछे रहती है। पञ्चायत की कहानी मुख्य रूप से दो गुटों के बीच संघर्ष पर केंद्रित है, और वहीं से मनोरंजन और हास्य की भरमार आती है। चंदन कुमार के संवाद हास्यपूर्ण और गहरे होते हैं, जो दर्शकों को हंसी के साथ-साथ गंभीर सोच के लिए भी प्रेरित करते हैं। इस सीजन में कोई अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया, जिससे यह और भी अधिक परिवार के लिए उपयुक्त हो गया है।

निर्देशकों, अक्षत विजयवर्गीय और दीपक कुमार मिश्रा ने शानदार काम किया है। हालांकि, पिछले सीजन के सिर्फ 13 महीने बाद इसका आना एक चिंता का विषय था, लेकिन पहले एपिसोड के बाद सभी संदेह दूर हो गए। इस बार चुनावी माहौल में और भी अधिक राजनीतिक मसले सामने आते हैं, जो दर्शकों को अंत तक जोड़कर रखते हैं।

पञ्चायत सीजन 4 प्रदर्शन:
जितेन्द्र कुमार ने अपने अभिनय में फिर से शानदार काम किया है। उनके द्वारा निभाए गए ‘सचिव’ के किरदार में बदलाव देखा गया है। रघुबीर यादव के संवाद कम होने के बावजूद, उनकी आँखों में बहुत कुछ कह दिया जाता है। नीना गुप्ता की अभिनय क्षमता हमेशा की तरह बेहतरीन है। दुर्गेश कुमार और सुनीता राजवार का काम भी शानदार है। फैसल मलिक और चंदन रॉय के पात्र प्यारे और आकर्षक हैं। संविका (रिंकी) ने एक सशक्त और दिल छूने वाला प्रदर्शन दिया है।

पञ्चायत सीजन 4 संगीत और तकनीकी पहलू:
अनुराग सैकीया का संगीत ठीक है, जबकि बैकग्राउंड स्कोर पूरी तरह से कथा में समाहित किया गया है। अमिताभ सिंह की सिनेमेटोग्राफी शानदार है, जो हर गांव की सुंदरता को सही तरीके से प्रस्तुत करती है। प्रोडक्शन डिज़ाइन और करिश्मा व्यास के कॉस्टयूम जीवन के जैसे हैं। संपादन में अमित कुलकर्णी ने चतुराई से काम किया है।

निष्कर्ष:
कुल मिलाकर, पञ्चायती सीजन 4 में कहानी में अधिक मूवमेंट नहीं है और कुछ सबप्लॉट्स अवांछनीय महसूस हो सकते हैं। हालांकि, इसके बावजूद मनोरंजन, ड्रामा, हास्य और राजनीति के मेल से इसे देखने का अनुभव बेहद सुखद बनता है। फैमिली फ्रेंडली और अच्छे मनोरंजन की वजह से यह सीजन शानदार है और बहुत जल्द दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब होगा।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।