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दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर तकनीकी गड़बड़ी से 100 + उड़ानों में देरी, क्यों बनी परेशानी

नई दिल्ली, 7 नवंबर 2025: नई दिल्ली – शुक्रवार की सुबह भारत के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे में से एक इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (आईजीआईए) पर तकनीकी गड़बड़ी के कारण उड़ान संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ। इस समस्या के कारण 100 से अधिक उड़ानों को देरी का सामना करना पड़ा, जिससे यात्रियों में चिंता और विमानन मंडल में सतर्कता बढ़ी।

प्रमुख बातें

  • एक स्वचालित संदेश स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में गड़बड़ी के कारण एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) को मैन्युअल फ्लाइट प्लानिंग करनी पड़ी।
  • आईजीआईए में लगभग 1,500 से अधिक फ्लाइट मूवमेंट्स प्रतिदिन होती हैं, जिससे यह ग्लिच तुरंत नेटवर्क-बॉक्स की तरह काम गया।
  • बड़ी एयरलाइंस जैसे इंडीगो, एयर इंडिया और स्पाइसजेट ने यात्रियों को फ्लाइट स्थिति चेक करने का सुझाव दिया।
  • रिपोर्ट्स के अनुसार, सुबह के समय में देरी औसतन 50-55 मिनट तक पहुंची।

क्या हुआ

बृहस्पतिवार शाम से ही आईजीआईए के एटीसी सिस्टम में समस्या आने लगी थी। सूत्रों के अनुसार, AMSS (Automatic Message Switching System) में सॉफ्टवेयर/स्विचिंग गड़बड़ी के कारण फ्लाइट प्लान स्वतः एटीसी के सिस्टम में पहुँच नहीं पा रहे थे।
जिसके चलते एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स को मैन्युअल तरीके से विमान-गतिविधियों को संभालना पड़ा – एक बेहद समय-साध्य प्रक्रिया। इस कारण निकलने वाली उड़ानों में देरी हुई, और आने-जाने वाली दोनों ही तरह की फ्लाइट्स प्रभावित हुईं।

तथ्य एवं आंकड़े

  • आईजीआईए में एक सामान्य दिन में लगभग 1,500 से 1,550 फ्लाइट मूवमेंट्स देखे जाते हैं।
  • फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट के अनुसार सुबह 6 से 8 बजे के बीच औसतन 55 मिनट की देरी दर्ज हुई।
  • एक स्रोत ने बताया कि इस समस्या के पहले दिन यानी गुरुवार को भी लगभग 25 फ्लाइट्स प्रभावित हुई थीं।

प्रतिक्रियाएँ और एयरलाइंस का रुख

आईजीआईए के ऑपरेटर दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने सोशल मीडिया पर एक एडवाइजरी जारी कर कहा कि “एटीसी सिस्टम में तकनीकी समस्या के कारण फ्लाइट ऑपरेशन देरी का सामना कर रहा है… हमारी टीम संबंधित सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर कार्यरत है।”
इंडीगो ने ट्वीट किया: “दिल्ली और उत्तरी क्षेत्र में हमारा फ्लाइट ऑपरेशन तकनीकी समस्या के कारण प्रभावित है… कृपया अपनी उड़ान की स्थिति समय-समय पर चेक करें।”
एयर इंडिया ने कहा कि “यह अचिन्हित व्यवधान हमारे नियंत्रण से बाहर है… हम यात्रियों के असुविधा के लिए खेद प्रकट करते हैं। ग्राउंड एवं केबिन क्रू अतिरिक्त सहायता कर रहे हैं।”

वर्तमान स्थिति- क्या आगे?

तकनीकी टीमें समस्या का समाधान करने में जुटी हुई हैं। हालांकि अभी तक कोई ठोस समय-सीमा नहीं दी गई है कि कब तक सिस्टम पूरी तरह बहाल हो जाएगा।
एटीसी की मैन्युअल प्रक्रिया चल रही है, लेकिन मशीन-स्वचालित पद्धति लौटने तक देरी जारी रहने की संभावना है। यात्रियों को सुझाव दिया गया है कि वे अपनी फ्लाइट स्टेटस को चेक करते रहें, एयरपोर्ट पर बहुत पहले पहुँचें और एयरलाइंस के निर्देशों का पालन करें।

संदर्भ-पृष्ठभूमि (Context)

आईजीआईए न सिर्फ भारत का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पिछले वर्षों में बड़े मेल-जोल में रहा है। वैश्विक एयरलाइनिंग की दृष्टि से ऐसे तकनीकी व्यवधान का असर सिर्फ उस दिन तक सीमित नहीं रहता – एक देरी हिमस्खलन की तरह खड़ी हो सकती है, विशेषकर यदि सुबह के पिक्स के समय कोई समस्या हो। उदाहरण के लिए, पिछले वर्ष आईजीआईए के एटीसी पर भारी वर्कलोड को कारण बनाकर एक “नीयर मिस” घटना की जांच में पाया गया कि controller पर काम का भार अधिक था।
इस घटना से यह भी दिखा कि एटीसी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता कितनी बढ़ गई है – लेकिन बैकअप या मैन्युअल ऑपरेशन की तैयारी उतनी मज़बूत नहीं रही। वर्तमान गड़बड़ी इस चर्चा को फिर से उद्घाटित करती है कि आधुनिक एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम्स को भरोसेमंद रूप से बनाए रखना कितना अहम है।

क्यों महत्वपूर्ण है यह घटना?

  • जब भारत के प्रमुख एयर यात्रियों द्वार पर तकनीकी समस्या आती है, तो न सिर्फ घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी असर पड़ता है – जैसे रिपोर्ट में दिखा कि रोम-और लंदन रोम-निर्देशित फ्लाइट्स में देरी हुई थी।
  • फ्लाइट देरी का मतलब सिर्फ प्रतीक्षा समय नहीं है – एयरलाइंस को ईंधन, क्रू शेड्यूलिंग, विमान पार्किंग आदि पर अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है।
  • यदि ऐसी समस्या पिक्स समय पर होती तो उड़ानों का बैकलॉग और बढ़ सकता था, जिससे आसमान-भूमि पर सुरक्षा और व्यवस्थित संचालन दोनों को खतरा हो सकता था।
  • यह घटना एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है, विशेष रूप से जब वैश्विक मानकों के हिसाब से भारत के एयरपोर्ट तेजी से बढ़ रहे हैं।

आगे क्या हो सकता है?

एएआई (एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) और DIAL को इस गड़बड़ी का रिपोर्ट तैयार करना होगा – जिसमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि AMSS में दोष किस कारण से आया और बैकअप सिस्टम कैसे काम किया।
एयरलाइंस को भी अपनी ऑपरेशन प्लानिंग में इस तरह के तकनीकी रुकावट को ध्यान में रखते हुए फ्लाइट शेड्यूल बनाना होगा ताकि कम से कम प्रभावित हों।
यात्रियों और विमानन उत्साहीों को सलाह दी जाती है कि वे फ्लाइट-शेड्यूल, एयरलाइन वेबसाइट और एयरपोर्ट सूचना चैनलों से समय-समय पर अपडेट लेते रहें।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।