Business

भारत में 21% से अधिक कमी के बावजूद, World Health Organization की रिपोर्ट में बताया गया- “टीबी का सबसे बड़ा बोझ अभी भी भारत पर”

नई दिल्ली, 13 नवंबर 2025: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ताज़ा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में तपेदिक (टीबी) (Tuberculosis, TB) के नए मामलों की दर पिछले एक दशक में 21 % घट गई है, जो वैश्विक औसत 12 % से लगभग दोगुनी है। लेकिन इसके बावजूद देश 2024 में वैश्विक नए टीबी मामलों में लगभग एक-चौथाई हिस्सेदारी लिए हुआ है और केसों की संख्या के मामले में शीर्ष पर है।

मुख्य बातें:

  • भारत में टीबी incidence 2015 में 237 प्रति लाख था जो अब 2024 में 187 प्रति लाख तक आ गया है।
  • 2024 में भारत में लगभग 26.18 लाख मरीजों का निदान हुआ, अनुमानित कुल मामलों के बहुत करीब।
  • टीबी-मुक्त भारत अभियान व नई तकनीक-आधारित निदान-प्रकियाओं से मामले घटे पर भारत अभी भी दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में है।
  • दवाओं-प्रतिरोधी (MDR) टीबी में बढ़ोतरी के संकेत; भारत वैश्विक MDR-टीबी मामलों का लगभग एक-तीस हिस्सा अपने देश में रखता है।

क्या हुआ?

WHO द्वारा जारी ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2025 के अनुसार, 2024 में भारत में टीबी के नए मामलों की दर ‘187 प्रति लाख’ अनुमानित की गई है। यह दर 2015 में 237 प्रति लाख थी, यानी लगभग 21 % की कमी। हालांकि, देश ने 2024 में वैश्विक नए टीबी मामलों में लगभग 25 % हिस्सेदारी दर्ज की और वैश्विक चार्ट में सबसे ऊपर बना रहा।

प्रमुख तथ्य-आँकड़े

  • भारत का इलाज कवरेज 2024 में करीब 92 % तक पहुँचा, जबकि 2015 में ये सिर्फ 53 % था।
  • 2024 में ‘मिसिंग’ यानी जो लोग टीबी होने के बावजूद प्रोग्राम में नहीं आए थे, उनकी संख्या लाखों से घटकर लगभग एक लाख से कम हो गई।
  • मृत्यु दर भी कम हुई है: 2015 में 28 प्रति लाख थी, जो 2024 में घटकर 21 प्रति लाख हो गई।
  • दवाओं-प्रतिरोधी टीबी में भारत की स्थिति चिंताजनक है: 2024 में देश ने वैश्विक MDR-टीबी मामलों का लगभग 32 % हिस्सा देखा।

प्रतिक्रियाएँ और बयान

‍⦁ स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश ने “नवीन तकनीक, समुदाय-सक्रियकरण व विकेंद्रीकृत सेवाओं” के जरिए बड़े बदलाव किये हैं।
⦁ रिपोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि हालांकि कमी हुई है, लेकिन लक्ष्य (उदाहरण के लिए प्रति 100,000 में 44 मामले तक) अभी बहुत दूर है।
⦁ विशेषज्ञों का मानना है कि दवाओं-प्रतिरोधी टीबी और निदान के बाद उचित देखभाल सुनिश्चित करना अगला बड़ा चैलेंज होगा।

वर्तमान स्थिति और आगे क्या होगा

देश ने अब तक जो 21 % कमी हासिल की है, वह महत्वपूर्ण है लेकिन चुनौतियाँ बनी हुई हैं। देश में नवयुगीन तकनीक-उपकरण (जैसे AI-सक्षम हैंड-हेल्ड एक्स-रे) तथा बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। आगे की रणनीति में शामिल होंगे: उच्च जोखिम-वर्गों (जैसे इसके संक्रमण क्षेत्र, आसाध्य मामले, असमय-निदान) की पहचान, दवाओं-प्रतिरोधी रोगियों की संख्या नियंत्रण व पूरे देश में समान गुणवत्ता वाली सेवा सुनिश्चित करना।

प्रासंगिक पृष्ठभूमि

भारत वर्ष से ही टीबी के सबसे प्रभावित देशों में रहा है। WHO के मुताबिक, 2023 में आठ देशों ने 67 % से अधिक वैश्विक टीबी मामलों को जन्म दिया – इनमें भारत अकेले 26 % तक था। भारत में पिछली कई दशकों से सामाजिक-आर्थिक कारक जैसे कुपोषण, आवास तंग होना, असमय निदान व चिकित्सा पहुँच की कमी ने टीबी संकट को बढ़ाया है।

इसके बावजूद, पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने टीबी मुक्त भारत अभियान (TB Mukt Bharat Abhiyan) जैसे बड़े कार्यक्रम शुरू किए हैं जिनमें नव-उपकरण, मोबाइल स्क्रीनिंग, डेटा-उन्मुख निगरानी एवं पोषण सहायता शामिल है।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।