“132 एकड़ की नवी–मुंबई भूमि पर Enforcement Directorate की कार्रवाई – Reliance Group का संचालन बना अप्रभावित”
नई दिल्ली, 05 नवंबर 2025: नवी मुंबई की 132 एकड़ भूमि सहित कुल ₹7,500 करोड़ से अधिक संपत्तियों को ईडी द्वारा जब्त किए जाने के बीच Reliance Communications Ltd. (आरकॉम) से जुड़ी कार्रवाई ने हल बोला है। हालांकि Reliance Infrastructure Ltd. और Reliance Power Ltd. सहित समूह की अन्य सूचीबद्ध कंपनियों ने यह स्पष्ट किया है कि व्यवसाय पर कोई प्रभाव नहीं हुआ है।
मुख्य बातें
- ईडी ने नवी मुंबई के Dhirubhai Ambani Knowledge City (DAKC) में 132 एकड़ भूमि मूल्यांकित लगभग ₹4,462 करोड़ जब्त की।
- इस कार्रवाई के साथ समूह से संबंध रखी गई संपत्तियों की कुल जब्ती राशि ₹7,500 करोड़ से ऊपर पहुंच गई।
- रिलायंस समूह ने कहा कि जब्त संपत्तियों में अधिकांश हिस्सा आरकॉम से जुड़ी है, और सूचीबद्ध कंपनियों का संचालन प्रभावित नहीं हुआ।
- कंपनियों ने बताया कि Anil Dhirubhai Ambani पिछले 3.5 वर्ष से बोर्ड में नहीं हैं और समूह की सूचीबद्ध कंपनियों पर यह मामला लागू नहीं होता।
क्या हुआ
Enforcement Directorate ने 31 अक्टूबर तथा 4 नवंबर 2025 को विभिन्न अग्रिम आदेश जारी किए और 42 संपत्तियों को जब्त किया गया है, जिनमें मुंबई, दिल्ली, पुणे, हैदराबाद आदि स्थानों पर रिअल एस्टेट शामिल है।
इस कार्रवाई में शामिल है नवी मुंबई के DAKC में 132 एकड़ भूमि, जिसका मूल्य लगभग ₹4,462.81 करोड़ आंका गया है।
यह कार्रवाई उस बैंक–ऋण धोखाधड़ी की जांच का हिस्सा है जिसमें आरकॉम, Reliance Commercial Finance Ltd. (RCFL) और Reliance Home Finance Ltd. (RHFL) जैसी कंपनियाँ शामिल हैं।
प्रमुख तथ्य / डेटा
- आरकॉम सहित समूह ने 2010-12 के बीच भारतीय एवं विदेशी बैंकों से लगभग ₹40,185 करोड़ के ऋण लिए थे, जिनमें से कुछ खाते बाद में फ्राॅड घोषित किये गए।
- ईडी ने पाया कि ₹13,600 करोड़ का उपयोग ऋण “एवरग्रीनिंग” (पुराने ऋण को नए की तरह दिखाना) के लिए किया गया था; लगभग ₹12,600 करोड़ संबंधित कंपनियों को ट्रांसफर हुआ था; और ₹1,800 करोड़ को फिक्स्ड डिपॉजिट्स/म्युचुअल फंड्स में निवेश कर वापस समूह में भेजा गया था।
- सूचीबद्ध कंपनियों – रिलायंस इंफ्रा और रिलायंस पावर – का कहना है कि वे बैंक-ऋण-मुक्त हैं: 31 मार्च 2025 तक रिलायंस इंफ्रा का नेट वर्थ ≈ ₹14,287 करोड़ था और रिलायंस पावर का ₹16,337 करोड़।
बयानों / प्रतिक्रियाएँ
रिलायंस समूह ने एक स्पष्टीकरण में कहा कि “अधिकांश मूल्य की जब्ती आरकॉम संबंधी संपत्तियों की है, जो 2019 से समूह का हिस्सा नहीं है।
रिलायंस इंफ्रा ने कहा है: “हमारा संचालन, शेयरहोल्डर्स, कर्मचारियों या अन्य कोई हितधारक प्रभावित नहीं हुआ है।
साथ ही समूह ने मीडिया में अक्सर अनिल अंबानी नाम जुड़ने पर इसे “अन warranted और खुलकर” अनुचित बताया।
वर्तमान स्थिति / आगे क्या होगा
ईडी की इस कार्रवाई के बाद अब यह जांच आगे की पड़ताल करेगी कि किन अन्य संपत्तियों-धारकों तक धन के स्रोत एवं दिशा का संबंध है। पुनर्रोधन (restitution) के लिए भी प्रवर्तन एजेंसी तैयारी कर रही है।
दूसरी ओर, निवेशक और बाजार सहभागी इस बात पर निगाह रखे हुए हैं कि क्या आज की जब्ती से संबंधित कंपनियों के शेयर या ऋण-स्थिति पर कोई अप्रत्याशित असर होगा या नहीं।
आगे यह देखना होगा कि न्यायालय (एनसीएलटी/सुप्रीम कोर्ट) में क्या निर्णय आता है और यदि ठोस वित्तीय दावे सामने आएँ तो समूह को आगे किस तरह के नियामकीय प्रश्नों का सामना करना होगा।
संदर्भ / पृष्ठभूमि
Reliance Group (अनील अंबानी-नेतृत्व) लंबे समय से बैंक-ऋण, वित्तीय देयताओं और दिवाला प्रक्रिया के घेरे में रही है। 2019 के बाद आरकॉम समूह से बाहर हो गया और उसके बाद इसके समूहकरण की स्थिति बदलती रही।
यह कार्रवाई इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सिर्फ एक व्यवसायी समूह की समस्या नहीं बल्कि वित्त-साधन प्रवाह, बैंकिंग जोखिम, ऋण-देयता, बैंकिंग संस्थाओं की दुर्दशा और नियामक जवाबदारी जैसे बड़े प्रश्नों को उजागर करती है।
नवीनतम जब्ती से यह संकेत मिलता है कि प्रवर्तन एजेंसियाँ अब बड़े स्तर पर सम्पत्ति निरोधक कार्रवाई कर रही हैं, जो बैंक-ऋण घोटालों के लिए एक चेतावनी-संदेश है।





