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चीन का नया दांव: एसिया-पैसिफिक सम्मेलन में शी जिनपिंग ने वैश्विक एआई संगठन का प्रस्ताव रखा

सियोल / ग्योंग्जू, 3 नवंबर 2025 : एसिया-पैसिफिक क्षेत्रीय सहयोग मंच Asia‑Pacific Economic Cooperation (एपेक) की बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक “ग्लोबल एआई सहयोग संगठन” (World Artificial Intelligence Cooperation Organization) स्थापित करने की घोषणा की है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के वैश्विक शासन में चीन को अमेरिका के विकल्प के रूप में स्थापित करने का प्रयास माना जा रहा है।

मुख्य बातें

  • एपीईसी शिखर सम्मेलन में शी जिनपिंग ने इस प्रस्ताव को केन्द्र में रखा और कहा कि एआई “सार्वजनिक संपत्ति” होनी चाहिए।
  • चीन ने सुझाव दिया है कि यह संगठन शंघाई में आधारित हो सकता है।
  • अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय एआई-नियमन में शामिल होने से इनकार किया है, जिससे चीन का प्रस्ताव उसकी भूमिका को चुनौती देता है।
  • एपीईसी सदस्य देशों ने एक संयुक्त घोषणा जारी की, जिसमें एआई, हरित प्रौद्योगिकियों व उम्र-संबंधी चुनौतियों पर सहमति दी गई।
  • चीन अगले वर्ष (2026) का एपीईसी सम्मेलन शेनझेन में आयोजित करने जा रहा है, जो चीन के टेक्नो-उद्योग नेतृत्व को और मजबूत करेगा।

क्या हुआ

ग्योंग्जू (दक्षिण कोरिया) में 1 नवंबर को आयोजित एपीईसी नेताओं की बैठक के दौरान शी जिनपिंग ने कहा कि एआई को “भविष्य के विकास के लिए महान महत्त्व” वाला क्षेत्र माना जाना चाहिए और यह सभी देशों व क्षेत्रों के लिए लाभकारी हो।
उन्होंने प्रस्ताव दिया कि एक “World Artificial Intelligence Cooperation Organization” (वैश्विक एआई सहयोग संगठन) स्थापित किया जाए, जो एआई-गवर्नेंस नियम बना सके और सहयोग बढ़ा सके।
चीनियों ने कहा है कि इस संगठन का मुख्यालय शंघाई में हो सकता है।
वहीं, सम्मेलन में अमेरिका के प्रतिनिधि, विशेषकर डोनाल्ड ट्रम्प ने धीरे-धीरे बाहर रहते हुए चीन को मंच देने का फोकस बनाया गया।

मुख्य तथ्य / डेटा

  • एपीईसी में 21 देश शामिल हैं और ये लगभग विश्व व्यापार के आधे हिस्से को प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • चीन ने इस साल पहले से ही एआई-नियमन के लिए “एक्शन प्लान” जारी किया था, जिसमें वैश्विक शासन की कमी को संकेत के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
  • चीन की टेक कम्पनी DeepSeek ने कम लागत वाले मॉडल पेश किए है, जिसे चीन “एल्गोरिदमिक सॉवरेनिटी” के रूप में वर्णित करता है।
  • चीन अगले एपीईसी सम्मेलन (2026) को शेनझेन में आयोजित करने वाला है, जहाँ देश रोबोटिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन तथा अन्य नवोन्मेषी उद्योगों में अपनी बढ़ती क्षमता दिखाएगा।

प्रतिक्रियाएँ एवं बयान

चीन के आधिकारिक मीडिया एजेंसी शिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, शी जिनपिंग ने कहा:

“कृत्रिम बुद्धिमत्ता का भविष्य विकास के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है और इसे सभी देशों व क्षेत्रों के लोगों के हित में बनाया जाना चाहिए।”
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका-चीन बीच तकनीकी व व्यापार प्रतिस्पर्धा की पृष्ठभूमि में चीन यह संकेत दे रहा है कि वह मल्टीलेटरल तकनीकी नेतृत्व लेने को तैयार है।
एक दक्षिण कोरियाई अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य विशेषज्ञ ने टिप्पणी की:
“यह स्पष्ट है कि वैश्विक तकनीकी ढांचे में बदलाव आ रहा है और चीन इस बदलाव के केंद्र में आ जाना चाहता है।”

वर्तमान स्थिति / आगे क्या होगा

इस प्रस्ताव को अब विश्व समुदाय, विशेषकर एपीईसी सदस्य देशों, के बीच चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया है। चीन इस संगठन-निर्माण की रूपरेखा तैयार करने, मुख्यालय की संभावना तय करने और अन्य देशों के समर्थन जुटाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकता है।
वहीं, अमेरिका ने इस तरह के अंतरराष्ट्रीय एआई-नियमन में शामिल होने से अब तक किनारा किया है, जिससे यह स्पष्ट संकेत गया है कि वैश्विक एआई-शासन में नया ध्रुवीयरण बन सकता है।
एपीईसी की अगली बैठक तथा 2026 की मेजबानी शेनझेन में होने के कारण चीन को अपना रोबोटिक्स-इनोवेशन और एआई-सॅवरेनिटी वादे दिखाने का अवसर मिलेगा।

पृष्ठभूमि / क्यों यह मायने रखता है

एआई झड़प अब सिर्फ तकनीकी प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि वैश्विक सत्ता संतुलन, व्यापार नियंत्रण और डेटा-शक्ति का मामला बन गया है। चीन का प्रस्ताव एक बहुपक्षीय तकनीकी शासन-संस्था बनाने का संकेत है, जो पारंपरिक अमेरिकी-प्रभावित मॉडल को चुनौती देता है।
यह भारत जैसे उभरते देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एआई-शासन-निर्णय सीधे उनके भविष्य-औद्योगिक नीतियों, डेटा-रवायतों और नवोन्मेषण- अवसरों को प्रभावित करेगा।
इसके अलावा, यदि चीन इस संगठन के माध्यम से एआई-तकनीकियों को वैश्विक दक्षिण के देशों तक पहुँचाने में सफल हुआ, तो इससे “डेवलपिंग नेशन्स” में तकनीकी विभाजन कम हो सकता है -या चीन उन देशों में प्रभावशाली भूमिका ले सकता है।
भारत के लिए भी यह अर्थ रखता है: भारत को यह देखना होगा कि इस नए तकनीकी शासन-फ्रेमवर्क में उसकी भूमिका कैसी होगी, और क्या यह चीन-यूएस प्रतिस्पर्धा में फँसेगा या स्वतंत्र रूप से अपनी नीतियाँ बनाएगा।

अमित वर्मा

फ़ोन: +91 9988776655 🎓 शिक्षा: बी.ए. इन मास कम्युनिकेशन – IP University, दिल्ली 💼 अनुभव: डिजिटल मीडिया में 4 वर्षों का अनुभव टेक्नोलॉजी और बिजनेस न्यूज़ के विशेषज्ञ पहले The Quint और Hindustan Times के लिए काम किया ✍ योगदान: HindiNewsPortal पर टेक और बिज़नेस न्यूज़ कवरेज करते हैं।